Thursday, March 28, 2024
HomeUttar Pradesh NewsMeerutप्रशासन की लापरवाही: नहीं मिल रहा इलाज

प्रशासन की लापरवाही: नहीं मिल रहा इलाज

- Advertisement -
  • कोरोना मरीजों के लिये बढ़ाई जाये कोविड सेंटरों की संख्या
  • आॅक्सीजन भी पूरी, बेड भी खाली फिर क्यों नहीं बना रहे कोविड सेंटर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रशासन की ओर से शहर में 32 अस्पतालों को कोविड सेंटर बनाया गया था, लेकिन वर्तमान में मात्र 26 ही कोविड सेंटर रह गये हैं। प्रतिदिन हजार से भी ऊपर मरीज कोरोना के आ रहे हैं, लेकिन बार-बार मांग के बावजूद कोविड सेंटरों की संख्या को नहीं बढ़ाया जा रहा है। मेडिकल में हालात कितने ही सही बताये जा रहे हो, लेकिन यहां मरीजों को आसानी से भर्ती नहीं कराया जा रहा है।

निजी अस्पतालों में तो हालात सभी को पता है। यहां आसानी से मरीजों को बेड नहीं मिल पाता। ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि कोविड अस्पतालों की संख्या बढ़ाये। जिससे लोगों को इलाज वक्त पर मिल सके। ऐसे कई अस्पताल हैं जिन्हें कोविड सेंटर की सूची से हटाया गया है। अब आॅक्सीजन की स्थिति ठीक होने पर उन अस्पतालों को भी कोविड सेंटर बनाया जा सकता है।

शहर में कोरोना मरीजों की संख्या घटने का नाम नहीं ले रही है। यहां हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। वर्तमान में गांवों की स्थिति तो और भी बिगड़ती जा रही है। ऐसे में मरीजों को सही इलाज मिल सके इसके लिये प्रशासन को चाहिए कि कोविड सेंटरों की संख्या को बढ़ाये। जबकि प्रशासन उल्टा कोविड सेंटरों की संख्या को घटाने में लगा है। प्रशासन ने पहले जगदम्बा अस्पताल को कोविड सेंटर की सूची से हटा दिया था।

यहां एक मरीज की मौत को उसका कारण बताया गया था, जबकि मरीज की मौत आॅक्सीजन की कमी के चलते हुई थी। बता दें कि इसके अलावा कई अस्पतालों में मरीजों की मौत आॅक्सीजन की कमी के चलते हुई, लेकिन वह अस्पताल आज भी कोविड सेंटर हैं। वर्तमान स्थिति पर गौर करें तो अब किसी भी अस्पताल में आॅक्सीजन की कमी नहीं है ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि कोविड सेंटरों की संख्या बढ़ाये जिससे लोगों को सही इलाज मिल सके।

कई समाजसेवी संगठन लगातार कोविड सेंटरों की संख्या बढ़ाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। प्रशासन को चाहिए कि जिन अस्पतालों को कोविड सेंटर से हटाया गया था उन्हें कोविड सेंटर बनाये जिससे मरीजों को सही इलाज मिल सके। वर्तमान में कोविड सेंटर केवल 26 ही हैं। ऐसे में 32 सेंटरों को शुरू किया गया था।

मतलब अब तक छह कोविड सेंटरों को बंद किया गया। जबकि प्रशासन को चाहिए कि कोविड सेंटरों की संख्या को बढ़ाया जाये उल्टा कोविड सेंटरों की संख्या को घटाया जा रहा है। जगदम्बा समेत कई ऐसे अस्पताल हैं जिन्हें कोविड सेंटर बनाया जा सकता है।


अस्पतालों में नहीं आॅक्सीजन की कमी

अस्पतालों में आॅक्सीजन की समस्या अब काफी हद तक दूर हो चुकि है। यहां तक कि अस्पतालों ने अब आॅक्सीजन को स्टॉक करना भी शुरू कर दिया है। हालातों में धीरे-धीरे सुधार होता जा रहा है अब प्रशासन को थोड़ा अलर्ट होने की आवश्यकता है। प्रशासन को चाहिए कि इन अस्तपालों पर थोड़ी सख्ती करे और अस्पतालों के लिये नियुक्त किये गये नोडल अधिकारी अपनी ड्यूटी सही प्रकार से करें जिससे मरीजों को सही जानकारी प्राप्त हो सके।

आॅक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिये मेरठ में पांच प्लांटों पर आॅक्सीजन वितरित हो रही थी। यहां तीन प्लांटों पर अस्पतालों को आॅक्सीजन दी जा रही थी और दो प्लांटों पर आम आदमी को आॅक्सीजन वितरित कराई जा रही थी। जिसके बाद प्लांटों पर आॅक्सीजन के लिये हाहाकार मच गया था। रोजाना यहां आॅक्सीजन के लिये मारा मारी थी। कभी किसी प्लांट पर हंगामा हो रहा था कभी किसी प्लांट पर।

अस्पतालों में भी बिना आॅक्सीजन के मरीजों की जान जा रही थी। उसके बाद गत नौ मई से प्रशासन की ओर से प्लांटों पर आम आदमी के लिये आॅक्सीजन का वितरण बंद किया गया और प्लांटों पर सिर्फ अस्पतालों को आॅक्सीजन वितरित की गई। इसके साथ ही आम आदमी के लिये प्रशासन की ओर से तीन अन्य केन्द्र बनाये गये जहां आज भी लोगों को आसानी से आॅक्सीजन प्राप्त कराई जा रही है। व्यवस्था में सुधार होने के बाद से सभी अस्पतालों को भी भरपूर मात्रा मेंं आॅक्सीजन मिल रही है और आम आदमी को भी।

स्टॉक की जा रही आॅक्सीजन

अस्पतालों में आॅक्सीजन भरपूर मात्रा में है। हापुड़ रोड स्थित संतोष हॉस्पिटल में शुक्रवार को ही सिलेंडर भरकर रखे गये। इसके अलावा एमसीएस अस्पताल में भी स्टॉक करके आॅक्सीजन रखी गई है। अधिकतर सभी अस्पतालों में आॅक्सीजन पूरी है। जिससे कम से कम आॅक्सीजन की कमी के कारण तो मरीजों की जान नहीं जायेगी। बस यहां प्रशासन की ओर से नियुक्त किये गये नोडल अधिकारियों को थोड़ी सख्ती दिखाने की जरूरत है जिससे लोगों को आसानी से भर्ती कराया जा सके और उनका इलाज सही प्रकार से हो सके। अगर पल पल की जानकारी अधिकारियों के पास होगी तो काफी हद तक अस्पतालों की मनमानी रुक जायेगी और लोगों को सही इलाज मिल पायेगा।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments