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बड़ा सवाल: 10 दिन में 700 लोगों की मौत, सीएमओ की रिपोर्ट में 35

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बड़ा सवाल: 10 दिन में 700 लोगों की मौत, सीएमओ की रिपोर्ट में 35

अंतिम संस्कार की तस्वीरें बयां कर रही अलग तस्वीर                        

क्या कोरोना के अलावा भी अन्य बीमारियों से ज्यादा लोग मर रहे?     

एक दिन में सर्वाधिक 88 लोगों का हो चुका है अंतिम संस्कार             


ज्ञान प्रकाश |

मेरठ: कोरोना की दूसरी लहर ने मौतों के आंकड़ों का ग्राफ तेज कर दिया है। ऐसा कोई दिन नहीं जा रहा जिस दिन सूरजकुंड स्थित श्मसान घाट में अंतिम संस्कार कराने वालों की लाइन न लगी हो। श्री गंगा मोटर कमेटी के आंकड़े बताते हैं कि 10 दिन में 700 से अधिक लोगों की मौत का सामान यहां से दिया गया है।

सवाल यह उठ रहा है कि जब स्वास्थ्य विभाग कह रहा है कि कोरोना से सिर्फ 35 मौतें ही हुई है तो बाकी मौतें किन बीमारियों से हुई है, यह एक यक्ष प्रश्न बनकर लोगों के मस्तिष्क में गूंज रहा है। यह आंकड़े दर्शा रहे हैं कि अप्रैल के महीने में कोरोना ने सैकड़ों परिवारों को किस तरह नुकसान पहुंचाया है।

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कोरोना की दूसरी लहर जानलेवा बनकर आई है। पहली लहर में 11 माह में कोरोना से 404 लोगों की मौत हुई थी। इनमें भी मौतों का सिलसिला जनवरी में थम गया था। दूसरी लहर जिस तरह से अप्रैल में शुरु हुई है उसने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की चिंताए तो बढ़ाई ही है साथ में परिवार के परिवार उजाड़ दिये है। सिर्फ अप्रैल महीने में ही स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 10 दिन में ही 35 लोगों की मौत हो चुकी है।

मेरठ के 30 कोविड सेंटरों में लगातार मौतें हो रही है, लेकिन वो स्वास्थ्य विभाग की कोविड रिपोर्ट में दर्ज नहीं हो रही है। मेडिकल कालेज में हो रही मौतों में दूसरे जनपद से आए कोरोना पॉजिटिवों की मौतें भी शामिल है। इनके परिजन बजाय अपने घर पार्थिव शरीर ले जाने के सूरजकुंड में ही अंतिम संस्कार करवा रहे हैं। इस कारण सूरजकुंड में ओवरलोड और वेटिंग की समस्या खड़ी हो गई है और पार्किंग तक में अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। श्री गंगा मोटर कमेटी के सचिव दिनेश जैन का कहना है कि रोज 70 से अधिक मामले मौत के आ रहे हैं।

ज्यादातर अंतिम संस्कार सूरजकुंड पर हो रहे हैं। बाकी शहर के अन्य श्मसान घाटों में अंतिम संस्कार हो रहे हैं। कोविड शवों के लिये सबसे ज्यादा मारामारी मची हुई है। आचार्यों के मुताबिक प्रतिदिन 25 से अधिक कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है। लगातार बढ़ रही संख्याओं के कारण वहां के आचार्यों ने भी कोविड शवों के अंतिम संस्कार के लिये 1200 रुपये और सामान्य मौतों के अंतिम संस्कार के लिये 700 रुपये ले रहे हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि कोरोना के अलावा सबसे ज्यादा मौतें आॅक्सीजन का लेवल कम होने के कारण हो रही है। दु:खद बात यह है कि इन मौतों में सबसे अधिक युवाओं की मौत हो रही है। आखिर स्वास्थ्य विभाग मौतों के आंकड़े कम क्यों दे रहा है। इसका जवाब देने को कोई तैयार नहीं है बस लोग बेबस हैं और धूं-धूं करके जलती हुई चिताओं को देखकर दहशत में खामोश हो जाते हैं।