- आधुनिकता से कदमताल: ट्रैक पर पेट्रोलिंग की भी जरुरत नहीं, कोहरे में भी समय से पहुंचेंगे गंतव्य
- ट्रेन में फॉग डिवाइस सेफ्टी से भी आधुनिक तकनीक का प्रयोग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ठंड के मौसम में जहां भारतीय रेलवे का ढर्रा बिगड़ जाता है और कई रेलें बपटरी हो जाती है, वहीं भारत की पहली सेमी हाई स्पीड रैपिड ट्रेन ठंड व कोहरे को मात देगी। घने कोहरे में जहां विजिबिलिटी शून्य होगी वहां भी रैपिड हवा से बात करेगी। यह सब आधुनिक तकनीक के बल पर संभव होगा।
दरअसल, भारतीय रेलवे अभी तक भी पुराने ट्रैक पर घिसट रही है। वन्दे भारत के बाद रैपिड के संचालन से अब भारतीय रेलवे के कायाकल्प की सुगबुगाहटें भी शुरू हो गई हैं। एनसीआरटीसी के अधिकारियों के अनुसार मेरठ से दिल्ली जाने वाले डेली पैसेंजर्स को ठंड के समय में अक्सर ट्रेनों के लेट होने के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। भारतीय रेलवे के पुराने सेटअप में ठंड के मौसम के दौरान जहां रेलवे ट्रैक पर अक्सर पेट्रोलिंग बढ़ानी पड़ती थी।
वहीं, रेलवे संकेतकों के पास गिट्टियों को चूने से रंगा जाता था। हालांकि फॉग सेफ्टी डिवाइस के माध्यम से कोहरे को काटने की पूरी कोशिशें भारतीय रेलवे द्वारा की जाती थीं, लेकिन इन सब के बावजूद ट्रेनें अक्सर लेट होती थीं। रैपिड में ऐसा नहीं होगा। इसमें फॉग सेफ्टी डिवाइस से कहीं ज्यादा आधुनिक तकनीक के माध्यम से रैपिड की रफ्तार को कोहरे में भी कम नहीं होने दिया जाएगा। शून्य विजिबिलिटी में भी रैपिड को दौड़ाने की पूरी तैयारी की जा रही है।
एनसीआरटीसी अधिकारियों के अनुसार रैपिड ट्रेनों में ऐसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है कि घने कोहरे में भी रैपिड के संचालन पर कोई प्रभाव न पड़े। जब दिल्ली से मेरठ के बीच रैपिड के 82 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर पर रैपिड दौड़ेगी तब उसमें दिल्ली से मेरठ और मेरठ से दिल्ली के बीच लगभग आठ लाख यात्री प्रतिदिन सफर करेंगे। रेलवे से जुड़े सूत्रों एवं सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारियों के अनुसार यदि कोहरे में रैपिड संचालन वाली तकनीक काम कर गई तो फिर भारतीय रेलवे की अन्य ट्रेनों में भी यही आधुनिक पद्धति अपनाई जानी चाहिए।