सूर्यभेदी प्राणायाम की पूरी विधि
राजीव कुमार, योगाचार्य ने बताया कि सूर्य भेदी प्राणायाम में, साँस लेना केवल दाहिने नथुने और साँस छोड़ना बाएँ नथुने से ही होता है। अंगूठे का उपयोग दाईं नासिका को बंद करने के लिए किया जाता है और अनामिका का उपयोग बाईं नासिका को बंद करने के लिए किया जाता है।
योगाचार्य ने बताया कि साँस लेने और साँस छोड़ने के लिए प्राणायाम शुरुआती 1:1 के अनुपात से शुरू होना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आप 4 सेकंड के लिए एक नथुने के माध्यम से साँस लेते हैं, तो दूसरे नथुने से साँस छोड़ना भी 4 सेकंड के लिए होना चाहिए। जैसा कि आप प्रगति करते हैं।
योगाचार्य ने बताया कि साँस लेने और छोड़ने का अनुपात 1:2 में बदला जा सकता है, जिसका अर्थ है कि यदि साँस लेना 4 सेकंड है, तो साँस छोड़ना 8 सेकंड है। जब आप सूर्य भेदी शुरू करते हैं, तो प्रारंभिक अवस्था में सांस लेने, पकड़ने और छोड़ने की प्रक्रिया 5 से 10 बार की जानी चाहिए।
सूर्य भेदन प्राणायाम लाभ
- बुढ़ापे को टालता है: इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आप अपने एजिंग प्रोसेस को कम करते हुए बुढ़ापे को टाल सकते हैं।
- मृत्यु को रोकना: शास्त्रों में लिखा गया है कि इस प्राणायाम का नियमित अभ्यास से आप अपने मृत्यु में देरी या रोक सकते हैं।
- पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए: सूर्य भेदन प्राणायाम पेट के कीड़ों को नष्ट कर देता है।
- वात या गठिया: वायु से होने वाले विकार दूर कर वात या गठिया को ठीक करता है।
- सिर दर्द: अगर आप सिर दर्द से परेशान हैं तो इस प्राणायाम अभ्यास करनी चाहिए।
- कुंडलिनी शक्ति जागरण में: यह कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता है और शारीरिक ताप को बढ़ाता है।
- निम्न रक्तचाप : यह शरीर की संवेदना तंत्रिका प्रणाली को सक्रिय करता है इसलिए यह निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए लाभदायक होता है।
- सांस की समस्या: इसके अभ्यास से सांस से सम्बंधित ज़्यदातर समस्यायों का हल पाया जा सकता हैं।
सावधानी: पूरक करते समय पेट और सीने को ज्यादा न फुलाएं। श्वास पर नियंत्रण रखकर ही पूरक क्रिया करें। पूरक-रेचक करते समय श्वास-प्रश्वास की आवाज नहीं आनी चाहिए। प्राणायाम बंद कमरे में न करें और न ही पंखे में। प्राणायाम के अभ्यास के लिए साफ-सुथरे वातावरण की जगह होना चाहिए।