Thursday, April 17, 2025
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खुला भ्रष्टाचार: आखिर ऐसी भी क्या है मजबूरी…जो ओयो है जरूरी

  • सुभारती के आसपास 500 मीटर के दायरे में 32 होटल
  • महज पांच हजार में पुलिस से चकलाघर की अनुमति

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आखिर ऐसी भी क्या मजबूरी है जो पुलिस प्रशासन के आला अफसरों को महानगर के तमाम इलाकों में चल रहे ओयो होटलों के आड़ में खोले जा रहे चकलाघर नजर नहीं आ रहे हैं। महानगर के तमाम इलाकों में ओयो होटलों के नाम पर खुले जिस्म फरोशी के ये अड्डे देखे जा सकते हैं, लेकिन जानी थाना क्षेत्र की सुभारती चौकी में जिस्म फरोशी के इन ठिकानों की पूरी मंडी देखने को मिल जाएगी।

यहां हालात किस कदर खराब हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुभारती चौकी से करीब 500 मीटर के दायरे में 32 ओयो होटलों के नाम पर चकलाघर की अनुमति दे दी गयी है। जनवाणी टीम ने बीते 10 दिन में महानगर के तमाम इलाकों में खेले गए ऐसे ही ओयो होटलों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी के साथ-साथ पुलिस का खुला संरक्षण की पोल खुलती चली गयी।

यह तथ्य भी जानकारी में आया है कि पुलिस केवल ओयो होटलों के नाम पर जिस्म फरोशी के इन अड्डों की अनुमति ही नहीं दे रही बल्कि किसी आफत के आने के दौरान पुलिस इनकी बड़ी मददगार भी साबित होती है। जहां तक कायदे कानून की बात है तो पुलिस संरक्षण हासिल हो तो फिर किसी कायदे कानून की जरूरत नहीं पड़ती।

ये है नियम…पालन एक का भी नहीं

  • फायर एनओसी                                           नहीं
  • मानचित्र स्वीकृत                                          नहीं
  • सराय एक्ट में पंजीकरण                                नहीं
  • एफएसएसएआई                                         नहीं
  • जीएसटी                                                   नहीं
  • पुलिस लाइसेंस                                           नहीं

नियमों का खुला उल्लंघन, फिर भी ओयो संचालित

होटल सरीखे किसी भी कारोबार के लिए प्रशासन से ली जाने वाली अनुमति में फायर एनओसी सबसे प्रमुख है, लेकिन लगता है कि प्रशासन और पुलिस पूरे महानगर में कुकरमुक्तों की तरह उग आए ओयो होटलों के फायर एनओसी लेने की बाध्यता को जरूरी नहीं समझती है। क्योंकि जनवाणी की पड़ताल में पता चला है कि ओयो होटलों पर फायर एनओसी नहीं है।

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होटल खोलने के लिए सबसे जरूरी सरकारी प्रक्रिया जो भी होटल खोला जा रहा है सराय एक्ट में उसका पंजीकरण कराना अनिवार्य है, लेकिन प्रशासन व पुलिस के आला अफसर ओयो होटलों के मामलों में सराय एक्ट की अनिवार्यता को लगता है भुलाए बैठे हैं। तमाम संचालकों ने ओयो होटल सराय एक्ट में पंजीकरण कराना जरूरी नहीं समझा है। सब कुछ पुलिस की छत्रछाया से चल रहा है।

महज एक कमरों में खोल दिए गए ओयो होटलों का नक्शा तक मेरठ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत नहीं कराया गया है। दरअसल ज्यादातर ओयो होटल भाडेÞ की जगह पर संचालित किए जा रहे हैं। बहुत से ऐसे हैं जो घरों में संचालित किए जा रहे हैं। एक होटल के लिए प्राधिकरण से जो मानचित्र स्वीकृत कराना अनिवार्य किया गया है उस अनिवार्यता को भी ओयो संचालकों में रद्दी की टोकरी में डाल दिया है क्योंकि पांच हजार रुपये महीना थाने को जो पहुंच रहा है।

महज एक कमरा

ओयो होटल के नाम पर चल रहे जिस्म फरोशी के इन ठिकानों की बात करें तो कुछ तो महज एक कमरे में ही संचालित किए जा रहे हैं। दो हजार रुपये प्रति घंटे के हिसाब से इनका भाड़ा वसूल किया जाता है। स्पेशल सर्विस के नाम पर पांच हजार तक ले लिए जाते हैं। पूरे महानगर में जहां-जहां भी ओयो होटल खोले गए हैं सभी के किस्से कमोवेश एक सरीखे हैं। ये ओयो होटल की तस्वीर का एक रुख है। जो जनवाणी आपके सामने रख रहा है। एक कमरे में भी ओयो होटल चल रहे हैं। इनमें क्या हो रहा है। ये सब जगजाहिर है।

ढाई साल से जमे है चौकी इंचार्ज

सुभारती पुलिस चौकी मलाईदार मानी जाती है। बड़ी सिफारिश से इस चौकी पर तैनाती मिलती है। ये ही वजह है कि ढाई साल से अजब सिंह इसी पुलिस चौकी पर जमे हैं। उनको यहां से हटाया ही नहीं गया। इसको लेकर भी अंगुलियां उठ रही है। आखिर एक दारोगा पर इतनी मेहरबानी की वजह क्या है? क्योंकि भ्रष्टाचार चौकी क्षेत्र में खूब फल-फूल रहा है। ओयो होटल तो एक इसका उदाहरण है। तमाम अवैध काम सुभारती पुलिस चौकी की सीमा क्षेत्र में हो रहे हैं।

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