Tuesday, April 16, 2024
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…आखिर क्यों भड़क गया है जैन समाज, क्या है सम्मेद शिखरजी से जुड़ा विवाद ?

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नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका अभिनंदन स्वागत है। आइए आज हम जानते हैं कि आखिर क्यों जैन समाज से जुड़े लोगों को आंदोलन करने का रास्ता अख्तियार करना पड़ रहा है? सम्मेद शिखरजी का विवाद क्या है? जैन समाज से जुड़े लोगों का क्या कहना है और सरकार क्या बोल रही है?

जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने त्याग दिए प्राण 

जैन समाज से जुड़े लोग इन दिनों आंदोलन कर रहे हैं। सम्मेद शिखरजी को लेकर सरकार के फैसले के खिलाफ अलग-अलग तरह से विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई जैन मुनियों ने आमरण अनशन भी शुरू कर दिया है। इसमें जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने मंगलवार को प्राण भी त्याग दिया। अब इस पूरे विवाद में सियासत की भी एंट्री हो गई है। जैन समाज के पक्ष में भाजपा, सपा, बसपा से लेकर हर राजनीतिक दल उतर चुका है।

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जैन समाज का क्या कहना 

सम्मेद शिखरजी जैनियों के पवित्र तीर्थ हैं। जैन समाज से जुड़े लोग सम्मेद शिखरजी के कण-कण को पवित्र मानते हैं। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित श्री सम्मेद शिखरजी को पार्श्वनाथ पर्वत भी कहा जाता है। ये जगह लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में हिंदू भी इसे आस्था का बड़ा केंद्र मानते हैं। जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी के दर्शन करते हैं और 27 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले मंदिरों में पूजा करते हैं। यहां पहुंचने वाले लोग पूजा-पाठ के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं।

जैन धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां 24 में से 20 जैन तीर्थंकरों और भिक्षुओं ने मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समाज के इस पवित्र धार्मिक स्थल को झारखंड सरकार ने फरवरी 2019 में पर्यटन स्थल घोषित कर दिया। इसके साथ ही देवघर में बैजनाथ धाम और दुमका को बासुकीनाथ धाम को भी इस सूची में शामिल किया गया। उसी साल अगस्त महीने में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ पहाड़ी को पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया और कहा कि इस क्षेत्र में “पर्यटन को बढ़ावा देने की जबरदस्त क्षमता” है।

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अब सरकार के इसी फैसले का विरोध हो रहा है। जैन समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि ये आस्था का केंद्र है, कोई पर्यटन स्थल नहीं। इसे पर्यटन स्थल घोषित करने पर लोग यहां मांस-मदिरा का सेवन करेंगे। इसके चलते इस पवित्र धार्मिक स्थल की पवित्रता खंडित होगी। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा लोग शत्रुंजय पर्वत पर भगवान आदिनाथ की चरण पादुकाओं को खंडित करने को लेकर भी भड़के हुए हैं।

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पिछले दिनों इस मामले को लेकर जैन समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की थी। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद में महारैली का भी आयोजन किया गया। इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है। लोकसभा में भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया। कहा, ‘झारखंड सरकार के फैसले का सीधा असर सम्मेद शिखर की पवित्रता पर पड़ा है। जैन समाज के लोग चाहते हैं कि इस आदेश को रद्द किया जाए।’

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झारखंड सरकार का क्या कहना है?

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सम्मेद शिखरजी को लेकर नोटिफिकेशन भाजपा सरकार के वक्त जारी हुआ था। हम मामले को देख रहे हैं। वहीं, सोरेन की पार्टी झामुमो ने कहा कि केंद्र सरकार ने सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल घोषित किया है। भाजपा अब लोगों को गुमराह कर रही है।

भाजपा का कहना है कि

जब झारखंड में भाजपा की सरकार थी, तब सम्मेद शिखरजी को तीर्थस्थल घोषित किया गया था। इसके संरक्षण के लिए काम किया गया था। अब झामुमो सरकार इसे खंडित करने और जैन समुदाय के लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है।

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