अशोक कुमार श्रीवास्तव
प्रकृति की अनुपम देन इस मनुष्य जीवन को हम सौ वर्ष तक आसानी से जी सकते हैं किंतु अपनी ही कुछ असावधानियों के कारण हम इस जीवन को अपने ही हाथों नष्ट कर रहे हैं। चंद सावधानियों से हम सभी जीवन के सौन्दर्य का भरपूर आनंद ले सकते हैं।
कहते हैं चालीस वर्ष के बाद ही मनुष्य के जीवन की शुरुआत होती है, किन्तु इसके साथ-साथ आपको इस अवस्था तक पहुंचने के बाद स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। चुस्त-दुरूस्त, बीमारी से दूर एवं मोटापे के बिना आप स्वस्थ भी रहेंगे और जवां भी दिखेंगे। इसके लिए आवश्यक है उचित आहार एवं उचित व्यायाम की जो उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि कुल 15 कारण हैं, जिनके कारण चालीस वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते न केवल व्यक्ति विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिरने लगता है वरन समय से पहले ही बूढ़ा दिखाई देने लगता है।
ये कारण हैं
अधिक खाना, तला व वसायुक्त भोजन, मांसाहारी भोजन का अधिक मात्रा में सेवन, अधिक पका हुआ खाना जिससे पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं, भोजन का गलत तालमेल, बासी खाना, पानी कम पीना, व्यायाम की कमी, धूप से मिलते विटामिन डी की कमी, अनियमित खाना, कम सोना तथा व्यायाम, धूम्रपान, अधिक मद्यसेवन, अपनी उम्र के साथ खान-पान में उचित बदलाव न करना, तनाव, जीवन के प्रति उदासीनता व अपने प्रति लापरवाही।अत: व्यक्ति का चालीस वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते व्यापक रूप से अपनी सेहत के प्रति सचेत रहना इतना आसान नहीं है किन्तु कुछ खानपान व व्यायाम को विशेष रूप से ध्यान में रखकर वर्तमान युग के इस भौतिक जीवन के व्यस्त वातावरण में भी अपने जीवन को नया रूप दे सकते हैं। मनुष्य देह की कोशिकाएं सदैव बनती-बिगड़ती रहती हैं। वे कभी स्थिर नहीं रहती। अत: उचित आहार इसमें अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है। कुछ विशेष आहार आप अपने आहार में शामिल करें।
दही
चालीस वर्ष की अवस्था से ही हाजमे में गड़बड़ी देखने को मिलती है। किसी को कब्ज तो किसी की पाचन क्रिया क्षीण हो जाती है। जो अपने सेहत के प्रति सचेत होते हैं, उचित आहार को अपनाते हैं, वे इस प्रकार की शिकायतें से यथासंभव दूर रहते हैं। दूध व मलाई आदि से बनी सामग्री का त्याग कर केवल मलाई रहित दही उपयोग में लाएं तो इससे बेहतर कुछ नहीं क्योंकि दही न केवल आपका हाजमा ठीक रखता है वरन् यथासंभव पेट की आंतडि?ों को भी स्वस्थ रखता है।
शहद
शहद एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो 100 वर्षों तक अपनी पौष्टिकता बरकरार रख सकता है। यह पाचन क्रिया के लिए न केवल श्रेष्ठ है वरन शक्तिवर्धक भी है। दमकते चेहरे के लिए या मोटापा कम करने के लिए इसे आप दूध, सलाद, नींबू के साथ भी उचित तालमेल बिठाते हुए आहार में शामिल कर सकते हैं।
विटामिन बी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि विटामिन-बी का होना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह आपको यथासंभव जवां रखने में सहायक सिद्ध होता है, सफेद बाल होने की शिकायत को दूर करता है, मांसपेशियां दर्द होने की शिकायत नहीं होती, मुंह के अन्दर छाले आदि की शिकायत से दूर रह सकते हैं। बादाम, आडू, सूखे मेवे, टमाटर, सेब, ज्वार में इसके उत्तम गुण पाए जाते हैं। इनको आप अपने आहार में प्रयोग करें।
विटामिन सी
हमारे जीवन का रक्षक तथा जवां होने के राज का श्रेय आप निश्चित रूप से विटामिन – सी को ही दे सकते हैं। इसी के कारण आप न केवल चुस्त-दुरूस्त व जवान दिखते हैं वरन स्वयं को हल्का महसूस करते हैं। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों से आपको यथासंभव दूर रखता है। विभिन्न प्रकार की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक शक्ति शरीर में बनाए रखता है। विभिन्न संक्रामक रोगों से वंचित रखता है। अत: आंवला, नींबू, जैसे विटामिन-सी से भरपूर फलों को अपने आहार में शामिल करें।
धूप
चूंकि मनुष्य प्रकृति का अभिन्न रूप है, इसलिए धूप व पानी उसके लिए अनिवार्य माने गए हैं। धूप में विटामिन डी मिलता है। इसमें भी ध्यान रखने वाली बात है कि दोपहर की धूप न हो। प्रात: कालीन सैर के साथ-साथ सुबह की धूप लेना अनिवार्य है। चालीस वर्ष के पश्चात व्यक्ति को अपने दांत व हड्डियों के प्रति विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है। रागी, चना, दाल, सोयाबीन, ताजी हरी पत्तियों वाली सब्जियां मछली का तेल इसके लिए उचित माना गया है।
विटामिन ई
जवान रहने के लिए विटामिन-ई शरीर के लिए अनिवार्य माना गया है। इससे न केवल शरीर की त्वचा स्वस्थ आभायुक्त रहती है वरन् इसमें कैंसर रोधक क्षमता भी पाई गई है। चालीस वर्षीय व्यक्ति को प्रतिदिन 300 से 400 मि. ग्राम तक विटामिन-ई की खुराक लेनी चाहिए चाहे वह दवा के रूप में हो या प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के द्वारा हो।
पुरुषों से अधिक महिलाओं को इसकी आवश्यकता होती है। इन विटामिनों को अपने आहार में शामिल करने से पूर्व एक बार अपने डॉक्टर या डाइटीशियन से परामर्श आवश्यक लें क्योंकि अनुचित मात्रा में विटामिन लेना हानिकारक भी हो सकता है।
लौह तत्व (आयरन)
हमारे शरीर में अगर लौह तत्व की मात्रा शून्य होगी तो हम जीवित नहीं रह सकते। शरीर में लौह तत्व अनिवार्य माना जाता है। चालीस वर्ष के बाद मोटापा, जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों का दर्द, सांस लेने में तकलीफ, पीलापन आदि शरीर में लौह तत्व की कमी के कारण जिसे आप, खजूर, हरी सब्जियां, सोयाबीन, खसखस द्वारा प्राकृतिक रूप से दूर कर सकते हैं किन्तु दवा के रूप में लेने से पूर्व डॉक्टर से परामर्श की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त चीनी व नमक दोनों ही आहार में कम करने की जरूरत है। भोजन में पोटाशियम व फॉस्फोरस की उचित मात्रा की भी आवश्यकता है। केला खाना इसके लिए उत्तम माना गया है। अधिक पानी, कम खाना, फल तथा फलों का रस आदि जवान रहने के रहस्य बताये गए हैं।