Sunday, October 6, 2024
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मलबे में पशुओं के शवों को दबा छोड़ गई टीम

  • दुर्गंध से आस पड़ोस के लोगों का बुरा हाल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: जाकिर कॉलोनी में गली नंबर-आठ में शनिवार की शाम भरभरा कर गिरे मकान के मलबे में दबे शवों और घायलों को बाहर निकालने के बाद वहां दबे पशुओं के शवों को छोड़कर नगर निगम की टीम चली गई। मंगलवार को दिनभर कोई टीम नफीसा के मकान पर नहीं पहुंची। जाकिर कॉलोनी की गली नंबर-8 में नफीस उर्फ नफ्फो पत्नी स्व. अलाउद्दीन का मकान शनिवार की शाम भरभरा कर गिर गया था।

300 गज के इस मकान के अंदर नीचे डेरी चल रही थी और ऊपर पांच परिवार रहते थे, जिनके 17 लोग तथा दो दर्जन पशु भी इस भवन के मलबे में दब गए थे। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, नगर निगम, सिविल पुलिस और आम लोगों की मदद से करीब 16 घंटे चलाए गए रेस्क्यू अभियान में शवों और घायलों को निकाला था। इस घटना में 10 लोगों की मौत हुई थी, जबकि छह लोग घायल हुए थे। कई पशुओं को भी रेस्क्यू करके बाहर निकालना गया था।

रविवार नगर निगम की टीम ने उक्त पोर्कलेन मशीन से नफीसे के मकान के जर्जर होने के कारण पूरे ही मकान को जमीनदोज कर दिया था। रविवार और सोमवार को नगर निगम की टीम ने मलबे को हटाया, लेकिन सोमवार को टीम नहीं पहुंची। मलबे के नीचे कई पशुओं के शव अभी दबे हैं। नगर निगम की टीम ने मलबा हटाकर मृत पशुओं को बाहर नहीं निकाला, जिससे वहां दुर्गंध उठ रही है, जिससे गली के लोग परेशान हैं।

पड़ोसी आसिफ, अलाउद्दीन, जाकिर और दिलशाद आदि का कहना है कि सोमवार को नगर निगम की टीम नहीं आई। मलबे में अनेक पशु दबे हैं, जिससे वहां बदबू ने उनका जीना मुहाल कर दिया है। इससे बीमारी फैलने का खतरा खड़ा हो गया है। उन्होंने जिलाधिकारी से वहां मलबे में दबे मृत पशुओं को बाहर निकलवाकर गड्ढों में दबवाने की मांग की।

मुखिया गुर्जर पहुंचे जाकिर कालोनी

समाजवादी पार्टी के नेता मुखिया गुर्जर मंगलवार को जाकिर कालोनी पहुंचे। उन्होंने घटनास्थन पर पहुंचकर लोगों से घटना की जानकारी ली। मुखिया गुर्जर ने पीड़ित परिवार के लोगों से मिलकर उन्हें सांत्वना दी और घटना पर अफसोस जताया। इसके साथ नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर इकराम बालियान, जानू चौधरी आदि मौजूद रहे।

निगम अफसर नहीं कर रहे कोई सुनवाई

लोहिया नगर के चमड़ा पैंठ जाकिर गली नंबर-आठ व आसपास के इलाकों में रहने वालों का मलवे से उठ रही सड़ांध की वजह से जीना मुहाल है। यहां रहने वालोें ने नगर निगम के अफसरों व एक पूर्व पार्षद को कॉल कर डेयरी का मलवा हटवाए जाने को कहा। निगम के पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार ने बताया कि जब तमाम दलों के नेता व जिले के प्रभारी मंत्री तथा प्रशासन के दूसरे बडेÞ अफसर वहां पहुंचे थे।

तब भी सड़ांध उठ रही थी। सांसद राजकुमार सांगवान के साथ आए लोगों ने भी मलवे से बदबू आने की बात कही थी। मंगलवार के मलवे से उठ रही सड़ांध ने लोगों को ज्यादा परेशान किया। उन्होंने मलवा हटवाए जाने के लिए कई लोगों को कॉल भी किया। वहीं, दूसरी ओर पूर्व पार्षद अ. गफ्फार ने बताया कि वह मलवा हटवाए जाने तथा मौके पर आकर मुआयना करने के लिए बुधवार को वह नगरायुक्त सौरभ गंगवार से मिलेंगे।

पीड़ितों का स्कूल में ठिकाना

नफ्फो के परिवार के जो लोग खासतौर से उसके तीन बेटे शाकिर, नदीम व नईम आदि ने अभी अपना ठिकाना जाकिर कालोनी के एक स्कूल के जिम में बनाया हुआ है। हालांकि उनके काफी रिश्तेदार इस इलाके में रहते हैं। लोगों ने बताया कि दरअसल इस बिरादरी में परिवार में किसी की मौत जैसे हादसे के बाद रिश्तेदारों व बिरादरी के लोगों के आने जाने का रिवाज है और अब किसी के घर में इतनी जगह नहीं होती कि इतने ज्यादा आदमियों के बैठने का इंतजाम कर सकें, इसलिए स्कूल में ही फिलहाल ठिकाना बनाया है।

संतोष हॉस्पिटल से सायमा आनंद में शिफ्ट

डेयरी हादसे में मलबे में दबी सायमा को हापुड़ रोड स्थित संतोष हॉस्पिटल से अब गढ़ रोड स्थित आनंद हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया है। परिवार के करीबी सूत्रों ने जानकारी दी कि सायमा की हालत में सुधार हो रहा है। उसकी हालात पहले से काफी ठीक है।

पीड़ित परिवारों को आर्थिक मदद का इंतजार

जाकिर कॉलोनी में गली नंबर आठ में शनिवार की शाम मकान गिरने से मलबे में दबकर कर एक ही खानदान के 10 लोगों के मरने के बाद प्रशासन ने दैवीय आपदा मद से चार-चार लाख रुपये प्रत्येक मृतक के हिसाब से आर्थिक मदद, मकान पूर्णतया क्षतिग्रस्त होने पर 1.20 लाख रुपये और मृत पशुओं का मुआवजा देने की घोषणा की थी। जाकिर कालोनी में नफीसा उर्फ नफ्फो पत्नी अलाउद्दीन का बारिश में 500 गज का मकान जमींदोज हो गया। इस घर में एक ही खानदान के पांच परिवार रहते थे।

10 लोग मौत की आगोश में समा गए, जबकि छह लोगों का मेडिकल कालेज व प्राइवेट नर्सिंग होम में उपचार चल रहा है। इस मकान के नीचे के भाग में डेरी संचालित थी, जिसमें दो दर्जन भैंसें, तीन गाय और आठ बकरियां व एक घोड़ा था। बड़ी संख्या में मवेशी भी दबकर मर गए, जिससे मकान पूरी तरह खत्म होने के साथ-साथ रोजगार भी छिन गया। अब उक्त परिवार के लोग बहनाई सलीम के घर में रह रहे हैं। उनके साथ रहने और रोजगार की समस्या खड़ी हो गई।

बीते रविवार को डीएम दीपक मीणा ने चार-चार लाख रुपये प्रत्येक मृतक के हिसाब से पीड़ित परिवार को दैवीय आपदा मद से देने और मकान की क्षतिपूर्ति की मद में 1.20 लाख रुपये, मवेशी का 35,500 रुपये और घोड़ी के 32 हजार रुपये व बकरी के चार हजार देने की घोषणा की थी। बीते सोमवार को जिले के प्रभारी मंत्री धर्मपाल सिंह मौके पर पहुंचे थे और घटना की जानकारी ली थी। उन्होंने घटना पर दुख जताया था और पीड़ित परिवार को बताया था कि इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चिंतित हैं।

मंत्री ने आश्वस्त किया था कि पीड़ित परिवार को सबसे पहले उनके रहने की व्यवस्था यानी घर की व्यवस्था कराने और उनकी आजीविका का प्रबंध किया जाएगा। मंगलवार तक प्रशासन ने आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। नफीसा के बड़े पुत्र आबिद का कहना है कि न तो किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को आर्थिक मदद् जल्द से जल्द दी जाए, उन्हें घर दिया जाए और रोजगार दिया जाए।

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