Friday, March 29, 2024
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गेहूं की फसल को चूहों, दीमक, कंडवा रोग, गेरुआ रोग और जड़ माहू से कैसे बचाएं

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चूहों का नियंत्रण: चूहों के नियंत्रण के लिए 3-4 ग्राम जिंक फॉस्फाईड को एक किलोग्राम आटा, थोड़ा-सा गुड़ व तेल मिलाकर छोटी-छोटी गोली बना लें तथा उनको चूहों के बिलों के पास रखें। पूर्व में 2-3 दिन तक बिना दवा की आटा, गुड़ व तेल की गोलियां बिलों में डालें तथा उन्हे इनके खाने की आदत हो जाय तब दवा वाली गोली डालें। यह कार्य शाम के समय करें तथा मरे हुए चूहों को सुबह-सुबह निकालकर गड्ढे में दबा दें या जला दें।

कंडवा रोग (लूज स्मट): कंडवा रोग (लूज स्मट) बीज जनित फफूंदी जनित रोग है। इस रोग में बालियों में बीज के स्थान पर काला चूर्ण बन जाता है तथा पुरानी प्रजातियों में भारत के सभी हिस्सों में देखा जा सकता है। इसके उपचार हेतु रोग प्रभावित पौधों को उखाड़कर सावधानीपूर्वक थैलियों में बंद कर मिट्टी में दबाना चाहिए अथवा जला देना चाहिए, क्योंकि यह रोग हवा से फैलता है। स्वस्थ एवं प्रमाणित बीज का उपयोग करें तथा रोग रोधी किस्मों की ही बुवाई करें। इसके लिए बीज को ट्राइकोडरमा विरीडी 4 ग्रा./कि. बीज या कार्बोक्सिन (वीटावैक्स 75 डब्ल्यू. पी.) 1.25 ग्रा/कि. बीज या टेबुकोनेजोल (रैक्सिल 2 डी. एस.) 1.0 ग्रा./कि. बीज के हिसाब से बीज को उपचारित करके ही उपयोग करें।

गेरूआ रोग: शरबती-चन्दौसी गेहूं के साथ मालवी गेहूंकी खेती करने से गेरुआ रोग की सम्भावना कम हो जाती है। गेरूआ रोग से प्रतिरोधी नई प्रजातियों की खेती करें। अधिक प्राकोप होने पर प्रोपीकोनाजोल (0.1 प्रतिशत) 1 मिली/ली. या टेबुकोनेजोल (0.1 प्रतिशत) 1 मिली/ली. दवा का छिड़काव करें।
दीमक से बचाव : गेहूं की फसल में दीमक की रोकथाम के लिए खड़ी फसल में क्लोरोपाईरीफॉस की 3 लीटर मात्रा प्रति हेक्टर की दर से 50 किलोग्राम बालू या बारीक मिट्टी एवं 2-3 लीटर पानी मिलाकर प्रभावित खेत में प्रयोग करें तथा तुरंत बाद पानी लगा दें।

जड़ माहू (रूट एफिड): जड़ माहू (रूट एफिड) गेहूं के पौधे को जड़ से रस चूसकर पौधों को सुखा देते हैं। जड़ माहू के नियंत्रण के लिए बीज उपचार गाऊचे रसायन से 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें अथवा इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. की 250 मिली या थाइमैथोक्सम की 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 300-400 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

माहू का प्रकोप: गेहूं फसल में ऊपरी भाग (तना व पत्तों) पर होने की दशा में इमिडाक्लोप्रिड 250 मिलीग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।


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