- लाउडस्पीकर के शोर से फेरी वालों ने जीना किया मुहाल
- नो साइलेंट जोन में भी धड़ल्ले से चीख रहे
जनवाणी संवाददाता |
सरूरपुर: एक और जहां मुंबई से लेकर यूपी तक में लाउडस्पीकर को लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। वहीं, दूसरी ओर शहर से लेकर देहात तक में लाउडस्पीकर लगाकर फेरी करने वाले दुकानदारों ने लाउडस्पीकर के शोर से लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। दिन निकलते ही कानफोडू शोर लोगों को बहरा कर रहा है। लाउडस्पीकर के शोर से जहां आमजन का जीना मुहाल है। वहीं, बीमारों को इससे खासी दिककत हो रही है।
क्षेत्र में गाड़ियों रेहड़ी व ठेलो पर लाउडस्पीकर लगाकर खूब ध्वनि प्रदूषण फैलाया जा रहा है। उक्त वाहन चालक गाड़ियों पर लाउडस्पीकर लगाकर सामान बेच रहे हैं। इससे लोगों को परेशानी हो रही है। जबकि प्रशासन सब देखते हुए भी को कोई कार्रवाई अमल में नहीं ला रहा है। एक तरफ विद्यार्थियों की परीक्षा नजदीक है तो दूसरी और गाड़ियों पर लाउडस्पीकर लगा कर खूब ध्वनि प्रदूषण फैलाया जा रहा है। इससे जनता परेशान है।
एक समय था जब फेरी वाले आवाज लगाकर अपना सामान बेचते थे। जिसे जनता भी पसंद करती थी, परंतु अब इस क्षेत्र में लाउडस्पीकर लगाकर सामान बेचना मानों फैशन अथवा स्टेट्स सिंबल बन गया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि गांवों की हर गली, मोहल्ले में पहुंचकर फल, सब्जी, आचार, आइसक्रीम कपड़े बेचने वाले यहां तक कि कबाड़ खरीदने वाले खूब ध्वनि प्रदूषण फैला रहे हैं।
एक बार लाउडस्पीकर रिकार्डेड ध्वनि शुरू कर देते हैं और उसे बंद करने का नाम ही नहीं लेते हैं। क्षेत्र में बहुत सारे व्यापारी अपने सामान को बेचने के लिए ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं और इस उबाऊ उद्घोषणाओं से जनता के कान पक जाते हैं, परंतु प्रशासन इस बाबत कड़ी करवाई नहीं कर रहा।
उक्त ध्वनि प्रदूषण की वजह से बच्चों की पढ़ाई पर भी प्रतिकूल असर हो रहा है, क्योंकि सीसीएसयू की परीक्षाएं नजदीक हैं और ध्वनि प्रदूषण की वजह से बच्चे पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहे। स्थानीय लोगो ने जिला प्रशासन से मांग की है कि उक्त बिना मतलब के ध्वनि प्रदूषण को तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए और नियमों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ कारवाई अमल में लाई जाए।
लाउडस्पीकर के शोर से क्या होते है नुकसान?
रिसर्च के अनुसार लगातार 85 डेसीबल तक का साउंड सुनने से इंसान बहरा हो सकता है। तेज ध्वनि से लोगों का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, तनाव होता है। तेज लाउडस्पीकर से उल्टी हो सकती है। इससे इंसान के नर्वस सिस्टम पर असर पड़ता है, जो बहुत घातक हो सकता है। दिल की बीमारी होती है। ज्यादा साउंड खून में केलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देता है। 120 डेसीबल से ज्यादा आवाज सुनने पर गर्भवती महिला के भ्रूण पर बुरा असर होता है 180 डेसीबल से ज्यादा साउंड इंसान को मार सकता है।
लाउडस्पीकर को लेकर कानून क्या कहता है?
नॉयज पॉल्यूशन रूल्स के अंतर्गत सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने चार अलग-अलग इलाकों के हिसाब से ध्वनि का मापदंड तय कर रखा है। इसके मुताबिक इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेसिडेंशियल और साइलेंस जोन में कितनी आवाज रहेगी, इसका मापदंड तय है। नियमों के मुताबिक, साइलेंस जोन में लाउडस्पीकर या कोई भी तेज आवाज वाला यंत्र बजाने पर रोक नहीं है। साइलेंस जोन में अस्पताल, स्कूल और कोर्ट जैसी जगहें शामिल हैं। हालांकि, अनुमति और शर्तों के साथ बजा सकते हैं। वहीं, दिन का समय यानी सुबह के 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक और रात का समय यानी रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक।
हरकत से बाज नहीं आ रहे ग्रामीण
लाउडस्पीकर के कानफोडू शोर का आलम यह है कि नो साइलेंट जोन में भी फेरी लगाने वाले दुकानदार हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं । स्कूल,अस्पताल के आसपास तक भी धड़ल्ले से लाउडस्पीकर चिल्ला चिल्ला कर सामान बेच रहे हैं। जिससे लोग खिन्न हैं और सरकार द्वारा उठाए गए फैसले से किसी हद तक सहमत हैं तो वही इन दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई न करने का भी अफसोस है।