Friday, June 13, 2025
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लोगों की बर्बादी की कीमत पर विकास नहीं

  • हाईकोर्ट की रैपिड की प्रोजेक्ट कंपनी को कड़ी फटकार
  • छह दुकानदारों की रिट पर अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को
  • दिल्ली रोड के करीब 150 व्यापारी हैं रैपिड के काम से प्रभावित

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ टू दिल्ली रेपिड रेल प्रोजेक्ट की कार्यदायी संस्था आरआरटीएस को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि लोगों की बर्बादी की कीमत पर विकास की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश से जुड़े छह व्यापारियों ने मुआवजे की मांग को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर की थी।

इस रिट को खारिज करने आरआरटीएस की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने तलाख टिप्पणी करते हुए कहा कि लोगों की बर्बादी की कीमत पर विकास की अनुमति नहीं दी जा सकती। इस मामले की अगली सुनवाई अब 29 नवंबर को होगी

ये है पूरा मामला

रैपिड रेल प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद दिल्ली रोड के फुटबाल चौराहे के आसपास के ऐसे करीब डेढ़ से व्यापारी हैं जिनका कारोबार या तो खत्म हो गया है या फिर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष लोकेश अग्रवाल ने बताया कि रैपिड रेल प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले व्यापारियों की यदि श्रेणी की बात की जाए तो उनमें वो व्यापारी जिनका पूरा प्रतिष्ठान अधिग्रहण कर लिया गया।

वो व्यापारी आंशिक रूप से अधिग्रहण किए गए प्रतिष्ठान। व्यापारी जो किराएदार हैं और उनका प्रतिष्ठान अधिग्रण कर लिया गया। ऐसे में मुआवजा केवल दुकान मालिक को मिलेगा। जबकि अधिग्रहण की कार्रवाई के बाद ऐसे दुकानदारों के पास परिवार पालने के लिए कोई दूसरा जरिया नहीं रह जाएगा। वो व्यापारी रैपिड प्रोजेक्ट के चलते जिनके यहां ग्राहकों के आने जाने के रास्तों पर बैरियर लगाकर उन्हें पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।

हाईकोर्ट से ये है गुहार

हाईकोर्ट से लगायी गयी गुहार में कहा गया है कि पिछले छह माह से ज्यादा अरसे से तमाम उक्त दुकानदार हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। व्यापारी पूरी तरह से खत्म हो गया है। ऐसे में दुकान का किराया, बिजली का बिल, काम करने वाले कर्मचारी, दुकानदार के परिवार का खर्च आदि को देखते हुए प्रति माह एक लाख का मुआवजा दिलाया जाए। इसके अलावा अधिग्रहण किए गए प्रतिष्ठान का सर्किल रेट से छह गुना मुआवजा भी दिलाया जाए।

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साथ ही एक करोड़ अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गयी है। लोकेश अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि उनका संगठन रैपिड का काम रूकवाने का पक्षधर कतई नहीं। हम विकास के साथ हैं लेकिन विकास व्यापारियों की बर्बादी की कीमत पर नहीं हो। उन्होंने बताया कि मोहित गुप्ता एवं छह अन्य की ओर से रिट दायर की गयी है।

आरआरटीएस को फटकार

मोहित गुप्ता व अन्य की ओर से दायर की गयी याचिका को खारिज किए जाने की अर्जी पर हाईकोर्ट ने आरआरटीएस को कडी फटकार लगाते हुए कहा है कि किसी की बर्बादी की कीमत पर विकास की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने बेहद तल्ख लहजे में कोर्ट मेें मौजूद अफसर से कहा कि यदि छह माह तक सेलरी न दिए जाने के आदेश जारी कर दिए जाए तो आप पर क्या बीतेगी। कोर्ट ने अब तमाम साक्ष्य के साथ पेश होने को कहा है। इसकी अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी।

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