Sunday, September 24, 2023
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पड़ाव पार: रैपिड की सभी सुरंगे बनकर तैयार

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  • अंतिम सुरंग का बटन दबाकर एमडी ने किया ब्रेक थ्रू

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आनन्द विहार से साहिबाबाद के बीच दो किलोमीटर लम्बी टनल का काम पूरा होने के साथ ही दिल्ली मेरठ रैपिडएक्स के 82 किलोमीटर लम्बे कॉरिडोर पर अब सभी सुरंगों का काम पूरा हो गया है। मंंगलवार को एनसीआरटीसी के एमडी विनय कुमार सिंह ने बटन दबाकर अन्तिम सुरंग का सफलतापूर्वक ब्रेक थ्रू किया।

18 माह के रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुर्इं सभी सुरंगे

दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर पर सुरंगे बनाने का काम एनसीआरटीसी ने रिकॉर्ड 18 माह में पूरा किया। एनसीआरटीसी के प्रेस प्रवक्ता पुनीत वत्स के अनुसार देश के पहले आरआरटीएस कॉरिडोर के भूमिगत खंड की कुल 12 किलोमीटर की लम्बाई में समानांतर सुरंगों को बोर करने के लिए कुल सात टीबीएम (टनल बोरिंग मशीन) का उपयोग किया गया।

मेरठ में ऐसे बनाई सभी सुरंगे

मेरठ में कुल तीन अंडरग्राउंड स्टेशन बनाए गए हैं जिनमें मेरठ सेंट्रल, भैंसाली स्टेशन एवं बेगमपुल स्टेशन शामिल हैं। इन तीनों स्टेशनों को जोड़ने के लिए कुल छह समानांतर सुरंगों का निर्माण किया गया। मेरठ में पिछले साल अप्रैल में सुरंगे बनाने का काम शुरू किया गया था। तब टीबीएम सुदर्शन 8.1 को लॉच किया गया। जुलाई 2023 में मेरठ में सभी छह सुरंगे बनकर पूरी तरह से तैयार हो गर्इं।

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देश में सबसे बड़ी हैं रैपिड की सुरंगे

रैपिड के लिए बनाई गर्इं सुरंगे देश में सार्वजनिक परिवहन के तहत सबसे बड़ी सुरंगे हैं। इन सुंरगों का व्यास 6.5 मीटर है, जो 180 किलोमीटर प्रतिघंटे की समान डिजाइन गति के साथ चौड़े एवं ऊंचे रोलिंग स्टॉक के लिए विश्व में निर्मित अन्य सुरंगों के वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में काफी अनूकुलित हैं।

मेरठ में चेलेंज से कम न था सुरंगे बनाना

मेरठ में रैपिड व मेट्रो के लिए सुरंगे बनाना एनसीआरटीसी के लिए किसी चेलेंज से कम न था। एनसीआरटीसी ने इस चेलेंज को एक्सेप्ट किया और रिकॉर्ड समय में शहर के नीचे सुरंगों का ताना बाना बुन डाला।

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एनसीआरटीसी के अधिकारियों के अनुसार मेरठ में जिन स्थानों पर सुरंगे बनाई गर्इं उनके ऊपर घनी शहरी आबादी है। इसके अलावा नालियों से लेकर पुरानी इमारतों की नींव एवं तीखे मोड़ सुरंगों की राह में रोड़ा बने लेकिन आधुनिक तकनीक के कारण सभी समस्याआें का निराकरण कर लिया गया।

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