Saturday, March 22, 2025
- Advertisement -

जानिए, भारत ने क्यों लगाया गेहूंं के निर्यात पर प्रतिबंध

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। शुक्रवार रात केंद्र सरकार ने इस बात की जानकारी साझा की। सरकार ने फैसला ये कहते हुए लिया कि स्थानीय कीमतों को काबू में रखा जाए इसलिए निर्यात पर रोक लगाई जा रही है। बता दें, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।

केंद्र सरकार ने जानकारी देते हुए कहा कि वो इस वक्त केवल निर्यात शिपमेंट की अनुमति देगी जिसके लिए शुक्रवार को या उससे पहले लेटर जारी किए गए हैं। इसके अलावा, सरकार अन्य देशों के अनुरोध पर निर्यात की भी अनुमति देगी।

खाद्य और ऊर्जा की बढ़ती कीमतों के चलते भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति को अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंचा दिया है। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण, भारत में गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। कुछ बाजारों में 25 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है जो सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य 20,150 रुपये से काफी अधिक है।

सरकार ने कहा कि यह कदम “देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने” के लिए किया गया।

भारत सरकार पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो गेहूं के वैश्विक बाजार में अचानक बदलाव से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं और पर्याप्त गेहूं की आपूर्ति तक पहुंचने में असमर्थ हैं।

सरकार ने कहा कि कई गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप भारत, पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में है। रूस और यूक्रेन की बीच जारी जंग की वजह से गेहूं की अंतरराष्ट्रीय कीमत में करीब 40 फीसदी तेजी आई है। इससे भारत से इसका निर्यात बढ़ गया है। मांग बढ़ने से स्थानीय स्तर पर गेहूं और आटे की कीमत में भारी तेजी आई है।

गेहूं की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल है। देश में गेहूं और आटे की खुदरा महंगाई अप्रैल में बढ़कर 9.59% पहुंच गई जो मार्च में 7.77% थी. इस साल गेहूं की सरकारी खरीद में करीब 55% गिरावट आई है क्योंकि खुले बाजार में गेहूं की कीमत एमएसपी से कहीं ज्यादा मिल रही है।

भारत के प्रतिबंध का वैश्विक अनाज दरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

रूस और यूक्रेन दुनिया के दो सबसे बड़े गेहूं आपूर्तिकर्ता हैं। युद्ध ने गेहूं के उत्पादन को बाधित किया जबकि काला सागर में अवरोधों ने अनाज के परिवहन को बाधित किया। इसके अलावा, चीन में खराब फसल, भारत में भीषण गर्मी और अन्य देशों में सूखे ने वैश्विक अनाज आपूर्ति को और प्रभावित किया।

भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है। वैश्विक खरीदार भारत से गेहूं की आपूर्ति पर बैंकिंग कर रहे थे जिससे वैश्विक आपूर्ति की कमी को पूरा करने में मदद मिल सके जो रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारी रूप से प्रभावित हुई है। भारत ने इस साल रिकॉर्ड 10 मिलियन टन गेहूं निर्यात करने का लक्ष्य बनाया था। भारत का प्रतिबंध वैश्विक कीमतों को नए स्तर पर ले जा सकता है।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
2
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Importance Of Makeup: क्यों जरूरी है मेकअप लगाना? जानिए इसके साइकोलॉजिकल फायदे

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Chhattisgarh News: बीजापुर में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़,एक जवान शहीद, 22 नक्सली ढ़ेर

जनवाणी ब्यूरो | नई दिल्ली: आज गुरूवार को छत्तीसगढ़ के बीजापुर...
spot_imgspot_img