एक युवा महिला पत्रकार को प्रख्यात लेखक एचजी वेल्स का इंटरव्यू लेने के लिए कहा गया। उसने कुछ ही दिनों पहले अपने कॅरियर की शुरुआत की थी। उसने बड़ी मेहनत से प्रश्न तैयार किए और उनके घर पहुंच गई। इतने बड़े लेखक के सामने जाने में उसे घबराहट हो रही थी। जब वह वेल्स के घर पहुंची तो वह अपना नया मकान अपने एक दोस्त को दिखा रहे थे। उन्होंने उस पत्रकार को भी वहीं बुला लिया। तीसरी मंजिल पर एक छोटे से कमरे को दिखाते हुए उन्होंने कहा, यह मेरा बेडरूम है। इस पर उनके मित्र ने पूछा, पर आप निचली मंजिल में बने इतने शानदार कमरों का उपयोग अपने शयन-कक्ष के रूप में क्यों नहीं करते? वेल्स बोले, वे मेरी नौकरानी और रसोइये के लिए हैं, जो पिछले बीस वर्षों से मेरे साथ हैं। यह सुनकर मित्र को थोड़ा आश्चर्य हुआ। वह सोचने लगा कि कहीं यह महाशय सनकी तो नहीं है। उसने कहा, आमतौर पर तो लोग छोटे कमरे अपने नौकरों के लिए रखते हैं। यह सुनकर वेल्स मुस्कराए, फिर बोले, लेकिन मेरे मकान और मेरे दिल में ऐसी व्यवस्था नहीं हैं, क्योंकि मैं बिल्कुल नहीं भूला कि मेरी मां भी किसी समय लंदन के एक घर में नौकरानी का काम करती थी। यह कहते हुए वेल्स की आंखें नम हो गई थीं। महिला पत्रकार यह सब चुपचाप सुन रही थी। एक प्रतिष्ठित लेखक के मन में समाज के निम्न वर्ग के प्रति सम्मान के इस भाव को देख वह अभिभूत हो गई। उसने ने तो ऐसा कभी देखा था और न ही सुना था। वेल्स के लिए उसके मन में इज्जत पहले से भी ज्यादा बढ़ गई। उसके भीतर का रहा-सहा डर भी खत्म हो गया। उसने वेल्स से खुलकर सवाल पूछे और एक बेहतरीन इंटरव्यू तैयार हुआ।