Friday, March 29, 2024
HomeUttar Pradesh NewsMeerutविश्व स्वास्थ्य दिवस: जितनी दवा, उतनी ही बीमारियां

विश्व स्वास्थ्य दिवस: जितनी दवा, उतनी ही बीमारियां

- Advertisement -

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: प्रदीप भागवत अविष्कारक संस्थापक एनडब्ल्यूएम चिकित्सा पद्धति ने बताया कि एनडब्ल्यूएम चिकित्सा पद्धति एक नई अल्टरनेटिव कंप्लिमंटरी नॉन इनवेसिव ड्रग्लेस साइको यौगिक चिकित्सा पद्धति है। आज जमीन पर जितनी दवाएं हैं, कभी भी नहीं थीं, लेकिन बीमारियां कम नहीं हुईं।

बीमारियां बढ़ गई हैं। सच तो यह है कि नई-नई मौलिक बीमारियां पैदा हो गईं, जो कभी भी नहीं थीं। हमने दवाओं का ही आविष्कार नहीं किया, हमने बीमारियां भी आविष्कृत की हैं। क्या होगा कारण? दवाइयां बढ़ें तो बीमारियां कम होनी चाहिए, यह सीधा तर्क है। दवाइयां बढ़ें तो बीमारियां बढ़नी चाहिए, यह क्या है? यह कौन सा नियम काम कर रहा है?

असल में, जैसे ही दवा बढ़ती है, वैसे ही आपके बीमार होने की क्षमता बढ़ जाती है। भरोसा अपने पर नहीं रह जाता, दवा पर हो जाता है। बीमारी से फिर आपको नहीं लड़ना है, दवा को लड़ना है। आप बाहर हो गए। और जब दवा बीमारी से लड़ कर बीमारी को दबा देती है, तब भी आपका अपना रेसिस्टेंस, अपना प्रतिरोध नहीं बढ़ता। आपकी अपनी शक्ति नहीं बढ़ती।

बल्कि जितना ही आप दवा का उपयोग करते जाते हैं, उतना ही बीमारी से आपकी लड़ने की क्षमता रोज कम होती चली जाती है। दवा बीमारी से लड़ती है, आप बीमारी से नहीं लड़ते। आप रोज कमजोर होते जाते हैं। आप जितने कमजोर होते हैं, उतनी और भी बड़ी मात्रा की दवा जरूरी हो जाती है।

जितनी बड़ी मात्रा की दवा जरूरी हो जाती है, आपकी कमजोरी की खबर देती है। उतनी बड़ी बीमारी आपके द्वार पर खड़ी हो जाती है। यह सिलसिला जारी रहता है। यह लड़ाई दवा और बीमारी के बीच है, आप इसके बाहर हैं। आप सिर्फ क्षेत्र हैं, कुरुक्षेत्र, वहां कौरव और पांडव लड़ते हैं।

वहां बीमारियों के जर्म्स और दवाइयों के जर्म्स लड़ते हैं। आप कुरुक्षेत्र हैं। आप पिटते हैं दोनों से। बीमारियां मारती हैं आपको कुछ बचा-खुचा होता है, दवाइयां मारती हैं आपको, लेकिन दवा इतना ही करती है कि मरने नहीं देती; बीमारी के लिए आपको जिंदा रखती है।

दवाओं और बीमारियों के बीच कहीं कोई अंतर-संबंध है। अगर हम नवम विशेषज्ञ से पूछें, तो वह कहेगा कि जिस दिन दुनिया में कोई दवा न होगी, उसी दिन बीमारी मिट सकती हैं, लेकिन यह बात हमारी समझ में न आएगी। क्योंकि उस का तर्क ही कुछ और है। वह यह कहता है, कोई दवा न हो, तो बीमारी से तुम्हें लड़ना पड़ेगा। भोजन में शक्ति ढूंढनी पड़ेगी, श्वसन में ढूंढनी पड़ेगी, निगेटिव पॉजिटिव एनर्जी को समझना पड़ेगा, उससे तुम्हारी शक्ति जगेगी।

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments