- इकलौता की पारुल चौधरी ने किया गांव का नाम रोशन
- नेशनल रिकॉर्ड बनाकर ओलंपिक के लिए किया क्वालीफाई
जनवाणी संवाददाता |
मोदीपुरम: एकाग्र मन सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के साथ छोटे से गांव इकलौता की रहने वाली किसान की बेटी पारुल चौधरी ने नेशनल रिकॉर्ड बनाकर 2024 में होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करके अपना और गांव का नाम रोशन कर दिया। पारुल की इस उपलब्धि पर पूरे गांव में जश्न का माहौल है। पारुल के परिवार को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। धाविका पारुल चौधरी बचपन से ही स्पोर्ट्स के क्षेत्र में रहना चाहती थी।
उसके मनमुताबिक परिवार के लोग भी उसको सहयोग करते थे। पारुल ने वर्ष 2007 से स्पोर्ट्स के क्षेत्र में कदम रखा। उसके बाद पारुल ने कड़ी मेहनत की और एक के बाद एक उपलब्धि हासिल की है। पारुल ने अंडर-16 अंडर-18 अंडर-20 में मेडल जीता। इसके बाद नेशनल मेडल और इंडिया कैप में मेडल जीता। सोमवार को हंगरी में महिलाओं की तीन हजार मीटर स्टीपल चेज में नया नेशनल रिकॉर्ड बनाकर 2024 में होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। पारुल चौधरी रेलवे में टीटी के पद पर कार्यरत है।
जिसकी मुंबई में तैनाती है। पारुल की इस उपलब्धि पर परिवार के लोगों में बेहद खुशी और उत्साह देखने को मिला। पारुल के किसान पिता कृष्णपाल और मां राजेश देवी का कहना है कि वह बेटी की इस उपलब्धि पर बेहद खुश है और उन्हे बेटी पर गर्व है कि आज उसने अपने नाम के साथ-साथ अपने गांव और प्रदेश का नाम रोशन किया है। वह उसकी उपलब्धि से फू ले नहीं समा रहे हैं।
चारों भाई बहन ने किया अपने-अपने क्षेत्र में नाम रोशन
पारुल चौधरी चार भाई-बहन है। बड़ा भाई दीवान आरएलएम में कार्यरत है। जबकि उससे छोटी बहन सीआईएसएफ में एसआई के पद पर भोपाल में तैनात है। जबकि पारुल खुद रेलवे में टीटी के पद पर तैनात है। उसका छोटा भाई रोहित धनकड़ यूपी पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात है।
चारों भाई बहनों ने अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की है और किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले इन भाई बहनों ने अपने माता-पिता के अलावा गांव का भी नाम रोशन किया है।
अब मेरठ में भी अभ्यास करके जीता जा सकता है मेडल
कैलाश प्रकाश स्टेडियम में प्रशिक्षक गौरव त्यागी ने बताया कि पारुल चौधरी वर्ष 2010 से उनकी देखरेख में प्रशिक्षण ले रही है। वह कड़ी मेहनत करने वाली धाविका है। हाल ही में बैंकाक में आयोजित हुए गैम्स में एक गोल्ड और एक सिल्वर जीतकर उसने देश का नाम रोशन किया है। सितंबर में दो पद फिर से पारुल चौधरी जीतेगी। गौरव चौधरी ने बताया कि पारुल चौधरी की एजुकेशन ग्रेजुएश्न है, लेकिन वह अपने क्षेत्र में लगन के साथ मेहनत करती है।
उसके जज्बे को सलाम है। क्योंकि वह सुबह दो से तीन घंटे और शाम को भी दो से तीन घंटे का अभ्यास लगातार करती है। जो उसकी मेहनत का आज फल मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पहले लखनऊ में जाकर तैयारी की जाती थी, लेकिन आज मेरठ में भी तैयारी करके मेडल जीते जा सकते हैं। यह पारुल चौधरी ने साबित करके दिखा दिया है। उन्होंने पारुल की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस किया और ओलंपिक में मेडल जीतकर पारुल के द्वारा देश का नाम रोशन करने की बात भी कही है।
देश और दुनिया में नाम करने के जज्बे से पारुल ने की मेहनत
पारुल चौधरी पिछले तीन महीने से यूएसए में रहकर अभ्यास कर रही है। पारुल के कोच गौरव त्यागी का कहना है कि उसका मकसद ओलंपिक में पदक लाना है। वह इसके लिए लगातार मेहनत कर रही है। उसका मकसद दुनिया में अपना और अपने देश का नाम रोशन करना है। पारुल चौधरी के क्वालीफाई करने के बाद उसने अपने प्रशिक्षक गौरव त्यागी से फोन पर बातचीत करके आशीर्वाद लिया और उनका मार्ग दर्शन प्राप्त किया। पारुल की खुशी का कोई ठिकाना नही था। उनके कोच का कहना है कि पारुल ने स्पोर्ट्स के क्षेत्र में जब से कदम रखा है
तब से वह एक के बाद एक उपलब्धि हासिल कर रही है। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाली पारुल ने कभी नही सोचा था कि वह देश और दुनिया में अपना नाम करेगी, लेकिन उसकी मेहनत और लग्नता से साफ जाहिर होता था कि यह एक दिन दुनिया भर में अपना नाम रोशन करेगी। उनका कहना है कि परिवार के लोगों ने भी उसका हमेशा सहयोग किया है। परिवार के दम पर ही वह एक के बाद एक उपलब्धि हासिल करती गई और अपने नाम मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाती गई।