- स्कूली बच्चों का दिमाग तेज करने के लिए सरकार ला रही स्कूलों में वर्चुअल लैब
- 750 स्कूलों में गणित और विज्ञान की स्थापित होंगी ई-लैब
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: ‘चाणक्य नीति’ हो या फिर ‘चाणक्य द्वारा चली गई चाल’। यह वो पद्धतियां हैं जिसमें चाणक्य नीति चलने वाला कभी मात नहीं खाता। चाणक्य को लेकर कई कहावतें भी आज तक चरितार्थ हैं। कुल मिलाकर इन सब में चाणक्य के दिमाग पर ही फोकस किया जाता है। अब सरकार भी आपके नौनिहालों के दिमाग को ‘चाणक्य नीति’ की तर्ज पर विकसित करने जा रही है। इसके लिए सरकार ने वर्चुअल लैब का कंसेप्ट तैयार किया है जिसके माध्यम से बच्चें अपना दिमाग तेज करने के लिए दिमाग की अच्छी कसरत करेंगे।
दरअसल, अब स्कूलों में भी वर्चुअल लैब का कंसेप्ट साकार हो रहा है। सरकार चाहती है कि बच्चे दिमागी कसरत करें। इसके लिए देश भर में 750 ई लैब की स्थापना का लक्ष्य है। बताया जाता है कि इनमें से लगभग 200 वर्चुअल लैब स्थापित भी हो चुकी हैं। इनमें विज्ञान और गणित की लैब शामिल हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफरिशों के तहत अब स्कूलों में भी वर्चुअल लैब के माध्यम से पढ़ाई की सुविधा होगी। शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार सरकार जहां देश भर में 750 ई लैब स्थापित करने जा रही है।
वहीं, 75 कौशल ई लैब भी स्थापित की जाएंगी। सरकार का मानना है कि बच्चों में तर्कसंगत सोच की क्षमता विकसित करने एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2022-23 के दौरान गणित एवं विज्ञान में बच्चों को निपुण बनाया जाए और इसी आधार पर वर्चुअल लैब का कंसेप्ट बनाया गया है। वर्चुअल लैब पद्धति के जानकारों के अनुसार कक्षा नौवीं से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान एवं गणित के विषयों में दीक्षा पोर्टल पर वर्चुअल लैब की रूपरेखा रखी गई है।
अभी तक वर्चुअल लैब का कंसेप्ट केवल विश्वविद्यालयों और कॉलेजों तक ही सीमित था। अब इसे स्कूल स्तर पर भी लागू किया गया है। इस तकनीक के विशेषज्ञों के माहिरों के अनुसार वर्चुअल लैब तकनीक के माध्यम से छात्र विज्ञान संबधी प्रयोग कर सकते हैं। विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि इस कंसेप्ट के माध्यम से बच्चे कृत्रिम बुद्धिमता का उपयोग कर विभिन्न स्तर पर जटिल समस्याओं को आसानी से समझ सकते हैं।