- शासन-प्रशासन के स्तर से कारीगरों के सत्यापन और चरित्र की जांच गंभीरता से कराने की जरूरत कर रही महसूस
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सराफा बाजार में आभूषण तैयार करके आजीविका कमाने वाले बंगाली कारीगरों के बीच दशकों से काम करने वाले ऐसे साथी भी निकल आते हैं, जिनका ईमान डोल जाता है और वे सोना लेकर फरार हो जाते हैं। मेरठ के सराफा कारोबार को बचाने के लिए मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन (एमबीटीए) सराफा कारोबारियों में जागरूकता के साथ-साथ शासन-प्रशासन के स्तर से कारीगरों के सत्यापन और चरित्र की जांच गंभीरता से कराने की जरूरत महसूस कर रही है।
मेरठ का सराफा बाजार देश-विदेश में अपनी कला के लिए ख्याति अर्जित कर रहा है। मेरठ में करीब पांच हजार सराफा कारोबारी हर दिन करोड़ों का व्यापार करते हैं। इन सराफा कारोबारियों का आभूषण तैयार करने का धंधा बंगाल से आकर कई दशक से रहने वाले कारीगरों पर काफी हद तक निर्भर होता है। यही कारीगर अपने हुनर को आभूषणों पर उकेरते हुए उसकी कीमत में इजाफा करने का काम करते हैं।
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन (एमबीटीए) के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल और महासचिव विजय आनंद अग्रवाल का कहना है कि सराफा बाजार में 30 हजार से अधिक बंगाली कारीगर हैं, जो कच्चे सोने से आभूषण बनाने में विशेषज्ञ हैं, और दशकों से यहां काम कर रहे हैं। यह कारीगर प्रह्लादनगर, पत्थरवालान, शीशमहल, डालमपाड़ा, जत्तीवाड़ा, ठठेरवाड़ा, पत्ता मुहल्ला, बनवटान समेत महानगर के विभिन्न मोहल्लों में अपने आवास बनाकर या किराये पर लेकर रहते हैं।
यह कारीगर ज्वैलर्स से कच्चा सोना ले जाकर अपने घर पर आभूषण तैयार करने का काम करते हैं। पूरा कारोबार आपसी विश्वास पर आधारित है। इन्हीं में शामिल इक्का-दुक्का कारीगर ऐसे निकल आते हैं, जो सराफा कारोबारियों का सोना लेकर गायब हो जाते हैं। अधिकांश मामलों में गायब हुए कारीगर और सोने को वापस पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। सोने के साथ श्रमिकों के भागने की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन (एमबीटीए) और मेरठ बंगाली स्वर्णकार वेलफेयर एसोसिएशन (एमबीएसडब्ल्यूए) की ओर से बंगाली कारीगरों के सत्यापन के सभी जरूरी कदम उठाए जाते हैं। इसके बावजूद ऐसी घटनाओं को शत-प्रतिशत रोक पाना अभी तक मुमकिन नहीं हो सका है। एमबीटीए के पदाधिकारियों का कहना है कि सभी कारीगरों का विवरण जिसमें उनका नाम, स्थानीय पता, स्थायी पता, उनके रिश्तेदारों के नाम और पते, मोबाइल नंबर और पुलिस स्टेशन का सत्यापन करने और पुलिस के माध्यम से उनका चरित्र सत्यापन भी कराया जाना आवश्यक है।
वहीं मेरठ बंगाली स्वर्णकार वेलफेयर एसोसिएशन (एमबीएसडब्ल्यूए) के महामंत्री मनोज मंडल का कहना है कि संगठन के अध्यक्ष शेख दिलावर हुसैन की ओर से सराफा व्यापारियों से अपील की गई है कि वे एसोसिएशन की गारंटी के बिना किसी भी कारीगर को सोना न दें। बंगाली एसोसिएशन के मनोज मंडल ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के कारण ज्वैलर्स उन कारीगरों को सोना दे देते हैं, जिन्होंने काम करने की एवज में कम शुल्क लिया होता है।
कारीगरों को लेकर गहन छानबीन की जरूरत
मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन (एमबीटीए) और मेरठ बंगाली स्वर्णकार वेलफेयर एसोसिएशन (एमबीएसडब्ल्यूए) के बीच इस बात की इन दिनों खूब चर्चा है कि कुछ कारीगर आॅनलाइन ऐप्स के झांसे में आकर गलत रास्ता अपनाते हुए जुएं आदि की लत की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे कारीगर अपनी तमाम कमाई गंवाने के बाद सोना लेकर फरार होने का अपराध कर बैठते हैं। ऐसे में कारीगरों को लेकर गहन छानबीन कराए जाने की जरूरत है।
भागने वालों को अपने राज्य में मिलता है संरक्षण
सराफा कारोबारियों का यह भी कहना है कि सोना लेकर फरार होने वाले कारीगरों को उनके अपने राज्य में राजनीतिक संरक्षण देने वालों की भी कोई कमी नहीं होती है। अगर ऐसे कारीगरों का पता लगाकर उनके घरों पर दबिश देकर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया जाता है, तो बंगाल में उन्हें स्थानीस्तर पर राजनीतिक और पुलिस के स्तर से संरक्षण मिल जाता है। ऐसी कई घटनाएं हुई हैं,
जिनमें दबिश देने गई पुलिस को विरोध के चलते बैरंग लौटकर आना पड़ता है। बताया गया है कि ऐसा करने वाले कारीगरों को संरक्षण देने की एवज में उनसे हिस्सा लिया जाता है। हालांकि अब ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए रणनीति बनाने का काम मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन की ओर से चल रहा है।
फैक्ट्री फ्लेटिड काम्पलेक्स करेगा स्थायी समाधान
एमडीए की ओर से ऐसी भूमि की तलाश की जा रही है, जहां सराफा व्यापारियों की लिए फैक्ट्री फ्लेटिड काम्पलेक्स तैयार किया जा सके। इसमें करीब 300 फैक्ट्री बनाकर वहीं पर कारीगरों को रहने लिए आवासीय सुविधा दी जा सकेगी। इसके अलावा सिंगल गेट सुविधा होने के कारण कारीगर किसी व्यापारी का सोना आदि लेकर बाहर नहीं जा सकेंगे। मेरठ बुलियन ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि कारीगरों के सत्यापन के लिए एसएसपी मेरठ भी काफी गंभीर हैं,
जिन्होंने मेरठ में काम करने वाले कारीगरों और ठेकेदारों के माध्यम से सत्यापन का काम तेजी से कराने की बात कही है। हालांकि संगठनों के स्तर से यह काम कराया जा रहा है, लेकिन अभी तक करीब 1200 कारीगरों का ही सत्यापन हो सका है। जिसमें तेजी लाए जाने की जरूरत है। इसके अलावा मेट्रो और हाइवे के निकट ऐसे स्थान की तलाश एमडीए के स्तर से हो रही है जहां फैक्ट्री फ्लेटिड काम्पलेक्स का निर्माण कराया जा सके।