- पंजाब, हरियाणा समेत अन्य प्रदेशों में भी बढ़ रही बीमारी
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: वेस्ट यूपी में बासमती की खेती को बकानी रोग लग गया है। इस रोग के लगने से फसल की ग्रोथ पर ग्रहण लग गया है। जिससे किसानों के चेहरे पर साफ सिकन देखने को मिल रही है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए किसान रसायनिक दवाइयों का भी इस्तेमाल कर रहे है।
जो इससे भी घातक है। इसलिए किसानों को इस बीमारी से अपनी फसलों को बचाने के लिए बेहद सावधानी बरतनी होगी और जैविक दवाइयों को इस्तेमाल करना होगा। क्योंकि रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल करने से फसलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और फसल बर्बाद हो जाती है। साथ ही साथ किसानों क ा खर्च भी बढ़ जाता है।
बीईडीएफ संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बताया कि बासमती की खेती करने वाले किसान इस समय परेशानी में है। क्योंकि बासतमी की खेती वेस्ट यूपी के साथ-साथ हरियाणा और पंजाब में की जाती है। इस बार बासमती की फसल को बकानी रोग एवं तना वेदक रोग ने घेर लिया है।
उन्होंने बताया कि ऐसे में किसान परेशान होकर अपनी फसल को बचाने के लिए रासायनिक दवाइयों का इस्त्ोमाल कर रहे हैं, लेकिन रासायनिक दवाइयां इन बीमारियों से भी बेहद घातक है। इसलिए किसान अपनी फसल बचाने को जैविक दवाइयों का इस्तेमाल करे।
तूडा बासमती में नहीं है बीमारी
तूडा बासमती में बकानी रोग नहीं है। इसलिए इसमें बचाव हो रहा है। जबकि अन्य बासमती की फसलों में बकानी रोग लगातार बढ़ रहा है।
ऐसे करे किसान फसलों का बचाव
प्रधान वैज्ञानिक डा. रितेश शर्मा ने बताया कि जिन किसानों की बासमती की फसल में बकानी रोेग लग गया है। वह दो किलो ट्राइकोडरमा गोबर की खाद में मिलाकर एक एकड़ में सीयूडो मोनास 10 ग्राम प्रतिलीटर स्प्रे कर दे। इससे किसानों की फसल नष्ट होने से बच जाएगी। इसके अलावा जिन खेतों में यह बीमारी लग गई हैं।
वह किसान अपनी फसल के पौधों को जड़ समेत बाहर निकाल दे। तना वेदक बीमारी से बचाव के लिए चार किलो प्रति एकड़ फरटेरा अथवा आठ किलो प्रति एकड़ खेत में डाल सक ते हैं। यूरिया का संतुलित प्रयोेग करें। लगातार खेत में पानी जमा न होने दे। रासायनिक दवाइयों का इस्तेमाल इसलिए नहीं करें कि गुणवत्ता खराब होगी और लागत बढ़ेगी। रासायनिक दवाइयों से किसानों को बचना चाहिए।
बासमती की इन फसलों में बढ़ रही बीमारी
- बासमती 1509
- बासमती 1692
- बासमती 1121
- बासमती 1718