Monday, October 14, 2024
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कोरोना से एक और श्रीमहंत मनीष भारती का निधन 

  • एक दिन पूर्व श्रवणनाथ मठ के अध्यक्ष श्रीमहंत लखनगिरी का भी कोरोना से निधन हुआ था
  • अखाड़े के दो प्रमुख संतों के ब्रह्मलीन हो जाने से अखाड़े में शोक की लहर
  • अखाड़े के कई संतों के कोरोना से निधन होने से संतों में भय का माहौल

जनवाणी संवाददता |

हरिद्वार: पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के कोरोना से संक्रमित श्रीमहंत मनीष भारती ब्रह्मलीन हो गए। श्रीमहंत मनीष भारती का एम्स में इलाज चल रहा था। इससे एक दिन पूर्व श्रवणनाथ मठ के अध्यक्ष श्रीमहंत लखनगिरी महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे। ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखनगिरी महाराज भी कोरोना से संक्रमित थे। उनका भी ऋषिकेश एम्स में इलाज चल रहा था।

दो दिन में अखाड़े के दो प्रमुख संतों के ब्रह्मलीन हो जाने से अखाड़े में शोक की लहर दौड़ गई है। कुछ दिन पूर्व निरंजनी अखाड़े की साध्वी प्रेमलता गिरी का निधन हो गया था। अखाड़े के तीन संतों के ब्रह्मलीन होने से संतों में भय भी है। श्रीमहंत लखनगिरी महाराज व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमहंत लखनगिरी व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने से निंरजनी अखाड़े को जो क्षति हुई है वह कभी पूरा नहीं हो सकता।

श्रीमहंत नरेंद्र गिरी महाराज ने कहा कि निधन चाहे संत का हो या आम व्यक्ति है। समाज के लिए अपूर्णीय क्षति है। निंरजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज व आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती विद्वान संत थे। सनातन धर्म के संवर्द्धन तथा अखाड़े की परंपराओं को मजबूत करने में दोनों का अहम योगदान रहा है। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

मां गंगा दोनों संतों को अपने श्रीचरणों में स्थान दे। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती अखाड़े के प्रमुख संत थे। कोरोना से संक्रमित होने पर दोनों को एम्स में भर्ती कराया गया था। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत लखन गिरी व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने से संत समाज को गहरा आघात पहुंचा है।

दोनों संतों के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी कमी अखाड़े को सदैव खलेगी। उन्होंने बताया कि दोनों ब्रह्मलीन संतों को नीलधारा तट स्थित समाधि स्थल पर भूसमाधि दी गयी। इस दौरान कई संतों ने श्रीमहंत लखनगिरी महाराज व श्रीमहंत मनीष भारती के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त किया।


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