- चौधरी चरण सिंह विवि में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा-बच्चे प्रतिभा के धनी, पहचान कर बढ़ाए आगे
- भारत को विश्वगुरु बनना है तो बच्चों की ओर दे ध्यान
- कार्यक्रम में अन्नदाताओं को किया सम्मानित
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विवि में बुधवार को जिले के 251 आंगनबाड़ी केंद्रों को साधन सपन्न बनाने के लिए प्री स्कूल किट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने आॅनलाइन मौजूद रह 30 करोड़ की लागत से बने भवनों का लोकार्पण किया।
वहीं, आंगनबाड़ी कार्यकत्री को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि खेल-खेल में बच्चों को कैसे पढ़ाया जा सकता है। इसकी शुरुआत विवि की ओर से की गई। कार्यकत्रियां यशोदा बनकर बच्चों को सिखाए क्योंकि देश का भविष्य बच्चे ही हैं, लेकिन हम पहचान नहीं कर पाते हैं। उनकी पहचान कर आगे बढ़ाने का काम हमें करना है। यदि भारत को फिर से विश्व गुरु बनना है तो बच्चों की ओर ध्यान देना होगा।
बच्चों की उम्र और उनकी नॉलेज के हिसाब से पाठयक्रम तैयार करें। नई शिक्षा नीति के अनुसार प्रयोग करके सीखने और सिखाने की प्रक्रिया को अपनाना होगा। इस दौरान पांच गर्भवती महिलाओं की गोदभराई और पांच बच्चों को अन्न प्राशन का कार्यक्रम भी किया गया।
कार्यक्रम को वर्चुअल रूप से संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि सामाजिक समरसता के लिए साधन संपन्न लोगों को जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। कार्यक्रम में विवि कुलपति प्रो. एनके तनेजा, प्रति कुलपति प्रो. वाई, जिलाधिकारी के. बालाजी, कुलसचिव धीरेंद्र वर्मा, वित्त अधिकारी सुशील गुप्ता, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. भूपेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
बच्चों को सीखाएं पानी नहीं करना बर्बाद
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय से संबंधित कॉलेजों की ओर से सामग्री दी गई है। हर गांव में आंगनबाड़ी होती हैं। छोटे-छोटे बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर रहते थे। यहां हमें अपने बच्चों को यह भी सिखाना है कि पानी को बर्बाद नहीं करना है। छोटे बच्चों को खिलौने पसंद होते हैं, लेकिन हम उन्हें खेलने नहीं देते। कहीं सुविधाओं की भी कमी है तो कहीं उनके पास जगह नहीं है।
बच्चों को कैसे बात करना है, कैसे प्रार्थना करनी है, क्या करना है ये सभी बात आंगनबाड़ी में सिखाई जानी चाहिए। आंगनबाड़ी की चारदीवारी पर भी शैक्षणिक चित्र होने चाहिए। किताबों में पानी, माता-पिता व मंदिर आदि के विषय में जानकारी होनी चाहिए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों में बच्चों की प्रतिभा को पहचानने की क्षमता होनी चाहिए।
जो हम कमा रहे हैं, उसमें से कुछ गरीबों को भी दें
राज्यपाल ने कहा कि हम लोगों की यह जिम्मेदारी है जो हम कमा रहे हैं, उसमें से कुछ गरीबों को दें। इनकम टैक्स देने वाले बढ़ रहे हैं, लेकिन गरीबों की संख्या भी बढ़ रही है। यह चिंताजनक है। ऐसा नहीं होना चाहिए। सालभर में एक दिन आंगनबाड़ी के बच्चों के साथ बिताए और उनके साथ रिश्ता बनाए। भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाना है तो इन केंद्रों की ओर देखना होगा। छोटे बच्चों के हुनर को पहचानिए।
जिनके पास न कपड़े हैं न स्लेट हैं, उनकी मदद कीजिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण और यशोदा मां का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों यशोदा मां की तरह हैं। आंगनबाड़ी में बच्चों को सिखाने व पढ़ाने का काम कार्यकत्रियों द्वारा किया जाता है। कार्यक्रम में दानदाताओं को सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने कहा कि आंगनबाड़ी का वातावरण ऐसा बनाएं कि बच्चे आंगनबाड़ी में आने लगे। ग्राम प्रधानों को प्रेरित करें कि वह अपने गांव को कुपोषण मुक्त, टीबी मुक्त बनाए। उनको प्रेरित करें कि सरकार द्वारा जो योजनाएं चलाई जा रही है वह गांव के लोगों और महिलाओं को मिले।