- भीड़ को देखते हुए पुलिस ने की रास्तों की नाकबंदी
जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: कोरोना को लेकर इस बार प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा मेला पर ग्रहण लग गया है। 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर मेला का आयोजन होना था। लेकिन कई दशक में ऐसा पहली बार होगा जब लोग गंगा किनारे अपने पूर्वजों की आत्मा शांति के लिएि दीपदान नही कर सकेगें। शास्त्रों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा स्नान का विशेष महत्व है। मेले पर लगी रोक के बाद पुलिस प्रशासन में मेले में आने वाली श्रद्धालुओं की भीड़ को रोकने के लिए लगातार मुस्तैद होता नजर आने लगा है।
एंट्री वाले सभी रास्तों पर होगी बैरिकेडिंग
सीओ मवाना उदय प्रताप सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं को गंगा किनारे पर पहुंचने से रोकने को सभी संपर्क मार्गों को चिन्हित कर लिया गया है, जिन पर बैरिकेडिग कराने के साथ ही वहां हर समय पुलिस भी तैनात रहेगी। उन्होंने बताया कि मेलावधि के दौरान आसपास के जनपद गाजियाबाद, मुजफरनगर, बिजनौर आदि से आने वाले। ताकि वहां से आने वाले श्रद्धालुओं को पुलिस रास्ते में ही रोककर मेला स्थल तक न पहुंचने दें।
2019 में बड़ी संख्या में जुटे थे श्रद्धालु
प्राचीन काल से बुढी गंगा से समीप व मखदूमपुर गंगा घाट पर आयोजित होने वाले गंगा मेले में 2019 में लाख से अधिक श्रद्धालु ने कार्तिक पूर्णिमा के अवसर बुढी गंगा नदी के हस्तिनापुर गंगा घाट व मखदूमपुर घाट पर आस्था की डुबकी लगाई थी। लेकिन, इस कार्तिक पुर्णिमा गंगा का आयोजन नही होगा।
दीपदान का है खास महत्व
कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि कार्तिक मास की पूर्णिमा देवी-देवताओं को प्रसन्न करने का दिन है। इसलिए इस दिन लोग दीपदान कर देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके अलावा कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।