- मामले की गूंज शासन स्तर तक, अफसरों की लापरवाही पर जतायी हैरानी
- प्रथम दृष्टया निगम के संपत्ति विभाग के अफसरों की भूमिका पर उठ रहे सवाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम की बेशकीमती संपत्तियों के गायब होने से अफसर पूरी तरह से बेखबर हैं। हैरानी तो इस बात की है कि शासन तक सपंत्तियों के गायब होने की गूंज है, लेकिन निगम के अफसर कुंभकर्णी नींद में सोए हैं। सर्किल एरिया के हिसाब से महानगर के सबसे ज्यादा रेट वाले इलाकों में शुमार कोतवाली के भगत सिंह मार्केट में एक दो या दस बीस नहीं बल्कि पूरी 150 दुकानें गायब हो गयी हैं।
आय बढ़ाने के इरादे से बनाई थीं
कर्मचारियों के वेतन तथा शहर के विकास के लिए दूसरे खर्चों के लिए आय बढाने के लिए सालों पहले अफसरों ने पूरे शहर में दुकानें बनवायी थीं ताकि एक लगी बांधी आमदनी होती रहे। पूर्व के अफसरों का इरादा वाकई बहुत अच्छा था। कर्मचारियों का भविष्य ही नहीं बल्कि शहर के विकास के लिए आय के मजबूत स्रोत का इंतजाम कर गए थे।
इन स्थानों पर बनायी गईं दुकानें
शहर के जिन इलाकों में दुकानें बनायी गयीं उनमें शहर घंटाघर का मीना बाजार, भगत सिंह मार्केट, पीएल शर्मा रोड आदि भी शामिल हैं। इनके अलावा शहर के कई दूसरे इलाकों में भी दुकानें बनवायी गयी थीं। इसके पीछे आमदनी का जरिया बनाने के अलावा लोगोें को रोजगार का मौका भी मुहैय्या कराना था ताकि इन दुकानों के जरिये परिवार पाल सकें।
नंबर मौजूद, दुकानें गायब
गायब हो गयी जिन दुकानों का यहां जिक्र किया जा रहा है, निगम की फाइलों में उनके नंबर तो मौजूद हैं लेकिन यदि भौतिक सत्यापन किया जाए तो दुकान नहीं मिलेगी। जिनकों दुकानें बेची गयी थीं उन्होंने उन दुकानों को दूसरों को बेच दिया है। कुछ किराएदारों ने दुकान का भूगोल ही बदल दिया। उन्होंने अपने बराबर और आगे पीछे वाली दुकान को भी खरीद कर एक छोटी कमरे नुमा दुकान को बडे हाल नुमा शोरू में तब्दील कर दिया है। इसी प्रकार से एक दो नहीं बल्कि डेढ़ सौ दुकानें गायब कर दी गयी हैं।
अफसर बेखबर या सेटिंग
किसी भी दुकान को तोड़कर उसमें दो अन्य दुकानें मिलाकर बड़ा हाल बनाने का काम कोई एक दो घंटे या दिन में हो जाता। इस काम में कम से एक माह का समय जरूर लगता है। हैरानी इस बात की है कि सरकारी दुकानों का भूगोल बदलने की इस कार्रवाई से निगम के अफसर पूरी तरह बेखबर रहे या फिर उसने सेटिंग कर ली गयी।
ये हैं गायब दुकानें
कोतवाली के भगत सिंह मार्केट में इंचौली ज्वैलर्स, मुंशी कपडेÞ वाले, छाबड़ा 777, गोयल ज्वैलर्स, बुल्ला सुनार, सहित अनेकों किराएदारों अपने बराबर की दुकान को अपनी दुकान में मिलाकर दो की एक दुकान यानि शोरूम बनाकर एक दुकान को भौगोलिक रूप से पूरी तरह से खतम कर दिया है।
पूरे महानगर में निगम की करीब 1050 दुकानें हैं जिनमें से 150 की भौगोलिक स्थिति खत्म कर दी गयी है।
संपत्ति अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
निगम की दुकानों का अस्तित्व ही खत्म कर दिए जाने के पीछे विभाग के संपत्ति अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खडे किए जा रहे हैं। इस संबंध में पीर वाली गली हापुड स्टैंड निवासी सचिन सैनी ने मंडलायुक्त को भेजे गए पत्र में संपत्ति अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खडे किए हैं।
शासन तक गूंज
भाजपा नेता तथा खंदक बाजार हैंडलूम व्यापार संघ के महामंत्री अंकुर गोयल ने बताया कि यह मामला संज्ञान में जब आया तो उन्होंने इसकी शिकायत प्रदेश के नगर विकास विभाग से की है। इसको लेकर सांसद राजेन्द्र अग्रवाल के माध्यम से भी एक शिकायत शीघ्र ही मुख्यमंत्री को भेजी जाएगी।
यह कहना है शिकायतकर्ता का
मामले को उजागर करने वाले सचिन सैनी का कहना है कि दुकानों को भौगोलिक रूप से खत्म कर दिए जाने के इस खेल में करोड़ों रुपए का लेन-देन हुआ है। मंडलायुक्त से मामले की जांच की मांग की गयी है। हाईकोर्ट में भी एक याचिका दायर की जाएगी।