Friday, April 19, 2024
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समस्या और हल

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Amritvani 21


एक आदमी ज्योतिषी के पास गया और कहा, ‘पंडित जी! मेरे ग्रह-नक्षत्र खराब चल रहे हैं। इधर कुछ दिनों से कई अनहोनी बातें मेरे साथ घटित हुई हैं। कृपया मेरा हाथ देख लें।’ ज्योतिषी ने हाथ गौर से देखा। टेढ़ी-मेढ़ी रेखाओं का कोण देखा। फिर कहा, ‘शनि की साढ़े साती प्रारंभ हो चुकी है। किसी भारी अनिष्ट की आशंका है।’ हाथ दिखाने वाला कांपने लगा। बोला, ‘पंडितजी! निदान क्या है?’ पंडित जी ने शांत भाव से कहा, ‘साढ़ेसाती के निवारण का एक ही उपाय है कि शनिदेव को प्रसन्न करो। काली वस्तु का दान दो।’ उस आदमी ने पूछा, ‘काली वस्तु क्या हो सकती है?’ पंडित ने कहा, ‘काले रंग का रत्न भी हो सकता है।’ आदमी ने कहा, ‘मैं गरीब आदमी हूं। मेरे पास रत्न कहां से आए?’ पंडित जी ने निवारण बताया, ‘कोई बात नहीं, तुम काले घोड़े का दान करो।’ उसने समस्या बताई, ‘वह कहां से लाऊं?’ पंडित ने हल सुझाया, ‘काली भैंस, काली गाय, का भी दान कर सकते हो।’ व्यक्ति बोला, ‘मेरे पास गाय-भैंस कुछ भी नहीं।’ पंडित बोला, ‘काली कंबल तो घर में होगी ही।’ आदमी ने जवाब दिया, ‘मेरे पास एक फटी चादर के अलावा कुछ भी नहीं है।’ पंडित जी ने कहा, ‘कोई बात नहीं, काले तिल का प्रबंध कर लेना।’ वह बोला, ‘मेरे पास है नहीं और पड़ोसी देगा नहीं।’ ‘तो फिर तुम्हारे पास है क्या?’ ज्योतिषी ने कहा। ‘मजदूरी से जो कमा लेता हूं, उसी से निर्वाह हो जाता है।’ पंडित ने कहा, ‘फिर तुम निश्चिंत हो जाओ, तुम्हारे जैसे लोगों का शनि भी कुछ बिगाड़ नहीं सकता।’ अर्थात समस्याएं भी उन्हीं के पास हैं, जिनके पास कुछ है। जितना ज्यादा है, उसी के अनुपात में समस्याएं भी ज्यादा हैं।


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