Friday, April 26, 2024
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राज्यपाल ने किया हुनर रोजगार का उद्घाटन, पढ़िए क्या बोलीं महिलाएं?

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जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी में हुनर से रोजगार कार्यक्रम का उद्घाटन किया। महामहिम ने प्रदर्शनी देखी और महिलाओं के द्वारा बनाए गए उत्पाद देखे और महिलाओं से उनके उत्पाद के बारे में पूछा। महामहिम के साथ कृषि यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर के के सिंह, सीसीएसयू की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला और राज्यमंत्री संजीव बालियान मौजूद थे।

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राज्यपाल को खाद्य पदार्थ पेश किए

विभिन्न स्टालों पर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को महिलाओं ने अचार, कचोड़ी, मुरब्बा खाने को कहा जिसे राज्यपाल ने हाथ जोड़ कर मना कर दिया। मल्टी ग्रेन अनाजों के स्टाल पर राज्यपाल ने कई बातें भी पूछी। राज्यपाल करीब पच्चीस मिनट तक रही और लगभग सभी स्टालों को समय दिया।

कुलपति प्रोफेसर केके सिंह ने कहा कि इस आयोजन से महिलाओं को नई दिशा मिल सकती है। महिलाएं अपने हुनर से आर्थिक रूप से मजबूत हो सकती है। अन्य लोगो को रोजगार भी दे सकती हैं। यूनिवर्सिटी के द्वारा तमाम प्रयास किए जा रहे हैं।

महिलाएं उद्यमिता से परिवार को मजबूत करेंगे। कृषि क्षेत्र में महिलाओं का सत्तर प्रतिशत योगदान देती है। महिलाओं की कार्यशैली निष्ठापूर्ण होती है। महिलाओं को मजबूत किया जा रहा है क्योंकि उनमें सीखने की ललक ज्यादा है।

बुलंदशहर से आईं कृष्णा यादव ने कहा कि पति खेती का काम करते थे। खेती कम थी। पति ने बिजनेस किया लेकिन, घाटा हुआ। बाहर जाने के लिए 500 रुपया उधार लेकर दिल्ली आईं। बटाई पर खेती की लेकिन, कोई लाभ नहीं मिला।

अचार, मुरब्बे की ट्रेनिंग ली। बेचने में दिक्कत आई। रोड के किनारे मेज डालकर पानी पिलाया और अचार खिलाया। काम चलने लगा और पांच साल तक काम किया। फिर कृष्णा पिकल्स फर्म बनाया। अब हजारों महिलाएं काम कर रही हैं। 152 तरह के अचार बना रही हूं। कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है। सब्जी, फल बेकार हो जाते हैं इसको प्रिजर्व किया जा सकता है।

शाहजहांपुर से आईं पूजा गंगवार ने बताया गाय के गोबर से हैंडीक्राफ्ट बनाते हैं। खेती और पशुपालन व्यवसाय है। कई गायें दूध नहीं देती हैं उन्हें सड़क पर छोड़ देते हैं। मैंने ऐसा नहीं किया। गोबर से कुछ बनाने का निर्णय लिया। गोबर से दीपक बनाने लगे। बहुत सारी महिलाएं साथ काम करती हैं। तकनीकी ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होती है। कक्षा 8 से इंटर की छात्राओं को ट्रेनिंग देते हैं। महिलाओं को हुनर देना जरूरी है। गोबर से बने समान इको फ्रेंडली हैं। हुनर को आगे बढ़ाएं।

मुजफ्फरनगर से आईं प्रतिभा ने कहा डिटर्जेंट और साबुन बनाती हूं। इसमें बहुत रोजगार मिले। सरकार से आर्थिक मदद भी मिली। सात मशीन लगाई। कृषि विज्ञान केंद्रों में ट्रेनिंग मिलती है।

पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान ने कहा कि यूपी में राज्यपाल का सामाजिक क्षेत्र में विशेष योगदान हैं। हमेशा महिलाओं को मजबूत करती हैं। वेस्ट यूपी के हर गांव में महिलाओं के केंद्र हैं। ये उत्पाद बनाती तो हैं लेकिन बाजार भी मिलना चाहिए। कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि यूनिवर्सिटी बाजार बनाने का काम करे।

अस्थाई रूप से महिलाओं को दुकानें एसएस समूह को दी जानी चाहिए। अमूल की तरह यहां योजना चलाएं। पराग फैक्ट्री फेल हो चुकी है। सवा लाख लीटर दूध हरित प्रदेश मिल्क बोर्ड को मिल रहा है। पहले कागजों में और अब हकीकत में विकास हो रहा है।

प्रदेश के कृषि शिक्षा और अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि जबसे राज्यपाल हुई हैं तबसे महिलाओं के कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। बेटियों की शिक्षा को लेकर हमेशा तैयार रहती हैं। टीबी को खत्म करने लिए विशेष कार्य कर रही हैं। बच्चों के लिए राज्यभवन खोल दिया गया। बच्चों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।

प्रदर्शनी में यूपी के विभिन्न केंद्रों से आए हैं और महिलाओं ने अपना हुनर दिखाया है। छह लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूह काम कर रहे हैं। बाजार के लिए उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाएं। कृषि विज्ञान केन्द्र हर तरह की ट्रेनिंग दे रहे है। समूह बनते ही दस हजार रुपए मदद के लिए मिलता है।

स्वयं सहायता समूह लगातार बढ़िया काम कर रहे हैं। गन्ने के नर्सरी तैयार किए जा रहे है। महिलाएं इसे बखूबी कर रही है।

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया पुस्तकों का विमोचन

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा खुशी है कि सरदार बल्लभ भाई पटेल यूनिवर्सिटी में किसान महिलाएं मौजूद हैं। प्रदर्शनी देखकर लगा महिलाएं स्वयं आगे बढ़ रही हैं। हजारों महिलाएं हैं जो दस साल से हुनर के लिए घर से बाहर निकल चुकी हैं। 2003 में गुजरात में सखी मंडल चल रहे हैं। पति से तीन गुना ज्यादा पत्नी कमा रही हैं।

पहले पढ़ी लिखी महिलाएं थीं। घर वाले उनको बाहर नहीं जाने देते थे। समाज क्या बोलेगा इससे घबराते थे आज वही महिलाएं बहु और बेटी के साथ काम कर रही हैं। महिलाओं से पूछते थे बेटी को क्यों नहीं पढ़ाते। बेटा सर्विस करेगा। बेटी नौकरी करेगी तो कमाई ससुराल वाले लेंगे।बहू और बेटी की सोच बदल गई है।

बेटी को पढ़ाना है, बच्चे पैदा करे, घर का काम करे। आज सोच बदली है एसएस समूह के द्वारा। बेटियों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना और बेटे को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की प्रवृत्ति यूपी में है। 32 यूनिवर्सिटी प्रदेश है। बच्चो को जब गोल्ड मेडल मिलता है उसमे अस्सी प्रतिशत छात्राओं को गोल्ड मेडल मिलते है। बीस फीसदी बच्चे जो प्राइवेट में पढ़ते है उनको गोल्ड कम मिलते हैं। भेद भाव नहीं होना चाहिए।

लड़कियों को ऐसे लड़के कैसे पसंद आयेंगे जो कम पढ़े लिखे हैं। बेटियां ताकत दिखा रही हैं। माताएं कम पढ़ी लिखी हैं लेकिन आर्थिक उपार्जन कर रही हैं। मैं किसान की बेटी हम 25 साल तक खेतों में काम किया है। जीरा निकालने, बाजरा की कटाई करते हैं और पढ़ते थे। 2002 में सर्वे हुआ था। शिक्षा मंत्री थीं।

गुजरात में 59 प्रतिशत महिलाएं पढ़ी थी, उसे आगे बढ़ाया गया। एक हजार बेटे के सामने 804 बेटियां थी। पूरे भारत में यही समस्या थी। मोदी जब मुख्यमंत्री थे तब बेटी बढ़ाओ अभियान चलाया। गर्भपात करवा देते है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आज भी चल रहा। आदिवासी क्षेत्र में 1000 पुरुषों के सामने 1028 महिलाएं थी। हर महिला में कौशल है। मोदी के बनने के बाद महिलाओं को पता चला कि वो खास है। ग्राम प्रधान विशेष कार्य कर रही हैं।

एक महिला प्रधान ने कहा कि गांव में सीसी टीवी कैमरे लगवाए ताकि गांव में शांति रहे। एक महीने के बाद गांव में झगड़े कम हो गए। महिलाएं अच्छा काम कर रही है।

मोदीजी ने शौचालय दिए। 11 करोड़ शौचालय बन चुके हैं। महिलाओं की इज्जत बढ़ी है। एक व्यक्ति के पीछे हर साल सात हजार खर्च होते थे अब खर्च नहीं होते। 9 करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन दिए गए। जनधन योजनाओं पर राज्यपाल ने कहा कि महिलाओं के खाते खुले महिलाएं सुंदर काम कर रही हैं। आत्मनिर्भर न हो तो जीना मुश्किल हो जाता है।

दो करोड़ लोगो को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान मिले। कामकाज महिलाओं को आगे आना चाहिए। कुलपति को बताना चाहती हूं कि फिरोजाबाद के कांच उद्योग से जुड़े लोग मिले और बोले कारीगर नहीं मिल रहे।

यूनिवर्सिटी ऐसे कॉलेज शुरू करें जो कारीगरों को ट्रेनिंग दे सके। प्रवेश मिलेगा। संबद्ध कालेजों को सर्टिफेक्ट मिले खेती का काम करने वाली महिलाओं को कोर्स कराना चाहिए। यूनिवर्सिटी उसे सर्टिफिकेट दें। मंत्री और कुलपति ऐसी महिलाओं को ढूंढ़ें।

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