- शहरी क्षेत्र में चिन्हित 1005 गोवंश के सापेक्ष 651 की किया जा सके संरक्षित
- अधिकारियों के बार-बार निर्देश के बावजूद कई निकायों में नहीं बन सके आश्रय स्थल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मंडलायुक्त सेल्वा कुमारी जे, शासन से नामित मंडलीय नोडल अधिकारी डा. नीरज गुप्ता समेत जिला स्तरीय अधिकारियों के लगातार दिशा निर्देश के बावजूद दो माह तक चलाया गया गोवंश संरक्षण विशेष अभियान परवान नहीं चढ़ पाया है। इस अभियान के दौरान जहां ग्रामीण क्षेत्र में चिन्हित किए गए ज्यादातर गोवंश को आश्रय स्थलों तक भेजे जाने की बात कही गई है, वहीं शहरी क्षेत्र के अधिकारियों ने इस अभियान को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नवंबर से 31 दिसंबर तक दो माह के लिए एक विशेष अभियान शुरू कराया था। जिसके अंतर्गत छुट्टा घूम रहे गोवंश को संरक्षित करने के लिए शत प्रतिशत रिजल्ट देने के निर्देश जारी किए गए थे। इस मामले को लेकर आयुक्त सेल्वा कुमारी जे. और नामित मंडलीय नोडल अधिकारी डा. नीरज गुप्ता बराबर अधीनस्थ अधिकारियों से रिपोर्ट लेते रहे।
और शत प्रतिशत जीओवी वंश को संरक्षित करने के संबंध में दिशा निर्देश जारी करते रहे, लेकिन अधिकारियों ने इस मामले में शासन की मंशा के अनुरूप कोई गंभीर रूप नहीं अपनाया। अकेले मेरठ जनपद की अगर बात की जाए, तो यहां शहरी क्षेत्र में 1005 और ग्रामीण क्षेत्र में 995 गोवंश को चिन्हित करके संरक्षित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अभियान की समाप्ति पर आंकड़ों के मुताबिक स्थिति यह है कि शहरी क्षेत्र में अभी तक 1005 में से सिर्फ 651 गोवंश को ही संरक्षित किया जा सका है।
वहीं ग्रामीण क्षेत्र में चिन्हित 995 में से 981 गोवंश को संरक्षित करते हुए गो आश्रय स्थलों तक पहुंचाया गया है। इस अभियान के दौरान सभी खंड विकास अधिकारी एवं स्थानीय निकायों में अधिशासी अधिकारी/नगर आयुक्त, ग्राम्य विकास विभाग, पंचायती राज विभाग, गृह विभाग, पशुपालन विभाग, राजस्व विभाग के अधिकारियों/कर्मचारियों को सम्मिलित करते हुए निराश्रित गोवंश को पकड़ने के लिए टीम का गठन किया गया।
पकड़े गये संरक्षित गोवंश की दैनिक सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। नगर निगम एवं नगर निकाय के शहरी क्षेत्र में कैटिल कैचर की व्यवस्था करने को कहा गया। जहां आवश्यकता हो वहां नये गो आश्रय स्थलों का निर्माण कराने के निर्देश दिए गए। पकड़े गए गोवंश के लिए भूसा, हराचारा एवं दाना की व्यवस्था तथा गोचर भूमि पर हरा चारा उगाने को कहा गया, लेकिन शहरी क्षेत्र में इसका बहुत ज्यादा अमल नहीं किया गया है।
जनपद के शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में 2000 को वंश को चिन्हित किया गया था। जिनको विशेष अभियान के दौरान संरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया था। इनमें से 1632 गोवंश को संरक्षित किया जा चुका है। कभी 368 गोवंश संरक्षित करने से छूट गए हैं। शहरी क्षेत्र के लिए 1005 चिन्हित गोवंश में से 651 की को आश्रय स्रोतक पहुंचाई जा सके हैं।
जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 995 के सापेक्ष 981 गोवंश संरक्षित किया जा चुके हैं। नगर क्षेत्र में मवाना, खरखौदा, सिवाल खास, हस्तिनापुर, लावड़, खिवाई में आश्रय स्थल न बनाए जाने के कारण यह स्थिति बनी है। इन निकायों की मांग के अनुसार टीन शेड आदि का निर्माण करने के लिए शासन स्तर से धनराशि उपलब्ध कराई गई है। -डॉ. आरके शर्मा, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, मेरठ