Friday, April 26, 2024
- Advertisement -
HomeUttar Pradesh Newsबड़ौतपरिवार के चार सदस्यों की हत्या के बाद से खुंखार बना धर्मेन्द्र

परिवार के चार सदस्यों की हत्या के बाद से खुंखार बना धर्मेन्द्र

- Advertisement -
  • 2004 में पिता, चाचा, भाई व भाभी की उसके घर में ही कर दी गई थी हत्या
  • एक दर्जन हमलावरों से डरकर पत्नी के साथ पड़ोस के मकान में कूदकर छिप गया था धर्मेन्द्र

जनवाणी संवाददाता |

बड़ौत: कुख्यात जरायत की दुनिया में कुख्यात हो चुके किरठल निवासी धर्मेन्द्र की लगातार मुश्किल से सामना करना पड़ रहा है। अपने परिवार के चार लोगों को 20 अगस्त 2004 को खोने इस चौहरे हत्याकांड में धर्मेन्द्र के पिता रामपाल सिंह पुत्र जहान सिंह, चाचा सतबीर पुत्र जहान सिंह, छोटा भाई हरेंद्र पुत्र रामपाल व हरेंद्र की पत्नी मोनिका की मौके पर ही हत्या कर दी गई थी।

चौहरे हत्याकांड में धर्मेंद्र किरठल की पत्नी सुदेश ने दूसरे पक्ष के साहब सिंह पुत्र रामसिंह, करन सिंह पुत्र साहब सिंह, भोपाल पुत्र अतल सिंह, सुबोध पुत्र भोपाल, पदम पुत्र गजेसिंह, रामफल पुत्र खेमचंद, सुधीर पुत्र गजे सिंह, ओमपाल पुत्र सुखबीर सिंह को नामजद करते हुए मुकदमा दर्ज कराया था।

मुकदमे के दौरान किरठल गांव के ही रहने वाले नरेंद्र पुत्र साहब सिंह, साहब सिंह पुत्र अतल सिंह, रामपाल पुत्र खेमचंद, सुरेंद्र उर्फ सुंदर पुत्र सुखबीर का नाम प्रकाश में आने के बाद चारों को म आरोपी बना लिया गया था। इस चौहरे हत्याकांड के आरोपी साहब सिंह पुत्र अतल सिंह, साहब सिंह पुत्र रामसिंह, नरेंद्र पुत्र साहब सिंह व सुरेंद्र पुत्र सुखबीर की मौत हो गई थी।

धर्मेन्द्र किरठल बदला लेने के लिए लगा रहा। तब उसके खिलाफ हत्या के मुकदमे दर्ज हुए थे। किरठल गांव के ग्राम प्रधान रहे नरेन्द्र की रोहतक में व उसके साथी सुरेन्द्र की शामली में हत्या व साहब सिंह पुत्र अतल सिंह की किरठल में उसके मकान में हत्या कर दी गई थी। इन हत्याओं के बाद वह फरार हो गया था। उसके बाद उसे राजस्थान की पुलिस ने धौलपुर से गिरफ्तार किया था।

कई साल तक जेल में ही रहा। लेकिन उसकी बादशाहत बरकरार चलती रही। दोनों पक्षों की खूनी रंजिश के चलते बाद में समझौता हो गए थे। इस समझौते में धर्मेन्द्र किरठल तो जेल से बाहर आ गया था। लेकिन उसकी पत्नी सुदेश देवी ने आरोपी बनाए अधिकांश को सजा हो गई थी। यहां विदित है कि धर्मेन्द्र के परिवार के सदस्यों की जिस दिन हत्या हुई। करीब एक दर्जन हत्यारे मकान में घुसे थे।

वह आधुनिक हथियारों से लैस थे। तब हैंडग्रेनेड भी वह लिए हुए थे। वह फट नहीं पाया था। चार सदस्यों के साथ ही उसका कुत्ता भी हत्यारों की गोली का शिकार हुआ था। हमलावरों की फायरिंग को देखते हुए धर्मेन्द्र अपनी पत्नी व बच्चों को लेकर पड़ोस के मकान में कूद गया था।

उसकी किसी तरह से जान बच पाई थी। हत्यारे उसके समेत पूरे परिवार का सफाया करने के इरादे से ही मकान में घुसे थे। बताया गया है कि तब नीटू कैल हमलावरों का नेतृत्व कर रहा था। नीटू कैल को तत्कालीन मुजफ्फर नगर जिले की पुलिस ने थानाभवन के पास मुठभेड़ में मार गिराया था।

जेल से बाहर आए धर्मेन्द्र किरठल ने रखा राजनीति में कदम

जेल से बाहर आकर धमेन्द्र किरठल ने फिर से गांव की राजनीति में कदम रखा। उसकी पत्नी सुदेशदेवी गांव की प्रधान बनी। जिस समय धर्मेन्द्र के परिवार के चार सदस्यों की हत्या हुई थी। तब सुदेश देवी किरठल की प्रधान थीं। 2016 के जिला पंचायत सदस्यों के हुए चुनाव में धर्मेन्द्र ने अपनी मां सुरेश देवी को मैदान में उतारा था। वह जिला पंचायत सदस्य चुन ली गई थी।

पत्नी व मां को जन प्रतिनिधि बनाने के बाद धर्मेन्द्र घर पर ही रहकर लोगों से मिलता रहा। बल्कि आपसी झगड़ों का निपटरा भी वह गांव में करता था। हेवा निवासी व रमाला मिल प्रबंध समिति के डायरेक्टर को बंधक बनाने व उसकी पिटाई का भी धर्मेन्द्र पर आरोप लगा। इस मामले में उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। वह इस बार फिर से अपनी मां व पत्नी को ग्राम पंचायत व जिला पंचायत सदस्य बनाने की तैयारी कर रहा था। लेकिन तभी किरठल गांव में एक किसान की हत्या ने उसके समीकरण बिगाड़ दिए। उसके पीछे पुलिस लग गई थी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments