जनवाणी संवाददाता |
झबरेड़ा: जिला पंचायत अध्यक्ष सुभाष वर्मा ने कहा कि कुंजा बहादुरपुर गांव से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ़ सन 1822 में राजा विजय सिंह के नेतृत्व में आजादी की पहली लड़ाई शुरू हुई । जिसमे राजा सहित सेनापति कल्याण सिंह भूरा व 151 लोग आज के दिन ही अंग्रेजों से लोहा लेते हुये शहीद हुये थे। इसलिये आजादी की जंग में कुंजा बहादुरपुर का विश्व में अलग स्थान है।
कुंजा बहादुरपुर स्थित शहीद राजा विजय सिंह स्मारक पर शहीदी दिवस पर बोलते हुये अध्यक्ष जिला पंचायत हरिद्वार सुभाष वर्मा ने कहा कि कुंजा बहादुरपुर गांव का नाम स्वतंत्रता समर के इतिहास के पन्नो पर भारत से लेकर नीदरलैंड की लाइब्रेरी तक अंकित है।आजादी का पहला बिगुल सन 1822 में राजा विजय सिंह की अगुवाई में इसी गांव से शुरू हुआ था। 3 अक्टूबर सन 1824 में फिरंगियों की सेना ने इस गांव को चारो ओर से घेरकर पूरे गांव को शहीद कर दिया था।
सहारनपुर गजट व नीदरलैंड लाइब्रेरी के मुताबिक स्वतंत्रता संग्राम में 151 लोग शहीद हुये थे। इसलिये आज के दिन शहीद स्मारक पर शहीदी दिवस मनाया जाता है। भगवानपुर विधायक ममता राकेश ने कहा कि इस गांव के इतिहास से हमे देश प्रेम की प्रेरणा मिलती है। स्मारक स्थल के उच्चीकरण के लिये हर सम्भव प्रयास चल रहे है।झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल ने कहा कि कुंजा बहादुरपुर के कुर्बानी वाले इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करवाने के लिये वह विधानसभा में भी प्रशन उठा चुके है और शहीद राजा विजयसिंह की कुर्बानियों को इस मौके पर जिला सहकारी बैंक के चेयरमेन प्रदीप चौधरी, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं जिला पंचायत सदस्य सुबोध राकेश, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष सुशील चौधरी, इकबालपुर गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन चौधरी महावीर सिंह संजय, गुर्जर आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेन्द्र चौधरी, नन्द सिंह, टीटू चौधरी, लाखन सिंह, जितेंद्र सिंह, प्रमोद साधुराम, अनिल कुमार, ओमकुमार, चंकी चौधरी, नितिन तेजपाल, आजाद सिंह, काला सिंह, सेठपाल, समय सिंह, रोहतास आर्य, एडवोकेट यशपाल सिंह, वीरेंद्र चौधरी, नंद सिंह योगेश प्रधान, आदेश आदि मौजूद रहे।
कुंजा बहादुर पुर की इस खबर में गलत तथ्य दिए गए है।पूरा गांव कभी भी शहीद नही हुआ।खबर भी मौके के अनुरूप नही है।लगता है संवादाता ने बिना जाए ही खबर लिख दी।