- पुलिस लाइन पहुंचे रहे ई-रिक्शाओं का नहीं एक भी कागज, मजबूरी में पड़ा छोड़ना
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शहर को जाम से मुक्त कराने के लिए टैÑफिक पुलिस के प्लान को ई-रिक्शा ही पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। शहर के जाम की वजह बेतकरीब दौड़ते ई-रिक्शा हैं, अब टैÑफिक पुलिस ने शहर को जाम की मुसीबत से मुक्त कराने की ठानी है तो इसमें ई-रिक्शाएं बड़ी मुसीबत साबित होने लगी हैं। दरअसल, तय किया गया है कि केवल वहीं ई-रिक्शा रूट पर चलेंगे, जिनके पास पूरे कागजात होंगे,
लेकिन दो दिन की कवायद से साफ हो गया है कि इक्का-दुक्का की बात यदि जाने दें तो ज्यादातर के पास न तो डीएल है, न फिटनेस और न ही इंश्योरेंस। रूट निर्धारण के लिए ट्रैफिक पुलिस ई-रिक्शा पकड़ पकड़कर पुलिस लाइन ला रही है। जैसे ही उनके कागजात चेक किए जाते हैं तो पता चलता है कि वह अधूरे हैं। मजबूर होकर उन्हें छोड़ दिया जाता है। सवाल यह है कि आखिर अब तक यह ई-रिक्शा किसकी शह पर दौड़ रहे थे।
जोन एक के अंतर्गत लिसाड़ीगेट, ब्रह्मपुरी, लोहियानगर और टीपीनगर थाना क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा रूट शामिल हैं। ई-रिक्शा की सबसे बड़ी संख्या यहीं से निकलती है। शायद यही वजह रहीं कि ट्रैफिक पुलिस ने इसी रूट से अभियान की शुरुआत की। मंगलवार को अभियान का दूसरा दिन रहा। दोनों दिन की स्थिति को देखें तो करीब 150 ई-रिक्शा यहां पहुंचे और स्टिकर चस्पा होने वाले ई-रिक्शा की संख्या 50 भी नहीं रही।
इसके पीछे की वजह अधूरे कागजात हैं। यहां आने वाले ई रिक्शा में 80 प्रतिशत ई-रिक्शा ऐसे हैं, जिनके कागज पूरे ही नहीं हैं। सबसे बड़ी संख्या अनफिट ई-रिक्शा की है। दूसरे नंबर पर इंश्योरेंस और तीसरे पर डीएल बड़ी वजह है। मजबूरन इन्हें कागजात पूरा कराने की हिदायत देकर छोड़ा जा रहा है।
32 स्टिकर हुए चस्पा
दूसरे दिन 80 से ज्यादा ई-रिक्शा ट्रैफिक पुलिस ने रोके, लेकिन 32 के ही कागजात पूरे पाए गए। इन सभी को प्रशिक्षक सुनील शर्मा और अमित कुमार नागर ने प्रशिक्षण देकर सड़क पर सुरक्षित ई-रिक्शा चलाने की जानकारी दी।
10 दिन बाद होगा एक्शन
प्रभारी निरीक्षक ट्रैफिक विनय शाही का कहना है कि अभियान का पहला सत्र 10 दिन चलेगा। 10 दिन पूरे होने के बाद ट्रैफिक पुलिस एक्शन लेगी। बिना स्टिकर रूट नंबर एक पर चलने वाले ई-रिक्शा सीज किए जाएंगे। अभी ट्रैफिक पुलिस सभी ई-रिक्शा चालकों को अवसर दे रही है कि वह खुद आएं और लाभ उठाएं।
सौरभ जैन सुमन ने नहीं मांगी माफी
मेरठ: हिंदी साहित्य अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सौरभ जैन सुमन, महामंत्री उमंग गोयल, समेत कमेटी के अन्य सदस्यों की तरफ से अकादमी के सोशल मीडिया अकाउंट को हैक किए जाने का आरोप लगाते हुए विश्व श्रमण संस्कृति श्रीसंघ के राष्ट्रीय महामंत्री सुदीप जैन, राष्ट्रीय संयोजक अक्षय जैन अरिहंत सहित पारस जैन और अतिशय जैन के विरुद्ध 20 जून, 2024 को सदर थाने में एफआईआर दर्ज करायी थी।
सुदीप जैन ने कहा कि इस बाबत एसपी सिटी और क्षेत्राधिकारी से मिलकर निष्पक्ष जांच की मांग की थी और बिना जांच पड़ताल के साइबर मामले में नामजदगी करने को बेबुनियाद बताया था। सुदीप जैन ने कहा सर्वविदित है कि सोशल मीडिया से संबंधित तहरीर और शिकायत में पहले उस सोशल मीडिया के कंपनी मुख्यालय से आख्या मांगी जाती है और आख्या आने के बाद उसके आधार पर पुलिस जांच करने के बाद दोषियों पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करती है,
परंतु यहां बिना किसी आख्या, प्रमाण और सबूत के नामजद एफआईआर दर्ज कर ली गयी। अक्षय जैन अरिहंत ने कहा कि इस मामले से हमारा कोई लेना देना नहीं है। सौरभ जैन सुमन ने जान बूझकर उनको बदनाम करने के लिए और स्वयं को प्रसिद्ध करने के लिए यह षड्यंत्र रचा था। बताते चले कि इस संबंध में सुदीप जैन व अक्षय जैन अरिहंत ने 30 जून, 2024 को प्रेस वार्ता कर आरोपों को निराधार
व सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का जरिया बताते हुए चार करोड़ की मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही थी और कहा था कि तय सीमा में सौरभ जैन सुमन द्वारा माफी न मांगने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। सुदीप जैन ने बताया कि एसीजेएम द्वितीय की न्यायालय में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। जिसकी सुनवाई नौ अक्टूबर 2024 को होगी।