मित्र ऐसा मोती है, जिसे गहरे सागर में डूबकर ही पाया जा सकता है। सच्ची मित्रता जीवन का वरदान है। एक सच्चा मित्र मिलना सौभाग्य की बात होती है। सच्चा मित्र मनुष्य की सोयी किस्मत को जगा सकता है और भटके को सही राह दिखा सकता है। तिरुवल्लुवर ने कहा था- ‘जो तुम्हें बुराई से बचाता है, नेक राह पर चलाता है और जो मुसीबत के समय तुम्हारा साथ देता है, बस वही मित्र है।’ सच कहें तो मित्रता दो हृदयों को बांधनेवाली प्रेम की डोर होती है। मित्रता वह बंधन है जो दो समान विचारों वालों को परस्पर साथ ला देता है। एक दूसरे के सुख-दु:ख का साथी बना देता है। भर्तृहरि ने कहा है कि जो सुख तथा दु:ख में साथ दे तथा समान क्रियावाला हो, उसे मित्र कहते हैं।
मनुष्य जीवन के पथ पर एकाकी चलने में कठिनाई का अनुभव करता है, उसे वैसे व्यक्ति की खोज रहती है, जो उसके हर्ष और विषाद में साथ देनेवाला हो, जिसके समक्ष वह मनप्राणों की कोई लिपि गुप्त न रहने दे, जिसपर अपने विश्वास की दीवार खड़ी कर सके।
अरस्तू ने कहा है- ‘मित्रों के बिना कोई भी जीना पसंद नहीं करेगा, चाहे उसके पास बाकी सब अच्छी चीजें क्यों न हो।’ मित्रता की तलाश आदमी की सहज वृति है। सच्चे मित्र की प्राप्ति उसका सौभाग्य है।
मित्रता मन की प्यास है, जिसके लिए मनुष्य तड़पता रहता है और वह बड़ा ही भाग्यवान है, जिसकी प्यास बुझ जाती है। इसलिए, मित्रता का बड़ा ही गुणगान किया गया है। यदि मित्रता असली हो, तो वह स्वर्गीय प्रकाश है, और नकली हो, तो नरकीय अंधकार।
रामचंद्र शुक्ल ने कहा है -सच्ची मित्रता में उत्तम से उत्तम वैद्य की सी निपुणता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमलता होती है, ऐसी ही मित्रता करने का प्रयत्न प्रत्येक को करना चाहिए।’ वास्तव में सच्ची मित्रता फॉसफोरस की तरह ज्योति फैलाकर मित्र के संकट के अंधकार को क्षणभर में दूर कर देती है।
सच्चा मित्र वह है, जो सदा मित्र की भलाई चाहता है, उसके लिए अपने प्राणों की आहुति देने के लिए भी तैयार रहता है। वह अपने मित्र से केवल स्वार्थ साधने की फिराक में नहीं रहता। वह बराबर अपने मित्र को बुरे मार्ग पर जाने से रोक कर सुपथ पर चलाने का प्रयास करता है।
गांधी जी ने कहा था-‘मित्रता की परीक्षा विपत्ति में दी गई मदद से होती है और वह मदद बिना शर्त होनी चाहिए।’ जब मनुष्य पर विपत्ति के काले-काले बादल घनीभूत अंधकार के समान जमा हो जाते हैं और चारों दिशाओं में निराशाओं के अंधकार के अलवा और कुछ दिखाई नहीं पड़ता है तब केवल सच्चा मित्र ही एक आशा की किरण के रूप में सामने आता हैं।
वह तन-मन और धन से मित्र की सहायता करता है और विपत्ति के गहन गर्त में डूबते हुए मित्र को निकाल कर बाहर ले जाता है। मित्रता करना तो आसान है, लेकिन निभाना बहुत ही मुश्किल। आज मित्रता का दुरुपयोग होने लगा है। लोग अपने सीमित स्वार्थों की पूर्ति के लिए मित्रता का ढोंग रचते हैं।
मित्र जो केवल काम निकालना जानते हैं, जो केवल सुख के साथी हैं और जो वक्त पड़ने पर बहाना बनाकर किनारे हो जाते हैं। वे मित्रता को कलंकित करते हैं। मित्रता जीवन का सर्वश्रेष्ठ अनुभव है। कपटी मित्र बड़े घातक होते हैं। उनकी मित्रता केवल शब्दों की मित्रता होती है।
ऐसे दगाबाज मित्रों के भावों में धोखा होता है, किंतु भाषा में सरलता रहती है। ये बिडालव्रती मित्र गोबर की बर्फी पर सोने का वरक लगाकर अपना उल्लू सीधा करते हैं। ये मित्र को ललकार कर आगे तो बढ़ा देते है, किंतु पीछे से लंगी मारने में इन्हें न संकोच होता है और न लाज ही लगती है।
धन की वर्षा करते रहने पर ये बरसाती मेंढक की तरह अनर्गल प्रशंसा तो करते रहते हैं, किंतु ज्योंहि संपत्ति का प्लावन अवरुद्ध हुआ, फिर ये कहाँ छिप जाते हैं, पता भी नहीं चलता। मित्रों के पास ऐसे मित्र तभी तक मंडराते रहते हैं, जब तक उनके पास लुटाने को पैसे होते हैं, किंतु दीनता और संकट में साथ छोड़ देते हैं। ये तो मीठे-धीमे जहर हैं, जो कभी मित्र की जान ले सकते हैं।
शत्रुओं से रक्षा पा लेना आसान है, किंतु ऐसे कपटी कालनेमि मित्रों से तो बड़े सावधानी से ही उबर सकते है। ऐसे मित्र सागर की तह में छिपी हुई चट्टान है, जो किसी समय जीवन के जहाज को जलमग्न कर सकते हैं। मित्रता व्यक्ति के लिए विभू का विमल वरदान है।
इसके अभाव में समाज संग्राम-स्थल में रूपान्तरित हो जाएगा। वेदना से बोझिल हताश, निराश मानव सम्वेदना के कोमल संस्पर्श के लिए तरसता रहेगा। दु:खों में कोई किसी को सान्त्वना की संजीवनी समर्पित नहीं करेगा।
व्यक्ति जब कभी विपदाओं के बाण से विद्ध हो जाता है और जीवन में निराशा का नैशान्धकार छा जाता है तब सच्चा मित्र ही अपने सहयोग और सदपरामर्श की ज्योत्स्ना से हमारे जीवन को ज्योतित कर हमें संकट से त्राण दिलाता है।
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