Monday, October 14, 2024
- Advertisement -

ग्रीष्मकालीन मौसम में कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती

 

 

khatibadi 1

 


कद्दूवर्गीय सब्जियों को मानव आहार का एक अभिन्न अंग माना जाता है। इन्हें बेल वाली सब्जियों के नाम से भी जाना जाता है जैसे-लौकी, खीरा, तोरई, गिल्की, करेला, कद्दू, तरबूज एवं खरबूज की खेती गर्मी के मौसम में आसानी से की जा सकती है।

Weekly Horoscope: क्या कहते है आपके सितारे साप्ताहिक राशिफल 3 अप्रैल से 9 अप्रैल 2022 तक || JANWANI

इन सब्जियों की अगेती खेती करके किसानों द्वारा अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पोषण की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आवश्यक विटामिन, खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं। कद्दूवर्गीय सब्जियों की उपलब्धता वर्ष में आठ से दस महीने तक रहती है एवं इसका उपयोग सलाद के रूप में (खीरा, ककड़ी) पकाकर सब्जी के रूप में (लौकी, करेला, गिल्की, तोरई) मीठे फल के रूप में (तरबूज व खरबूज) मिठाई बनाने में (लौकी व पेठा) उपयोग मुख्य: रूप से किया जाता है।

उपयुक्त भूमि एवं खेत की तैयारी

कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन दुमट व बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसमें जल निकास अच्छी तरह से हो जाता है। मिट्टी में कार्बनिक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो साथ ही पीएच मान करीब 6 से 7.5 के मध्य हो। बीज बुवाई से पूर्व खेत की एक गहरी जुताई एवं दो तीन हल्की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें एवं खेतों को समतल करने के लिए ऊपर से पाटा लगा दें।

खाद व उर्वरक

ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15-20 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी पकी हुई गोबर की खाद व 80 किलोग्राम नत्रजन की आधी मात्रा, 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के पूर्व उपयोग करें एवं शेष बची हुई नत्रजन की मात्रा को 20-25 दिन एवं 40 दिन की फसल अवस्था में दें।

बीज बुवाई

खेत में लगभग 45-50 से.मी. चौड़ी तथा 30-40 से.मी. गहरी नालियां बना लें। एक नाली से दूसरी नाली की दूरी फसल की बेल की बढ़वार के अनुसार 2 से 5 मीटर तक रखें। जब नाली में नमी की मात्रा बीज बुवाई के लिए उपयुक्त हो जाये तो बुवाई के स्थान पर मिट्टी भुरभुरी करके थाले में एक स्थान पर 4-5 बीज की बुवाई करें।

बीजदर

खीरा 2-2.5 किग्रा, लौकी 4-5 किग्रा, करेला 5-6 किग्रा, तोरई 4.5-5 किग्रा, कद्दू 3-4 किग्रा, खरबूजा 2.5-3 किग्रा, तरबूज 4-4.5 किग्रा, टिंडा 5-6 किग्रा प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

बुवाई का समय

गर्मी फसल की बुवाई के लिए मध्य फरवरी से मार्च तक का समय उपयुक्त होता है।

सिंचाई

गर्मी की फसल में 6-7 दिन के अंतराल पर एवं आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करें।

उपज

खीरा 110-120, लौकी 300-350, करेला 80-100, तोरई 100-120, कद्दू 300-400, खरबूजा 150-200, तरबूज 200-250 तथा टिण्डा 80-100 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त होती है।

सब्जियों की तुड़ाई उपरांत प्रबंधन

बेल वाली फसलें जैसे खीरा, घिया, तोरी, करेला व कद्दू में तुड़ाई कच्चे व मुलायम अवस्था में करें। फलों को डंठल सहित तोड़ें एवं इसके पश्चात् रंग व आकार के आधार पर श्रेणीकरण कर पैकिंग करें तथा पैक किये गये फलों को शीघ्र मण्डी पहुंचाये या शीतगृह में रखें।

कद्दूवर्गीय सब्जियों की विभिन्न किस्में व संकर प्रजातियां

लौकी: पूसा हाईब्रिड-3, पूसा संदेश, अर्का बहार, पूसा नवीन, पंत लौकी चार, पूसा संतुष्टि, पूसा समृद्धि
करेला : पूसा विश्ोष, काशी मयूरी, पूसा दो मौसमी, पूसा हाईब्रिड 2
तोरई : चिकनी तोरी झ्र पूसा स्नेहा, पूसा सुप्रिया, पूसा चिकनी एवं धारीदार तोरी-पूसा नसदार, पूसा नूतन एवं सतपुतिया
खीरा: पूसा संयोग, पूसा बरखा, पूसा उदय, पूसा हाईब्रिड 1
तरबूज : सुगर बेबी, दुगार्पुर मीठा, अर्का मानिक
खरबूज : पूसा मधुरस, अर्का मधु, हरा मधु, अर्का राजहंश, दुगार्पुर मधु
कद्दू : पूसा विश्वास, पूसा विकास, पूसा हाईब्रिड 1
पेठा : पूसा उज्जवले
टिंडा: पंजाब टिंडा, अर्का टिंडा


janwani address 50

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत पर करें इन पांच चीजों का दान, भगवान शिव होंगे प्रसन्न

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Shamli News: शामली में पुलिस कस्टडी में प्रेमी की मौत पर प्रेमिका का हंगामा

जनवाणी संवाददाता | शामली: बिजनौर पुलिस की हिरासत में शामली...

Sunflower Seeds: सूरजमुखी के बीज है बीमारियों का रामबाण इलाज, यहां जाने इसके फायदे

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...
spot_imgspot_img