Thursday, May 2, 2024
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स्वर्ग का अधिकारी

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एक बार परमात्मा ने अपने दूतों को पृथ्वी पर ऐसे व्यक्ति की तलाश करने भेजा, जो स्वर्ग जाने का सच्चा अधिकारी हो। दूत विधाता का आदेश मान पृथ्वी की ओर चल दिए। पृथ्वी पर उन्होंने देखा कि यहां अधिकांश लोग अपनी कामना पूर्ति हेतु परमात्मा की पूजा अर्चना करते हैं। कोई बीमारी से निजात के लिए तो कोई धन प्राप्त करने के लिए। दूत एक जंगल से रहे थे कि दूतों ने देखा कि रास्ते के किनारे एक झोपड़ी के बाहर एक वृद्ध व्यक्ति बैठा है।

व्यक्ति के पास एक दीपक है और एक पानी का घड़ा है। सभी दूत दूर बैठ कर वृद्ध को देखने लगे। रास्ते से गुजरने वाले हर राहगीर को वृद्ध पानी पिलाकर प्यास बुझाता और दीपक से उसको रास्ता दिखाता। सुबह तक यही प्रक्रम चलता रहा। सुबह होते ही दूत वृद्ध के पास गए।

उन्होंने वृद्ध को नमस्कार किया और पूछा, क्या तुम ईश्वर की पूजा उपासना नहीं करते? वृद्ध ने उत्तर दिया, भाई मुझे पूजा अर्चना का कोई ज्ञान नहीं और फिर मुझे उसके लिए समय ही नहीं मिलता। सारी रात तो मेरी मुसाफिरों को राह दिखाने और पानी पिलाने में निकल जाती है और दिन में कुछ अपना काम करता हूं। कुछ देर आराम करता हूं तो बताइए पूजा अर्चना कब करूं? दूतों को बहुत आश्चर्य हुआ। दूत वापिस विधाता के पास पहुंचे और उन्हें पृथ्वी लोक भ्रमण का पूरा वृतांत कह सुनाया।

परमात्मा ने पृथ्वीवासियों का लेखा जोखा देखना शुरू किया और जैसे ही वृद्ध की बारी आई, दूतों ने परमात्मा से कहा, भगवान इसका विवरण देखने की जरूरत ही नहीं है। यह कभी पूजा अर्चना करता ही नहीं है। तब ईश्वर ने दूतों को समझा, यह व्यक्ति अज्ञानी नहीं बल्कि यही स्वर्ग का सच्चा अधिकारी है। इसने ईश्वर का नाम लेने वालों से ज्यादा पुण्य कमाया है और सबसे बड़ी बात यह है कि इसने ईश्वर की व्यवस्था में हाथ बंटाया है। इसलिए स्वर्ग का अधिकारी भी यही है।

प्रस्तुति: राजेंद्र कुमार शर्मा


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