- सपा प्रत्याशी सबीला बेगम तीसरी बार बनी अध्यक्ष
- एक बार अध्यक्ष रह चुके उनके पति निजाम अंसारी
- लगातार दूसरी बार संभाली कमान, सरधना के राजनीति इतिहास में दर्ज करा दिया नाम
जनवाणी संवाददाता |
सरधना: नगर में जिस तरह से सपा प्रत्याशी सबीला बेगम को कुर्सी से उतारने के लिए राजनीतिक विशेषज्ञों ने गणित बैठाया, वह सब जनता के आदेश के सामने फेल हो गया। पूरे चुनाव में प्रचार से लेकर मतदान और मतगणना तक संघर्ष के बाद जब जनता का फैसला आया तो सभी के दावे धरे रहे गए। जनता ने अपनी वोट से स्वयं घोषणा कर दी कि उन्हें सरधना में पुराना निजाम ही पसंद है।
सबीला बेगम के सिर पर तीसरी बार अध्यक्ष का ताज सजा है। निवर्तमान चेयरपर्सन लगातार दूसरी बार अध्यक्ष की कुर्सी आसीन हुई हैं। इसके साथ उनके पति पूर्व चेरयमैन निजाम अंसारी भी एक बार अध्यक्ष पद की कमान संभाल चुके हैं। इस तरह वह चार बार नगर पालिका की कुर्सी पर आसीन होने परिवार बनकर सरधना के इतिहास में सुनहरे पन्नों पर दर्ज हो गए हैं।
निवर्तमान चेयरपर्सन सबीला अंसारी सर्वप्रथम वर्ष 2007 में अध्यक्ष पद पर आसीन हुई थी। इसके बाद 2012 में असद गालिब चेयरमैन बने। मगर पुन: जनता ने 2017 में सबीला बेगम पर विश्वास जताया। इससे पहले उनके पति निजाम अंसारी भी चेरयमैन रह चुके थे। यानी दोनों मिलकर तीन बार सरधना की कमान संभालने वाले बने। इस बार चुनाव में जोर शोर से आवाज उठी की सरधना का निजाम बदलना है।
खुद को राजनीति का गुरु कहने वालों ने आवाज उठाई कि चेयरमैन की कुर्सी किसी एक परिवार की जागीर नहीं है। इसको लेकर पूरे चुनाव में उठा पटक हुई। तमाम मंचों पर सच्ची-झूठी बाते चलाई गई। हवा चली कि जनता निजाम अंसारी को नकार रही है। चुनाव प्रचार से लेकर मतदान और मतगणना तक सपा प्रत्याशी सबीला बेगम काचुनाव संघर्ष भरा रहा। मगर किसी को नहीं पता था कि जनता के फैसले के सामने सबकी आवाज दबने वाली है।
जनता ने अपने मत का प्रयोग किया और सबीला बेगम के सिर पर फिर से अध्यक्ष का ताज सजा दिया। लगातार दूसरी बना उन्हें चेयरपर्सन बना दिया। इस तरह निजाम अंसारी व सबीला बेगम चार बार अध्यक्ष पद की कुर्सी संभालने वाला पहला परिवार बन गया। इस परिणाम के साथ उन्होंने सरधना के इतिहास में अपना नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करा लिया है। परिणाम घोषित होने के बाद सबीला बेगम के समर्थकों में जश्न का माहौल है।
सरधना में सपा ने भाजपा की जमानत जब्त कराई
सरधना सीट पर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद निकाय चुनाव में भी भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। हालत यह रही कि भाजपा प्रत्याशी मंजू लता जैन की जमानत जब्त हो गई। क्योंकि उन्हें कुल पड़े मतों में से 10 प्रतिशत से भी कम 3026 वोट ही प्राप्त कर सकी।
वहीं बसपा प्रत्याशी का शानदार प्रदर्शन रहा। विधानसभा और निकाय दोनों ही चुनाव में सरधना सीट पर सपा प्रत्याशी ने भाजपा को करारी हार दी है। इस बार तो एक तरह से भाजपा को नकारते हुए जनता ने बसपा प्रत्याशी पर विश्वास जताया। इसके अलावा आठ अन्य प्रत्याशियों की भी जमानत जब्त हो गई।
सरधना अध्यक्ष पद पर कुल 32252 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया। जिनमें से 70 वोटरों ने नोटा को चुना, जबकि 1436 वोट निरस्त हो गई। सबसे अधिक वोट लेकर सपा प्रत्याशी सबीला बेगम ने जीत दर्ज की। दूसरे स्थान पर बसपा प्रत्याशी सुमन पंवार 7930, तीसरे स्थान पर निर्दलीय शीबा 4289 रही। महत्वपूर्ण बात यह है कि सरधना सीट पर भाजपा को एक के बाद एक झटका लग रहा है।
विधानसभा चुनाव में सपा ने भाजपा को करारी हार दी। निकाय चुनाव में भी भाजपा को निराशाजनक परिणाम का सामना करना पड़ा। हालत यह रही कि भाजपा प्रत्याशी मंजू लता जैन कुल मत में से दस प्रतिशत से भी कम यानी 3026 वोट पर ही सिमट कर रही गई। यानी भाजपा प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई।
उनकी जगह बसपा का प्रदर्शन शानदार रहा। इसके अलावा आठ अन्य प्रत्याशी भी अपनी जमानत नहीं बचा पाए। सरधना सीट पर जितना निराशाजनक परिणाम भाजपा के लिए आया है। उसमें पार्टी को मंथन करने की जरूरत है। क्योंकि भाजपा प्रत्याशी को उनका कौर वोटर भी नहीं मिल सका। उनकी जगह बसपा पर वोट डायवर्ड हुआ।
पुन: मतगणना के बाद हुआ भविष्य का फैसला
सरधना में कई वार्ड में प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर रही। कई प्रत्याशी बहुत की कम अंतर के साथ जीत का जायका चख सके। वार्ड-20 तथा 23 में तो पुन: मतगणना करनी पड़ गई। क्योंकि एक प्रत्याशी एक वोट से तथा दूसरा महज तीन वोट से ही जीत सका।
हालांकि ही पुन: मतगणना में भी परिणाम वही का वहीं रहा। वार्ड-23 में अफजाल मलिक तथा सोनू त्यागी के बीच कांटे की टक्कर हुई। अफजाल को 465 तथा सोनू को 466 वोट मिली। यानी साूने एक वोट से जीते। अफजाल ने पुन: मतगणना का आवेदन किया। फिर से मतगणना हुई तो सोनू तीन वोट से विजयी घोषित हुआ। इसके अलावा वार्ड-20 में फरमान अंसारी व सैमून में टक्कर रही।
फरमान को 341 व सैमून को 338 वोट मिले। इस वार्ड की भी पुन: मतगणना की गई। मगर फिर से गिनती के बाद भी फरमान को तीन वोट से जीता हुआ घोषित किया गया। इसके अलावा कई अन्य वार्ड पर भी कैंसिल वोट को लेकर विवाद रहा। मगर वोट स्पष्ट होने के बाद मामला निपट गया। प्रत्योशियों के संतुष्ट होने के बाद चुनाव अधिकारी ने विजेताओं को प्रमाण पत्र सौंपे।
सदस्य पद के प्रत्याशियों को नहीं मिला प्रवेश
मतगणना स्थल पर प्रशासन ने सदस्य पद के प्रत्याशियों को प्रवेश नहीं दिया। क्योंकि उन्होंने अपनी जगह एजेंट नियुक्त किए थे। जिसको लेकर प्रत्याशियों ने गेट पर हंगामा किया। मगर उनकी एक नहीं चल सकी। भीड़ बढ़ने पर पुलिस को लाठी फटकार कर खदेड़ना पड़ा। दरअसल सदस्य पद के अधिकांश प्रत्याशियों ने मतगणना के लिए एजेंट बनवाए थे। मगर उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि जो प्रत्याशी एजेंट नियुक्त करेगा, उन प्रत्याशियों को मतगणना स्थल पर प्रवेश नहीं मिलेगा।
सुबह के समय सभी प्रत्याशी मतगणना स्थल पर पहुंच गए। मगर पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। कई घंटे बहस का मुद्दा बना रहा। प्रत्याशी व उनके समर्थक भी जमा हो गए। हंगामे की स्थिति होने पर पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी। पुलिस ने लाटी फटकारते हुए भीड़ को खदेड़ दिया। इसके बाद मतगणना स्थल के आसपा कोई प्रत्याशी नहीं भटका।