Friday, March 29, 2024
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उत्तर प्रदेश में कैसे होगी विपक्षी एकता?

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ashok bhatiyaकन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही ‘भारत जोड़ो यात्रा’ तीन जनवरी को उत्तर प्रदेश पहुंचेगी। कांग्रेस ने इस यात्रा में शामिल होने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, आरएलडी चीफ जयंत चौधरी और बसपा सुप्रीमो मायावती को निमंत्रण भेजा है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने भाजपा नेता दिनेश शर्मा को भी भारत जोड़ो यात्रा का न्योता भेजा है। दरअसल, भारत जोड़ो यात्रा के जरिये कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पूरे देश में राहुल गांधी और पार्टी के पक्ष में सियासी माहौल तैयार करने की कोशिश कर रही है हालांकि कांग्रेस इस बात से इनकार ही करती है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस अवधारणा को खारिज करने की कोशिश भी की है। राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत तीन दिनों की यात्रा को लेकर एक सवाल यह किया जा रहा है कि क्या वे पार्टी की किस्मत को बदलने में कामयाब होंगे? इस मामले में राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी ने काफी कम समय उत्तरप्रदेश के लिए तय किया है। वे उस क्षेत्र को टारगेट कर रहे हैं, जहां भाजपा और सपा-रालोद गठबंधन ही आमने-सामने दिख रही है। राहुल गांधी अगर अपनी स्थिति मजबूत करेंगे तो किसका नुकसान करेंगे? समझने की जरूरत है।

कांग्रेस हमेशा सवर्ण, ओबीसी और मुस्लिम वोट बैंक के जरिए सत्ता में आती रही थी। दलित और अन्य जातियों का वोट उसे मिलता था। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के साथ अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश तो कर रही है। इस यात्रा के दौरान विपक्षी दलों को एक पाले में लाने की कोशिश कांग्रेस की ओर से की गई लेकिन कोई भी दल उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी के साथ कदमताल करता नहीं दिखेगा। अब तक तो कुछ इसी प्रकार की स्थिति बनती दिख रही है।

क्या कारण है कि कांग्रेस के प्रति विपक्ष अपनी अलग सोच रख रहा है? इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में जातिगत राजनीति और वोट बैंक पॉलिटिक्स को माना जा रहा है। उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के वोट बैंक को कब्जा कर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपनी राजनीतिक इमारत खड़ी की है। कमजोर होते विपक्ष के बीच उत्तरप्रदेश चुनाव और मैनपुरी लोकसभा सीट पर उप चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी अपनी स्थिति को मजबूत बना रही है। वहीं मायावती निकाय चुनाव के जरिए अपनी ताकत बढ़ाने की कोशिश में जुटी दिखती हैं।

इन तमाम मुद्दों के बीच कोई दल प्रदेश में नए राजनीतिक विकल्प को अपने सामने खड़ा नहीं होने देना चाहता है। अभी राहुल गांधी को कांग्रेस भाजपा के समक्ष एक विकल्प के रूप में खड़ा करने की रणनीति तैयार करती दिख रही है। उत्तरप्रदेश में विपक्ष का चेहरा इस समय अखिलेश यादव बने हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी से नाराज वोट बैंक को अपने पाले में लाने की कोशिश में जुटे हैं। उनके साथ राष्ट्रीय लोक दल अभी खड़ा है। दोनों ही दलों ने राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा से किनारा किया है।

दरअसल, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पश्चिमी उत्तरप्रदेश में तीन दिनों तक रहेगी। लोनी से उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा की शुरूआत उत्तरप्रदेश में होगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश पिछले करीब दो सालों में सबसे अधिक चर्चा के केंद्र में रहा है। कारण, किसान आंदोलन रहा। किसान आंदोलन के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस पंजाब की सत्ता से बाहर हो गई। पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भी न कांग्रेस, न सपा-रालोद गठबंधन को इसका फायदा मिला हालांकि पिछले दिनों हुए खतौली विधानसभा उप चुनाव में जीत से रालोद-सपा गठबंधन उत्साहित है।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के भावनात्मक आह्वान से राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जुड़ाव है लेकिन उन्हें किसी प्रकार का निमंत्रण नहीं मिला है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यक्रम पहले से तय है। उनका भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना बहुत मुश्किल है। अन्य नेताओं के कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में पार्टी में कोई बातचीत नहीं हुई है।

बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस पास आती दिख रही है लेकिन उत्तरप्रदेश में दोनों दलों के बीच की दूरी साफ दिखने लगी है। पिछले दिनों दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बसपा सांसद श्याम सिंह यादव भी शामिल हुए। जौनपुर सांसद ने इसे व्यक्तिगत तौर पर राहुल गांधी को समर्थन दिए जाने के तौर पर पेश किया। लेकिन, उत्तरप्रदेश सियासत में इसे एक अलग नजरिए से देखा गया। माना गया कि प्रदेश की राजनीति में पिछड़ती बसपा और कांग्रेस एक ध्रुव पर आ सकते हैं।

निकाय चुनाव से पहले किसी प्रकार के गठजोड़ की चर्चा जोर पकड़ने लगी। लेकिन, अब स्थिति में बदलाव होता दिख रहा है। जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव किस हैसियत से दिल्ली में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए, इसकी हमें जानकारी नहीं है। पार्टी प्रमुख मायावती का यात्रा में शामिल होने का जहां तक सवाल है, उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है। यात्रा में शामिल होने का कोई भी फैसला बहन जी ही लेंगी।

वैसे बसपा नेताओं का दावा है कि अभी तक पार्टी सुप्रीमो मायावती को कोई निमंत्रण नही मिला है। वहीं, कांग्रेस के प्रवक्ता की ओर से पहले ही दावा किया जा चुका है कि सपा, बसपा प्रमुख को न्योता भेजा जा चुका है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सोनिया के साथ मुलाकात की तस्वीर जारी करने वाले श्याम सिंह यादव निजी स्तर पर कांग्रेस के करीब खिसक रहे हैं, या पार्टी के साथ। दिल्ली में यात्रा का हिस्सा बने श्याम सिंह उत्तर प्रदेश में साथ दिखेंगे या नहीं, सवालों में है। हालांकि यदि उत्तर प्रदेश में विपक्षी नेता राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होते तो कांग्रेस के लिए यह बढ़त जरूर होती।


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