- किसानों को फ्री बिजली दिए जाने को लेकर संशय की स्थिति
- मुख्यालय से ऊर्जा निगम के अधिकारियों को अभी तक नहीं मिली कोई गाइडलाइन
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आधा मार्च गुजर जाने के बावजूद प्रदेश सरकार की ओर से घोषित एक अप्रैल से किसानों को नलकूपों के लिए फ्री बिजली दिए जाने की योजना को अमलीजामा पहनाने के संबंध में अभी तक कोई आदेश जारी नहीं किया जा सका है। ऊर्जा निगम के अधिकारियों को अभी तक इस संबंध में गाइडलाइन का इंतजार है| मेरठ और बागपत जिलों में नलकूपों के कुल कनेक्शनों की संख्या करीब 76 हजार है। इनमें से अभी तक 10 परसेंट नलकूपों पर भी मीटर नहीं लगाए जा सके हैं।
बिजली विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए सभी नलकूपों पर मीटर लगाए जाने का प्रावधान भी रखा गया है। इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि नलकूपों के माध्यम से खर्च होने वाली बिजली की स्थिति का सही आकलन किया जा सके। जिसके आधार पर राज्य सरकार से निगम को सब्सिडी की राशि मिल सके। मौजूदा स्थिति में यह स्पष्ट नहीं है कि किसानों को दी जाने वाली बिजली में विभाग को कितना खर्च करना पड़ रहा है।
हालांकि पिछले दिनों ऊर्जा निगम में पूरे प्रदेश के लिए 2000 करोड़ रुपये दिए जाने की मांग जरूर उठाई थी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपीपीसीएल के प्रबंध निदेशक किसानों को मुफ्त बिजली प्रदान करने के लिए अतिरिक्त कृषि सब्सिडी की मांग करते हुए सरकार को एक पत्र लिख चुके हैं। ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने यह भी बताया कि प्रदेश में लगभग 13 लाख निजी नलकूप किसान उपयोग में ला रहे हैं। प्रदेश के आंकड़े बताते हैं कि इनमें से करीब 12 लाख नलकूप पर मीटर नहीं लग सके हैं।
ऊर्जा निगम के सूत्र बताते हैं कि राज्य सरकार पहले ही यूपीपीसीएल को लगभग 2,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे रही है। इस समय राज्य सरकार की ओर से भाजपा के संकल्प पत्र में बिजली कनेक्शन के साथ अपने ट्यूबवेल चलाने वाले किसानों को मुफ्त बिजली देने की दिशा में प्रयास जारी है। जिसके बारे में बजट सत्र के दौरान एक अप्रैल से अमलीजामा पहनाने की घोषणा भी हो चुकी है। हालांकि मार्च का महीना आधा गुजर चुका है। और एक अप्रैल से किस प्रकार किसानों को मुफ्त बिजली दी जाएगी।
इसके संबंध में ऊर्जा निगम के अधिकारियों के पास कोई कार्य योजना नहीं पहुंच सकी है। इस बारे में एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि योजना के सही प्रकार से क्रियान्वयन के लिए यह जरूरी है कि सभी नलकूपों पर मीटर लग जाए जिससे नलकूपों पर होने वाले बिजली के वास्तविक खर्च का पता चल सके। और उसी के अनुरूप राज्य सरकार से सब्सिडी की राशि ऊर्जा निगम को मिल सके।
इसके अलावा किसानों की ओर जितना बकाया बिल है उसका भुगतान बिना विलंब किए कर दिया जाए। ताकि ऊर्जा निगम के पास कुछ धन का बंदोबस्त हो सके। किसान अपने नलकूपों पर वास्तविक लोड बढ़वा लें, कैपेसिटी बैंक लगवा लें, जिस के अनुरूप ट्रांसफार्मरों की क्षमता भी बढ़ाई जा सके। हालांकि भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष अनुराग चौधरी ने मीटर लगाए जाने और कैपेसिटर बैंक लगाने के मुद्दों को नकार दिया है। उनका कहना है कि किसान आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं है। एक अप्रैल से किसानों को मुफ्त बिजली दिए जाने के बारे में मेरठ के नोडल अधिकारी अधिशासी अभियंता एके वर्मा का कहना है कि जैसे ही मुख्यालय से आदेश प्राप्त होंगे उसी के अनुसार अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।