Wednesday, March 26, 2025
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आखिर क्यों डूबी आप की नैया

Samvad 47

आखिरकार दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन ही गई और 27 सालों का सूखा खत्म हुआ। राजधानी की जीत हर राज्य से बड़ी जीत मानी जा रही है। बीते दशकभर में बीजेपी केंद्र के अलावा कई राज्यों में सरकार बनाने में कामयाब हुई लेकिन यहां मोदी लहर के बावजूद भी केजरीवाल दिल्ली में सत्ता पर काबिज रहे। माना यह भी जा रहा था कि यदि इस बार दिल्ली में बीजेपी की सरकार नहीं बनती तो बीजेपी के सम्मान को ठेस व छवि पर बडा डेंट पड जाता। लेकिन इस बार दिल्ली को बीजेपी के रूप में डबल इंजन की सरकार मिल गई और जनता ने मोदी के चेहरे पर विश्वास किया। जैसा कि बीजेपी अंत तक सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करती तो दिल्ली को लेकर भी वही रणनीति अपनाई और कामयाब भी हुए। आम आदमी पार्टी की स्थिति इतनी दयनीय हुई कि चोटी के नेता भी अपनी सीट बचाने में कामयाब नहीं हो पाए। यदि सबसे पहले आप संयोजक व पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बात करें तो वह भी नई दिल्ली से प्रवेश वर्मा से हार गए। वहीं पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भी हार का सामना करना पड़ा वह जंगपुरा से लडेÞ थे। सतेन्द्र जैन, सोमनाथ भारती, सौरभ भारद्वाज व दुर्गेश पाठक समेत कुछ अन्य बड़े चेहरे भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। हालांकि मौजूदा सीएम आतिशी ने अपनी सीट जीतकर थोड़ी सी साख बचा ली। लेकिन अब आम से लेकर खास तक के मन में एक ही प्रश्न है जिस पार्टी ने दो बार पूर्ण बहुमत से रिकॉर्डतोड़ जीत हासिल की थी आखिर उसका किला इतनी बुरी तरह क्यों ढह गया।

वैसे तो कई कारण रहे लेकिन कुछ मुख्य वजहों से आम आदमी पार्टी की स्थिति खराब होती चली गई। सबसे पहली व बड़ी वजह शराब नीति बनी, जिसकी वजह से दिल्लीवासियों ने अपने आप को बहुत ठगा व कुंठित महसूस किया। शराब नीति के तरह दिल्ली के हर एक वार्ड में तीन शराब के ठेके खोले गए थे और वह उन जगहों में खोले गए जो कॉलोनी के बीचोबीच थे। इस बात से जनता बहुत नाराज हुई थी। मामला यहां तक पहुंच गया था कि आप अपने दामन पर लगे शराब घोटाले के दाग को छुड़ा नहीं पाई। बीजेपी ने पिछले तीन साल में इस मुद्दे पर जमकर घेरा। हालत यह थी कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और राज्य सभा सांसद संजय सिंह को जेल जाना पड़ा। बीजेपी इस मुद्दे को लेकर लगातार प्रदर्शन करती रही और घेरती रही। बीजेपी नेताओं ने इस मुद्दे को गर्म रखा और हर जगह इस घोटाले की चर्चा करते रहे। इसके अलावा दिल्ली जल बोर्ड घोटाला ने भी आप को परेशान किया। इस मामले में ठेकेदारों से पैसे वसूलने के लिए ठेकों को कम पैसे पर छोड़ने का आरोप लगा था। इस मामले की जांच अब तक ईडी कर रही है। अरविंद केजरीवाल इस मामले में भी आरोपी हैं। इसके अलावा बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करना भी आम आदमी पार्टी को भारी पड़ा और हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं हुआ तो आप-कांग्रेस के नेता एक-दूसरे पर आरोप लगाते नजर आए।

बीजेपी के लिए सोने पर सुहागा इसलिए भी होगा गया कि दिल्ली में जब चुनाव प्रचार चरम पर था तो आम आदमी पार्टी के सात विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इससे पहले आप के कई कैबिनेट मंत्री भी पार्टी का साथ छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए थे। इनमें कैलाश गहलोत और राजेंद्र पाल गौतम मुख्य माने जा रहे थे। ये दोनों नेता कभी आप के मुख्य चेहरा हुआ करते थे। इस बात का भी असर आप के चुनाव परिणाम पर पड़ा। आप लोगों में यह धारणा बना पाने में नाकाम रही कि पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक है और वहां नेतृत्व का कोई संकट नहीं है लेकिन सच्चाई सबको पता चल गई। स्वाति मालीवाल के पिटाई कांड से भी पार्टी को बड़ी क्षति हुई और उस कांड के बाद स्वाति ने अपनी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और पार्टी की आंतरिक बातों को बाहर उजागर करना शुरू कर दिया। बीते लगभग 6 महीने से स्वाति मालीवाल ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ एक मुहिम से छेड दी जिससे पार्टी के कुछ अन्य नेताओं का भी विश्वास टूटा साथ ही जनता में एक बड़ा नकारात्मक संदेश गया और पार्टी को बडेÞ स्तर पर नुकसान हुआ। वहीं इस चुनाव में कांग्रेस भले ही कोई सीट नहीं जीत पाई हो लेकिन वह अपना वोट फीसदी बढ़ा पाने में कामयाब रही है। कांग्रेस को जितना भी वोट प्रतिशत बढ़ा वो आम आदमी पार्टी का ही माना जा रहा है। इन तमाम बड़े मुद्दों को बीजेपी ने जमकर भुनाया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नारे ने कई बंटोगे तो कटोगे के नारे से कई राज्यों के नारे से बीजेपी को जीत में मदद मिली। दिल्ली में योगी के इस नारे का जादू चला और योगी ने कुल 14 विधानसभा सीटों पर प्रचार किया था जिसमें से 11 सीटों पर जीत मिली है।

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृहमंत्री के अलावा कई भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ कई बड़े चेहरों ने जमकर प्रत्याशियों के लिए प्रचार किया। इस बार भाजपा की ओर बहुत पहले से ही माहौल बना हुआ था और जिस ऊर्जा के साथ लड़ रहे थे उससे यह तो तय हो गया था कि इस बार खेल बड़ा होगा। भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली को जीत ली, लेकिन दिल्ली वालों का दिल जीतना अभी भी बाकी है, क्योंकि पार्टी ने आम आदमी पार्टी के तर्ज पर जितनी बड़ी घोषणाएं की हैं, उन्हें पूरा करना व निभाना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। बीजेपी अब तक भी आप को फ्री की योजनाओं को लेकर घेरती रही है। अब बीजेपी के लिए भी खेल गुणवत्ताओं पर चलेगा, क्योंकि चूंकि दावों और वादों की झड़ी बहुत ज्यादा व बड़ी है।

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