Saturday, July 5, 2025
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11 साल बाद भी मिलती हैं तारीख, इंसाफ नहीं

  • अब तक 339 तारीख, हर तारीख के साथ टूटती है इंसाफ की उम्मीद

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सिविल लाइन थाना के सुभाष नगर में रहने वाले 13 साल के करन कौशिक की हत्या मामले में आज 11 साल बाद भी परिवार को तारीख मिलती हैं, इंसाफ नहीं। गत 11 सितम्बर, 2013 को मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान करन कौशिक की हत्या आताताइयों ने कब्रिस्तान में फावड़े से काटकर कर दी गयी थी। यह बेहद डराने वाली वारदात थी। दरअसल, हमलवारों ने करन को घायल कर उसको जिंदा ही कब्रिस्तान में दफना दिया था।

दिल दहला देने वाली इस घटना के बाद पूरा शहर आग के मुहाने पर था। मेरठ वालों को वो दिन आज भी याद है जब करन को खोने वाले उसके पिता राकेश कौशिक ने इस शहर को दंगे की आग में झुलसने से बचाया था। राकेश कौशिक ने तो अपनी जिम्मेदारी निभाई, लेकिन सिस्टम को चलाने वाले अफसर करन के हत्यारों को अंजाम तक पहुंचाने के अपने वादे पर खरे नहीं उतर सके। 11 साल से करन का परिवार उसके लिए इंसाफ की बाट जो रहा है।

करन के पिता राकेश कौशिक व राकेश कौशिक के भाई मुकेश कौशिक बताते हैं कि करन को इंसाफ की बजाए हत्यारों को बचाने में पूरा सिस्टम और कुछ हिन्दूवादी नेता एकजुट हो गए। परिजनों का आरोप है कि करन कौशिक हत्याकांड के हत्यारों को फर्जी टीसी काटकर बचाने का प्रयास किया गया। राकेश कौशिक ने आयुक्त के सामने टीसी को फर्जी साबित किया और जांच के आदेश कराए। जब आयुक्त ने प्रकरण: की जांच कर जिलाधिकारी से आख्या मांगी तो जिलाधिकारी ने एडीएम को जांच सौंप दी, लेकिन एडीएम सिटी के यहां से फाइल ही गायब हो गयी।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि करन को इंसाफ दिलाने के बजाए उस वक्त सारा सिस्टम हत्यारों को बचाने पर तुला हुआ था। पीड़ित पिता का आरोप है कि जांच आज तक यह पता नहीं चल सकता कि फाइल गई तो गई कहां। विशेष परिस्थिति में तीन शस्त्र लाइसेंस जिलाधिकारी द्वारा 2013 में स्वीकृत हुए और घोषणा की गई। उसमें भी आज तक एक ही शस्त्र लाइसेंस मिला है। दो लाइसेंस आज 11 बर्ष बाद भी नही मिले। तीन बार आवदेन प्रशासन के समक्ष पेश किए, लेकिन आरोप है कि हर बार पत्रावली भी दबा दी जाती है, जिसका परिणाम 11 बर्ष बाद भी दो लाइसेंस प्राप्त ना होना है।

मुकदमा कायम होने के बाद भी करन के हत्यारों का गिरफ्तार नहीं किया जाना, इससे पता चलता है कि सिस्टम करन नही हत्यारों के साथ खड़ा था। परिजनों को शिकायत न्याय सिस्टम से भी है। उनका कहना है कि आज 11 साल हो चुके हैं इस दौरान अब तक 339 तारीखें मिल चुकी हैं, उन उस तारीख का इंतजार है जिसमें करन को इंसाफ मिलेगा। करन हत्याकांड में उस पिता की भूमिका का अपने आप मे इतना महत्वपूर्ण त्याग है जिसका सब चला गया। उस पिता ने शासन और प्रशासन के कहने पर अपने बेटे को खोने के बाद भी शांति की अपील की

और मेरठ को दंगे की आग में दहकने से बचा लिया। आज वही पिता जब न्याय के लिए अधिकारियों के दरवाजे पर न्याय की आशा लेकर जाता है तो खाली हाथ ही उसको लौटना पड़ता है उस पिता के त्याग का ही परिणाम है कि आज वो न्याय की भीख 11 साल से मांग रहा है। करन के पिता बताते हैं कि अब उन्हें एक खिताब जरूर मिला कि यह तो पागल है।

हत्यारों का लंबा आपराधिक इतिहास

चर्चित करन कौशिक हत्याकांड के हत्यारों का अपना एक महत्वपूर्ण इतिहास है।

  • थाना सिविल लाइन में करन हत्याकांड का मुकदमा, 2015 में घर पर हमले का मुकदमा और 3 से 4 एनसीआर दर्ज।
  • थाना नौचंदी बच्चा जेल में उत्तर प्रदेश पुलिस के सिपाही की हत्या में नामजद मुकदमा।
  • मेरठ के अन्य थाने में भी है मुकदमा दर्ज।
  • मुख्य हत्यारोपी का दादा सिविल लाइन हिस्ट्रीशीटर।
  • मुख्य हत्यारोपी का चाचा 30 दिसम्बर 2016 में हत्या का आरोपी।
  • करन की हत्या से 5 दिन पूर्व ताज मोहम्मद ने किसी अन्य का सिर फाड़कर किया था हत्या का प्रयास।
  • बच्चा जेल तोड़ 3 बार भाग चुके हैं हत्यारे।
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