Sunday, May 18, 2025
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कौन सुनेगा अभिभावकों की पीड़ा, अंधकार में बच्चों का भविष्य ?

  • टटीरी के सर्वोदय पब्लिक स्कूल में प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग ने बना रखा है अस्थाई कोविड केयर सेंटर
  • कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाएं संचालित होने पर स्कूल से नहीं हटाया जा रहा कोविड केयर सेंटर
  • अभिभावकों ने बच्चों की सुरक्षा की जताई चिंता, स्कूल में प्रदर्शन कर कोविड सेंटर का किया विरोध

मुख्य संवाददाता |

बागपत: वाह रे सिस्टम एक तरफ बच्चों को कोरोना से बचाव के बंदोबस्त तो दूसरी ओर उन्हें कोरोना के बीच रखना। ऐसी भी क्या हठधर्मिता है कि कोविड केयर सेंटर दूसरी जगह स्थापित नहीं हो सकता? बच्चों का भविष्य अंधकार में भेजने से तो अच्छा है कोविड केयर सेंटर को दूसरी जगह स्थापित करा दिया जाए, अन्यथा उन मासूमों की पढ़ाई का क्या होगा, जिन्हें लॉकडाउन में संसाधनों की असुविधा के कारण पढ़ने को नहीं मिला।

10वीं और 12वीं की प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी आएंगी, उनका क्या होगा? स्कूल बंद करने से सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। यह पीड़ा अग्रवाल मंडी टटीरी स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल की है। स्कूल में शनिवार को अभिभावक भी पहुंचे और स्कूल प्रबंधन से तमाम सवाल भी किए। अभिभावकों ने कोविड केयर सेंटर का विरोध करते हुए प्रदर्शन किया और कोविड केयर सेंटर को दूसरी जगह स्थापित करने की मांग की।

अग्रवाल मंडी टटीरी स्थित सर्वोदय पब्लिक स्कूल को कोरोना महामारी की शुरुआत के साथ ही अस्थाई कोविड केयर सेंटर बनाया था। उस समय प्रबंधन को आश्वासन दिया गया था कि स्कूल का संचालन होने पर कोविड केयर सेंटर दूसरी जगह स्थापित करा दिया जाएगा। अब कक्षा 9 से 12वीं तक की कक्षाओं के संचालन की अनुमति मिलने के बाद स्कूल प्रबंधन ने बच्चों के हित के लिए कक्षाओं का संचालन शुरू किया।

कोविड केयर सेंटर में एक भी मरीज नहीं होने के कारण स्कूल प्रबंधन ने स्वास्थ्य व प्रशासनिक अधिकारियों से कोविड केयर सेंटर को दूसरी जगह स्थापित करने की मांग की थी। जिसके बाद कोई प्रक्रिया अधिकारियों की ओर से नहीं की गई। स्कूल प्रबंधन ने कोविड केयर सेंटर के गेट पर ताला लगा दिया था। जिसके बाद एसडीएम व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने रात्रि में ही पहुंचकर दो दिन पहले ताला तोड़ दिया था।

स्कूल प्रबंधन ने इसका विरोध किया था, लेकिन अधिकारियों ने एक नहीं सुनी थी। अधिकारी अपना तर्क दे रहे हैं और स्कूल प्रबंधन बच्चों की पढ़ाई के बारे में सोचने को कह रहा है। इसके बाद भी कोविड केयर सेंटर को लेकर कोई प्रक्रिया दूसरी जगह भेजने की नहीं की गई। शनिवार को स्कूल में अभिभावक पहुंचे और उन्होंने इसका विरोध प्रदर्शन किया। अभिभावकों ने कोविड केयर सेंटर के बारे में स्कूल प्रबंधन से तमाम सवाल किए।

जिस पर प्रबंधन ने अधिकारियों द्वारा स्थापित कराए जाने की बात बताई। अभिभावकों ने स्कूल के मुख्य गेट पर प्रदर्शन किया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। अभिभावक अनिल कुमार का कहना है कि कोविड केयर सेंटर के रहने के साथ अगर वह अपने बच्चे को भेजते हैं तो संक्रमण का खतरा रहेगा। बच्चा सुरक्षित नहीं माना जा सकता। अभिभावक रविंद्र कुमार ने कहा कि कोविड के कारण पहले ही बच्चों की पढ़ाई बर्बाद हो चुकी है।

मार्च से अभी तक पढ़ाई नहीं हो पा रही थी। स्कूल ने आॅनलाइन के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने की कोशिश तो की, लेकिन वह आर्थिक तंगी के कारण बच्चों के लिए अलग से मोबाइल अथवा लैपटॉप की व्यवस्था नहीं कर पाए। अब शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल खोलकर पढ़ाई की व्यवस्था की है तो यह साल अंधकार में जाने से बचने की उम्मीद जगी थी, लेकिन कोविड केयर सेंटर स्थापित कर बच्चों को उनके मूल अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।

शिक्षा से वंचित रखना किसी भी नियम में नहीं है। कक्षा 12वीं की छात्रा तनीषा की माता सुधा शर्मा ने कहा कि यदि देश के बाकी सभी स्कूलों में पढ़ाई सुचारू रूप से चल रही है तो सर्वोदय पब्लिक स्कूल को भी कोविड सेंटर से मुक्त करके पढ़ाई सुचारू रूप से चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए। अभिभावक ने कहा कि अगर यहां कोविड सेंटर के कारण बच्चों की पढ़ाई की अनुमति नहीं दी जाती है तो यह प्रशासन की हठधर्मिता होगी और उन मासूमों के भविष्य से खिलवाड़ होगा, जिनकी पढ़ाई बाधित होगी।

सैकड़ों बच्चोंं का भविष्य अंधकार में भेजा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को कोविड केयर सेंटर दूसरे स्थान पर स्थापित कराकर यहां सुचारू रूप से पढ़ाई कराने की अनुमति देनी चाहिए। प्रबंधक जयचंद ने अभिभावकों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने।

प्रबंधक का कहना है कि डीएम ने कोविड सेंटर किसी भी सूरत में नहीं हटाने की बात कही है। यह भी कहा है कि स्कूल प्रबंधन को भोतिक पठन-पाठन के लिए विद्यार्थियों को स्कूल में बुलाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर स्कूल बंद हुआ तो सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा। उनकी परीक्षा की तैयारी कैसे कराई जाएगी? सभी बच्चों के पास आॅनलाइन व्यवस्था नहीं है। वह पढ़ाई कैसे करेंगे?

क्या होगा प्रयोगात्मका परीक्षाओं का ?

फरवरी-मार्च माह में कक्षा 10 और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं होंगी। उनसे पहले प्री एग्जाम भी होंगे और प्रयोगात्मक परीक्षाएं भी होंगी। दिसंबर माह में ही प्रयोगात्मक परीक्षाएं शुरू हो जाती हैं, लेकिन स्कूल नहीं खुलेगा तो बच्चे प्रयोगात्मक परीक्षाओं की तैयारी कैसे करेंगे? आनलाइन तैयारी सभी बच्चे नहीं कर पाएंगे? जिन बच्चों की तैयारी नहीं होगी वह फेल होंगे। अगर कोई बच्चा स्कूल बंद होने के कारण फेल हो जाता है तो इसका जवाब कौन देगा? क्या प्रशासन उस बच्चे के फेल होने की जिम्मेदारी स्वीकार करेगा और उसे पास कराएगा ? ऐसा मुमकिन नहीं है। सिस्टम भी हाथ खड़े करता नजर आएगा। अब किसी भी अधिकारी को बच्चों की प्रयोगात्मक परीक्षाओं की चिंता नहीं है।

दूसरे कोविड केयर सेंटरों को क्यों किया बंद ?

कोरोना महामारी में जनपद में इंटर कालेजों, पब्लिक स्कूलों, डिग्री कालेज, मैरिज होम आदि को भी कोविड केयर सेंटर अस्थाई तौर पर बनाया गया था, लेकिन वर्तमान में सर्वोदय के कोविड सेंटर को छोड़कर दूसरे सभी बंद कर दिए गए। आखिर सर्वोदय पब्लिक स्कूल के साथ यह सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? जबकि यह कोविड सेंटर कहीं दूसरी जगह भी स्थापित हो सकता है?

सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकार में पहुंचाने की बजाय सात महीने बाद शिक्षण कार्य की जो उम्मीद जगी है उसमें सिस्टम सहयोग कर सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यहां सिर्फ और सिर्फ सर्वोदय को ही कोविड केयर सेंटर रखने की सिस्टम ने जिद पकड़ ली है। सिस्टम के पहरेदार भी शासनादेश का हवाला देकर तमाम नियम प्रबंधन के सामने रख देते हैं, लेकिन वह यह नहीं सोचते की उन मासूमों की गलती क्या है, जो सात महीने से एक अक्षर नहीं पढ़ पाए और अब पढ़ने की बारी आई तो इसमें भी रोडा अटका दिया गया।

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