Thursday, April 18, 2024
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फिल्मों और होली का संबंध पुराना है

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यूं तो संगीत की उपस्थिति भारतीय समाज में हमेशा से रही है। होली को भी इस पर आधारित गीत संगीत से अलग होकर नहीं देखा जा सकता। भारतीय गीत संगीत का जो नाता होली से है वह शायद ही किसी अन्य पर्व से नहीं है। सिनेमा और होली की संगत होली के रंगों को और भी गहरा और अमिट बनाया है।

सन 1940 में आई महमूद द्वारा निर्देशित ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म ‘औरत’ का गीत ‘जमुना तट श्याम खेले होली’ में पहली बार स्त्री पुरुष एक दूसरे पर रंग उड़ेलते दिखाई दिए जो समाज में स्त्री पुरुषों के बीच व्याप्त संकीर्ण मानसिक रूढ़ियों को तोड़ती नजर आई। होली का एक और सफेद श्यामल रंग 1950 में आई दिलीप कुमार अभिनीत केदार शर्मा की फिल्म ‘जोगन’ में मीरा के भजन पर आधारित गीता दत्त की सुरीली आवाज वाली ‘डारो रे रंग डारो रै रसिया’ गीत में दिखाई दिया। इससे पहले 1944 में अमिया चक्रवर्ती निर्देशित दिलीप कुमार की पहली फिल्म ‘ ज्वार भाटा’ में फिल्माया गया होली का काला और सफेद सिनेक्स ही दर्शकों के लिए मील का पत्थर साबित हुई।

फिल्मों ने होली का पहला रंगीन रूप 1952 में महबूब के निर्देशन में आई फिल्म आन के ‘खेलो रंग हमारे संग’ गीत में दिखा। इसके बाद तो मानो होली पर आधारित एक से बढ़कर एक कई फिल्मों और गीतों का तांता लग गया। सन 1958 महबूब खान के निर्देशन में लोकप्रिय और मशहूर फिल्म आई ‘मदर इंडिया’ का गीत ‘होली आई रे कन्हाई रंग बरसे’ दशकों बाद आज भी होली के दिन काफी सुना और बजाया जाता है। इसके अगले ही साल यानी 1989 में महिपाल और संध्या अभिनीत फिल्म ‘ नवरंग’ में होली के दिन नायक और नायिका के बीच होने वाले स्नेहिल मुहब्बतभरे नोकझोंक को होली के गीत ‘अरे जा रे हट नटखट ना छू रे मेरा घूंघट पलट के दूंगी आज तुझे गाली रे’ में बखूबी प्रदर्शित गया। 1960 में आई दिलीप कुमार और मीना कुमारी की फिल्म ‘कोहिनूर’ में होली पर आधारित गीत ‘तन रंग लो, जी मन रंग लो’ लोगों को खूब भाया।

1970 में आई फिल्म ‘कटी पतंग’ के गीत ‘आज न छोड़ेंगे हम हमझोली खेलेंगे हम होली’ गीत में कमल की भूमिका में सुपर स्टार राजेश खन्ना विधवा माधुरी के किरदार में आशा पारेख को रंगों से सराबोर कर देते हैं। यह दृश्य भारतीय समाज की उस कुप्रथा को तोड़ता मालूम पड़ता है जिसमें एक विधवा नारी को जिंदगी के तमाम रंगों से बेरंग कर दिया जाता है।

कई फिल्मों में होली के दृश्यों का प्रयोग फिल्म की जटिलता को बोधगम्य दृश्य में परिणित करने के लिए किया गया है। 1981 आई ऐसी ही एक फिल्म थी ‘सिलसिला’। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन के गजब अंदाज में गाए गए हरिवंशराय बच्चन का गीत ‘रंग बरसे भींगे चुनर वाली…’ होली पर्व की जान बन गई जो आज भी अन्य होली गीतों की तुलना में लोकप्रियता के मामले में कई गुणा आगे है। अमिताभ की ही आवाज में सन 2003 में आई ‘बागबान’ फिल्म की एक और होली गीत ‘होली खेले रघुवीरा अवध में होली खेले रघुवीरा…’ होली के दिन लोगों को खूब मोहित करता है। 1993 में यश चोपड़ा के कुशल निर्देशन में आई जूही चावला और शाहरूख खान के अभिनय वाली ऐसी ही एक और फिल्म है।

‘डर’ जिसमें एक तरफ जहां होली गीत ’अंग से अंग लगाना..’ राहुल (शाहरुख) किरण (जूही चावला) को प्रेम और भय के बेहद सघन तनावों के बीच छूने का मौका देकर फिल्म की गुत्थी को सुलझाती नजर आती है वहीं निर्देशक को अपनी कहानी को अंजाम तक पहुंचाने का रास्ता भी दिखलाती है। यश चोपड़ा के निर्देशन में ही सन 1984 में आई फिल्म ‘मशाल’ और 2000 में आई फिल्म ‘मोहब्बतें ’ का क्रमश: दो गाना ’होली आई होली आई….’ और ‘सोनी सोनी अखियों वाली दिल दे जा या दे जा तू गाली….’ ने बॉलीवुड के बड़े पर्दे पर खूब रंग बिखेरा।

सिनेमा में टर्निंग प्वाइंट के लिए भी होली के सीनेक्स को कई बार फिल्माया गया है। लोकप्रियता, कामयाबी और मशहूरियत के शिखर को छूने वाली सन 1973 में आई फिल्म ‘ शोले’ में गब्बर सिंह के गर्वीले सवालिया अंदाज में रूमानी ज्जबात से भरा डायलॉग ‘होली कब है? कब है रे होली’ सुनकर आज भी लोगों का मन उमंग और उल्लास से भर उठता है। धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, अमिताभ बच्चन और जया बच्चन अभिनीत इसी फिल्म का एक गीत जो होली के रंग का मूल संदेश देती है ‘होली के दिन दिल मिल जाते हैं… दुश्मन भी दोस्त बन जाते हैं’ होली के गीत की पहचान बन गई।

प्यार के इकरार व मिलन के अलावा प्रेम की विरह वेदना को भी निर्देशकों ने फिल्मों में होली के माध्यम से बखूबी दर्शाया है। होली गीत नहीं होते हुए भी ‘गाइड’ फिल्म में वहीदा रहमान पर फिल्माया गया गीत ‘आई होली आई, सब रंग लाई, तेरे बिन होली भी न भायी’ प्रेमी युगल के तड़प और भावुकता को बड़ी कुशलता से व्यक्त किया गया है।

समय के साथ साथ भारतीय सिनेमा का रंगभी काफी तेजी से बदला। होली का सिनेक्स भी इससे अछूता न रहा। फिल्मों में भी होली की आधुनिकता और शहरीकरण का रंग गहराता चला गया। सन 2005 में आई फिल्म ‘वक़्त द रेस अगेंस्ट टाइम’ के गीत ‘डू मी ए फेवर लेट्स प्ले होली’, सन 2013 में आई दीपिका पादुकोण और रणबीर कपूर की फिल्म ‘यह जवानी है दीवानी’ का गीत बलम ‘पिचकारी जो तूने मुझे मारी’ और फिर 2017 में आई वरुण धवन और आलिया भट्ट की फिल्म ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ का गीत ‘बद्री की दुल्हनिया…’ और फिर अभी हाल ही में सलीम सुलेमान के संगीत निर्देशन में डॉ सागर का लिखा गीत ‘बबूनी तेरे रंग’ भारतीय सिनेमा व गीतों में होली के दृश्यों पर आधुनिकता के गहराते रंगों के कुछ बेहतरीन उदाहरण हैं। जिस तरह से होली के दृश्यांकन ने भारतीय फिल्म और संगीत को पहचान दिलाई उसी तरह फिल्मों और फिल्म संगीतों ने भी होली को पूरे विश्व में काफी लोकप्रिय बनाया।


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