Saturday, April 20, 2024
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800 डेथ सर्टिफिकेट, मौत का आंकड़ा 200 क्यों ?

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  • नगर निगम क्षेत्र के आंकड़े झूठा साबित कर रहे दावों को
  • सूरजकुंड श्मशान घाट में 40 दिन में 1500 लोगों का अंतिम संस्कार

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: कोरोना की दूसरी लहर ने जहां सैकड़ों घरों में न भूलने वाला गम दे दिया। वहीं, प्रशासन की लचर कार्रवाई की पोल खोल दी। बजाय लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराकर उनको ठीक करने की सरकारी आंकड़ों में मौतों को ही छुपाकर सरकार के सामने अपनी वाहवाही लूटने की कोशिश की।

गत एक अप्रैल से लेकर 10 मई तक के आंकड़ों में स्वास्थ्य विभाग कोरोना से सिर्फ 200 मौतें होने का दावा करता है। जबकि इस अवधि में नगर निगम के जन्म-मृत्यु विभाग की तरफ से 800 लोगों के डेथ सर्टिफिकेट जारी किये जा चुके हैं। इन आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़ें तो शामिल भी नहीं है।

कोरोना की पहली लहर ने 60 साल से ऊपर वालों के लिये मुश्किलें खड़ी की थी और मेरठ में पहली लहर में हुई 400 के करीब मौतों में 90 फीसदी मौत बुजुर्गों की हुई थी। कोरोना की दूसरी लहर ने 50 साल से कम उम्र वालों पर ज्यादा प्रभाव डाला और यही कारण है कि 40 साल से कम उम्र के लोगों की मौतों ने लोगों को दहशत में डाल दिया।

नगर निगम के जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र विभाग के दिनेश कुमार ने बताया कि इस साल एक अप्रैल से लेकर 10 मई तक 801 लोगों ने डेथ सर्टिफिकेट के लिये आवेदन किया है। इसमें 775 लोगों को डेथ सर्टिफिकेट बनाकर दिया जा चुका है। पिछले साल इसी अवधि में सिर्फ 300 सर्टिफिकेट जारी किये गए थे। नगर निगम में 20 अप्रैल के बाद हुई मौतों के लिये लोगों ने अभी आवेदन नहीं किया है।

इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि जिन घरों में पुरुषों की मौत हुई है और उनके यहां बच्चे छोटे हैं या फिर जिनके मां-बाप कोरोना की भेंट चढ़ गए। उनके यहां आवेदन करने वाला कोई बचा नहीं है। ऐसे लोगों की तादाद भी काफी है। इसके अलावा अधिकांश घरों में तेरहवी के बाद लोग आवेदन करने के लिये निकलेंगे।

इस कारण भी अधिकांश लोग आवेदन करने नहीं पहुंचे हैं। गंगा मोटर कमेटी के आंकड़ों के अनुसार 10 अप्रैल से लेकर 10 मई तक सूरजकुंड श्मशान घाट में प्रतिदिन 50 से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। एक सप्ताह तक यह आंकड़ा 60 से 80 तक पहुंच गया था। इस हिसाब से देखा जाए तो कम से कम 1500 लोगों का अंतिम संस्कार इस अवधि में हुआ।

इनमें दूसरे जनपदों के कोरोना पीड़ितों के शव अगर निकाल भी दिये जाएं तो एक हजार से कम लोग अकेले मेरठ के हैं। इसके अलावा शहर के अन्य श्मशान घाटों और कब्रिस्तान के आंकड़े में इसमें शामिल नहीं किये गए हैं। शहर का बड़ा कब्रिस्तान बाले मियां में ही कोरोना काल में 200 से अधिक लोग सुपुर्दे खाक किये जा चुके हैं।

इस बार के कोरोना में आॅक्सीजन की कमी के कारण लोगों की ज्यादा मौतें हुई और प्रशासन अपने स्तर पर न तो लोगों के लिये आॅक्सीजन की व्यवस्था कर पाया और न ही जीवनरक्षक दवाएं उपलब्ध करा पाया। अस्पतालों में बेड न मिलने के कारण भी लोगों ने दम तोड़ा। इस लचर और पंगु व्यवस्था के कारण कई लोगों को अकाल मौत का सामना करना पड़ा।

एंबुलेंसों के सायरन से दहशत बढ़ी

कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के दौरान खाली पड़ी सड़कों पर तेज रफ्तार से गुजरने वाली एंबुलेंसों के सायरन की आवाज सुनकर लोगों की दहशत बढ़ने लगी थी। हर कोई इनको देखकर यही सोचता था कि कोरोना से या तो किसी की मौत हुई है या फिर कोई गंभीर मरीज जा रहा है।

अस्पतालों में बेड न मिलने के कारण एंबुलेंस एक नर्सिंग होम से लेकर दूसरे नर्सिंग होमों में भागती रहती थी और निराश होकर मरीज इनमें ही दम तोड़ देता था। कोरोना पीड़ितों के कारण इन एंबुलेंसों ने मानवीयता को ताक पर पैसे कमाने के लालच में मरीजों को ऐसे नर्सिंग होमों में भर्ती करा दिया जहां पर न तो वेंटीलेटर की सुविधा थी और न ही आॅक्सीजन की। इस कारण भी कई मरीजों की जानें गई। प्रशासन इस तरह की अव्यवस्था को नजरअंदाज करता रहा और मौतों का आंकड़ा बढ़ता रहा।

कोरोना संक्रमित हुए कम, मौत पर अंकुश नहीं

एक और ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना कहर बरपा रहा है। वहीं, कोरोना संक्रमितों का ग्राफ लगातार कम हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की जारी रिपोर्ट में 6663 टेस्टिंग में 434 लोग पॉजिटिव निकले हैं और 12 लोगों की मौत हो गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि पांच दिन से कोरोना का ग्राफ अचानक गिरा है। पहले रोज एक हजार से ज्यादा संक्रमित निकल रहे थे जो अब घटकर 500 से कम हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से अब तक 60434 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 640 लोगों की मौत हो चुकी है। इस वक्त 5380 लोग घर में रहकर इलाज करा रहे हैं। वहीं, 9403 लोग एक्टिव है। उन्होंने बताया कि कोरोना को हराकर 1233 लोग घर आ चुके हैं।


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