Friday, April 26, 2024
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नवमी विशेष: मर्यादा व मूल्यों का प्रतीक दिव्य नाम ‘राम’

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SANSKAAR


Ghanshyamमात्र दो अक्षर के नाम ‘राम’ की अद्भुत महिमा है। राम जीवन के हर क्षेत्र में समाए हैं। धर्म, दर्शन, अध्यात्म, साहित्यऔर राजनीति सब अपने अपने तरीके से राममय रहे हैं समय-समय पर। राम एक ऐसी प्रबल आस्था है, जो कहलवा लेती है, ‘सबकी भली करेंगे राम’। तर्क और नास्तिकता के इस विज्ञान् ायुग में राम, उनके जन्म व जन्मोत्सव पर कितने ही सवाल खड़े किए जाने के बावजूद कम से कम भारत में तो राम को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। राम भारतीय जनमानस में युगों से पैठे हैं और ऐसे कोई संकेत भी नहीं मिल रहे कि भारत की संस्कृति से राम कभी अलग किए जा सकेंगे

कालातीत मयार्दा पुरुषोत्तम                     

मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाने वाले राम अपने समय के एक छोटे से राज्य अयोध्या के राजा दशरथ के पराक्रमी बेटे, पितृ आज्ञा के पालक, दुष्टहंता शोषितों व पीड़ितों के रक्षक, नारी का सम्मान करने व बचाने वाले नायक, अपनी प्रजा के भावों को समझने व उन्हें महत्ता देने वाले राजा, अपने न्याय के बल पर रामराज को अक्षुण्ण व अमर बना देने वाले ऐसे राजा थे, जो अपनी पत्नी का महज एक धोबी के लांछित करने पर त्याग कर देने वाले और फिर उसी के वियोग में सरयू में जल समाधि लेकर, जान दे देते हैं। बेशक राम में कुछ तो ऐसा है ही कि वे कालपार होने का नाम नहीं लेते। विवादों में रहकर भी पूज्य बने रहते हैं। अपने जाने के लाखों साल बाद भी अमूर्त रूप में जिंदा रहते हैं।

दशरथ के घर जन्मे राम                                

भले ही दशरथ पुत्र राम के जन्म व उनके काल निर्धारण पर विद्वान एकमत न हों, राम के अस्तित्व पर उंगलियां उठाते हों पर सुखसागर जैसे ग्रंथों में राम का जन्म त्रेता में होना माना गया है। जिसके अनुसार कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है जो कि सबसे छोटा युग है। द्वापर उससे दोगुना व त्रेता उससे भी दोगुना होना मानते हैं। इस तरह राम आज से कम से कम 12 से 14 लाख वर्ष पूर्व हुए थे। मिथकों व कालगणना के हिसाब से चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी राम की जन्मतिथि है। एक विद्वान ने तो राम की जन्म तिथि 5414 ईसा पूर्व यानि चैत्र मास के शुक्लक्ल पक्ष की नवमी को सिद्ध भी की है। अब यह आकलन कितना सही या गलत है, यह तो नहीं कहा जा सकता पर यह सच है कि राम आज भी उच्च जीवन मूल्यों व त्याग के लिए प्रेरित करते हैं।

संस्कृति व मूल्यों का प्रतीक                                          

आज भी राम का नाम भारतीय संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों व मूल्यों का प्रतीक है। सार रूप में कहें तो राम की छवि आज भी एक आदर्श पुत्र, पति, भाई व शासक की है और इसी से प्रेरित हो आम आदमी ‘रामराज’ के सपने पालता है आज भी। आज भी राम आदर्श भारतीय समाज के प्रतीक पुरुष हैं। समाज उनमें एक मर्यादा पुरुषोत्तम शासक, लोकरंजक जनकल्याणकारी महान राजा के दर्शन करता है।

पूर्ण अवतार मोक्षदायी राम                                         

राम भगवान हों या न हों पर आदर्श जननायक तो ठहरते ही हैं। जनश्रुतियों व रामायण की कथा में राम अहिल्या, केवट, शबरी, सुग्रीव, जटायु या विभीषण जैसे हर आस्थावान त्रस्त व पीड़ित पात्र को संकट से मुक्त करते हैं। वे उनके के शाप, ताप, शोक व संताप हरते हैं। इस कथा के अनुसार तो जो भी जाने या अनजाने में भी राम की शरण में जाता है, उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

दुष्टहंता व पराक्रमी                                       

वे जरूरत पड़ने पर दुर्बलों को सताने, मारने तथा उनका शोषण करने वालों को पहले तो सत्पथ पर लाने का प्रयास करते हैं पर जब ऐसे लोग अत्याचार की सीमा पार करने लगते हैं, तब राम दुष्टहंता बन जाते हैं। सागर को सोंख लेने तक पर उतर आते हैं। अग्नि बाण साध लेते हैं। दूसरों की ताकत को ही अपनी ताकत बना प्रयोग करने वाले, दुराचारी बाली जैसों का छुपकर भी वध करने से परहेज नहीं करते हैं। स्त्री उद्धारक होने के बावजूद वे स्त्री जाति को बदनाम करने वाली ताड़का और लंकिनी का वध भी करते हैं। यानि राम में पराक्रम कूट-कूट कर भरा है।

सब जग चाहे राजा राम                                     

राम, धर्मनिरपेक्ष हैं, जाति-पांति तथा ऊंच-नीच से दूर हैं। राजा के रूप में राम का कोई सानी नहीं है। वे अपने राज्य की ऐसी व्यवस्था करते हैं कि रामराज्य आने वाले युगों के लिए भी एक आदर्श राज्य बन जाता है। कहने वाले सही ही कहते हैं कि जहां राम जैसा राजा हो वहां अनिष्ट नहीं हो सकता। राम स्वयं सादा जीवन उच्च विचार का पालन करते हैं, पर अपनी प्रजा को सारी सुविधाएं व सुख देने में कोई कसर नहीं उठा रखते। आज भी प्रजा अपने शासकों में राम की छवि ढूंढती है।

कुशल प्रबंधक व दक्ष सेनानायक                                   

छोटे-छोटे संसाधनों का सही उपयोग सीखना हो तो राम आज भी एक आदर्श प्रबंधक ठहरते हैं। राम ऐसे दक्ष सेनानानायक हैं कि दिव्य अस्त्र-शस्त्रों से युक्त महाबली रावण को मायावी पुत्रों, राक्षसों व लंका की सेना सहित महज बंदर भालुओं की मदद से परास्त कर देते हैं। आज के परिप्रेक्ष्य में कह सकते हैं कि राम उच्च श्रेणी के ऐसे एमबीए हैं, जो उपलब्ध संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग में सिद्धहस्त हैं।

साहित्य के चितेरे राम                                        

साहित्य में भी राम का वर्णन अनुपम है। राम कबीर के लिए निराकार, तुलसी के लिए साकार हैं। वाल्मीकी प्रेरणा हैं, महाकवि भास व कंबन उन पर रीझते हैं, तुलसी उनके भक्त हैं, केशव की राम के बिना कोई महत्ता नहीं बचती है। निराला ‘राम की शक्ति पूजा’ व मैथिलीशरण अपने काव्य ‘साकेत’ के माध्यम से आधुनिक युग में उनकी प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए उन्हे ‘कलियुग’ में भी प्रेरक मानते हैं। राम दिव्य हैं, कालातीत हैं, आज भी एक आदर्श एवं मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में स्थापित हैं। राम के चरित्र एवं कार्यों तथा व्यवहार से युगों-युगों से प्रेरणा ली जा रही है और आगे भी ली जाती रहेगी।

राम नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि               

राम नवमी का पर्व पंचांग के अनुसार 21 अप्रैल 2021 को मनाया जाएगा। इस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। राम नवमी का पर्व भगवान राम के जन्म दिन के रूप में मनाते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार रामचंद्र जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी की तिथि पर हुआ था। इस वर्ष चैत्र शुक्ल की नवमी की तिथि 21 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन विशेष योग भी बन रहा है।

पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था भगवान राम का जन्म                   

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का जन्म कर्क लग्न में हुआ था। इसके साथ जन्म के समय नक्षत्र पुनर्वसु था। ज्योतिष शास्त्र में कर्क लग्न का स्वामी चंद्रमा और पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी देव गुरू बृहस्पति हैं। पुनर्वसु नक्षत्र की गिनती शुभ नक्षत्रों में की जाती है।

राम नवमी का महत्व                                             

राम नवमी का पर्व विशेष माना गया है। भगवान राम की शिक्षाएं और दर्शन को अपनाकर जीवन को श्रेष्ठ बनाया जा सकता है। भगवान राम को मर्यादा पुरूषोत्तम कहा गया है। भगवान राम जीवन को उच्च आदर्शों के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं। राम नवमी के पावन पर्व पर भगवान राम की पूजा अर्चना की जाती है, व्रत रख कर भगवान राम की आराधना करने से जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है।

राम नवमी का शुभ मुहूर्त

  • नवमी तिथि आरंभ: 21 अप्रैल, रात्रि 00:43 बजे से
  • नवमी तिथि समापन: 22 अप्रैल, रात्रि 00:35 बजे तक
  • पूजा का मुहूर्त: प्रात: 11 बजकर 02 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
  • पूजा की कुल अवधि: 02 घंटे 36 मिनट
  • रामनवमी मध्याह्न का समय: दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर

पूजा विधि                                                     

नवमी के दिन प्रात:काल स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। हाथ में अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें। भगवान राम का पूजन आरंभ करें। पूजन में गंगाजल, पुष्प, 5 प्रकार के फल, मिष्ठान आदि का प्रयोग करें। रोली, चंदन, धूप और गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें। तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करें। पूजन करने के बाद रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ करना अति शुभ माना गया है। समापन से पूर्व राम की आरती करें।


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