- मेरठ में चल रही कथा में भी भक्तों की परीक्षा ले रहे हैं नारायण
- मेरठ में पानी के अंदर बैठकर सुनने वालों को पूरा देख रहा देश
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: सदर भैंसाली मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन वृदांवन से पधारे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि जो भी इस कथा से जुड़ रहे है वह अपना लोक परलोक दोनों सुधार रहे है। उन्होंने कहा कि जिस दिन से कथा शुरु हुई है कन्हैया की कृपा बरस रही हैंं, लगातार हो रही बारिश इसका प्रमाण हैं, जो कि लोगों की आस्था को नहीं डगमगा पा रही है।
महाराज ने कहा कि जब कोई अच्छा काम करता है तो भगवान उसकी परीक्षा लेते हैं, लेकिन मेरठ वासी जो पंडाल में भरे पानी के अंदर बैठकर भी कथा सुन रहे है उनको पूरा देश देख रहा है। इनका नाम इतिहास में लिखा जाएगा। कथा सुनने जो भी आ रहे है वह धन्यवाद के पात्र है। उसके पश्चात उन्होंने राजा परीक्षित की कथा का रसपान श्रोताओं को कराया। धन से मोह रखने वाला व्यक्ति अज्ञान होता है, क्योंहि धन आया ही जाने के लिए है।
समझदार वह होता है जो पैसे को देखकर खर्च करते हैं। औकात से ज्यादा अगर पैसा आपको ईश्वर ने दे दिया है तो उस धन से आप समाज की सेवा करना शुरु करे। ताकि वह सही काम में खर्च हो सकें। इच्छाओं पर बात करते हुए महाराज ने कहा कि इसपर किसी का वश नहीं चलता है। क्योंकि यह कभी पूरी नहीं होता है सब कुछ मिलने के बाद भी व्यक्ति इच्छा करता रहता है।
ऐसे में कभी भी अच्छा टाइम नहीं आता बल्कि प्रभु के यहां जाने का समय आ जाता है। सारी जिदंगी इंसान परेशान रहता है न जाने कौन-सा सुख चाहता है। इन सबको त्याग कर ही व्यक्ति भगवान के समीप पहुंच सकता है। अनुरुद्धाचार्य ने नरसिंह अवतार के बारे में भी श्रोताओं को बताया। हमारे 33 करोड़ देवी-देवता है। कभी किसी ने सोचा है ऐसा क्यों है। यह सब व्यवस्थापक है।
जैसे खाद्य मंत्री, बिजली मंत्री आदि होते है। इसी प्रकार देवी-देवता है, जिनको कई तरह के कार्य सौंपे गए हैं, लेकिन देवता से ऊपर भगवान होते है। भक्तजनों से प्रश्न करते हुए महाराज ने पूछा कि भगवान कितने होते है। जिसपर वह बोले की भगवान एक होते हैं, लेकिन उनके रूप अलग-अलग होते हैं। भगवान परीक्षा लेते हैं,
जिसमें दोनों की हार हो सकती है। भगवान जब हारते है जब भक्त जिद्दी हो जाए। भगवान कृष्ण एक बार हारे है, महाभारत के युद्ध में जिसका नाम था भीष्म पितामह। उनसे वह कैसे हारे बताते हुए महाराज ने कहा कि मैं महाभारत के युद्ध में अस्त्र शस्त्र नहीं उठाएगा लेकिन आपसे उठवाकर रहूंगा।
बच्चों के कंधों पर समय से डाले जिम्मेदारी
माता-पिता अपने बच्चों के कंधों पर समय से जिम्मेदारी का बोझ डाले ताकि वह जिम्मेदार बन सकें। आपका बुढ़ापा घर में न गुजरे और आप तीर्थ पर जा सकें उसके लिए यह बेहद जरुरी है। अगर आप तीर्थ पर जाओगे और दो से तीन महीने बाद आओंगे तो बच्चे आपकी सेवा करेंगे। जवानी में काम करो और बुढ़ापे में दान पुण्य कर आराम करो।
जवानी को तपाओं और बुढ़ापे में प्रभु की सेवा करो व सत्संग करो। ईश्वर ने सभी को बराबर दिया हैं बस उसको संभाल कर रखने की जरुरत है। मन को भटकाए नहीं एक ही स्थान पर लगाए। कपिल देव भगवान ने कहा था कि अपने आप को व्यस्थ रखो क्योंकि खाली मन शैतान का घर होता है।