- ओडिट में ज्यादातर नर्सिंग होमों में फायर एनओसी को लेकर पायी गयीं गंभीर लापरवाही
मेरठ: महानगर के कई नर्सिंग होम पर ताले लटने के आसार नजर आ रहे हैं। दरअसल, ये संकट स्वास्थ्य विभाग की ओर से हर साल होने वाले लाइसेंस रिनुअल पर लटक रही तलवार की वजह से पैदा हुआ है। तमाम नर्सिंग होमों में फायर सेफ्टी को लेकर कथित रूप से बरती जा रही लापरवाही को लेकर शासन सख्त है।
इसको लेकर शनिवार को डीजी हेल्थ ने ऐसे नर्सिंग होमों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं। जहां फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर लापरवाही बरती जा रही है।
इस पत्र के बाद सीएमओ की ओर से आईएमए व नर्सिंग होम एसोसिएशन समेत तमाम दूसरे स्वास्थ्य संगठनों को शासन की मंशा से अवगत कराते हुए चेताया है कि यदि फायर एनओसी नहीं तो फिर नर्सिंग होम संचालन के लिए लाइसेंस का रिनुअल भी नहीं। हालांकि इस पत्र के बाद भी फायर एनओसी को लेकर कोई गंभीरता प्राइवेट अस्पताल बरतेंगे ऐसे आसार नहीं नजर आ रहे हैं।
अक्सर अस्पतालों में होने वाले आग हादसों को लेकर सरकार बेहद गंभीर है। इस प्रकार के हादसों में जान माल की बड़ी हानियां भी होती हैं। इस साल में देश में गुजरात समेत कई राज्यों में अस्पतालों के आग हादसों के चलते उत्तर प्रदेश शासन की ओर से फायर सेफ्टी अफसरों के पेंच कसे गए थे।
उसके बाद ही फायर सेफ्टी अफसरों ने शहर के तमाम प्राइवेट अस्पतालों में फायर उपकरणों की जांच की। इसको लेकर शासन को भेजी गयी रिपोर्ट में प्राइवेट अस्पतालों में फायर सेफ्टी को लेकर लापरवाही की बात कही गयी है।
डीजी हेल्थ ने दी चेतावनी
फायर सेफ्टी को लेकर अफसरों की रिपोर्ट के बाद महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ ने विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन चिकित्सा अनुभाग को लिखे पत्र में जहां फायर सेफ्टी संबंधित उपकरण नहीं हैं ऐसे प्राइवेट अस्पतालों का लाइसेंस रिनुअल न कराने को कहा गया है।
साथ ही जिन विभागीय अस्पतालों में फायर सेफ्टी का प्रावधान नहीं है, वहां कोविड फंड से ये कार्य कराया जाए। विशेष सचिव से इसकी अनुमति का आग्रह किया गया है।
नर्सिंग होम संचालक की होगी जिम्मेदारी
आग हादसों के बचाव के लिए फायर सेफ्टी सिस्टम तथा फायर एनओसी न होने की दशा में आग सरीखे हादसों में होने वाली जन व धन हानि के लिए नर्सिंग होम संचालक जिम्मेदार होंगे। इस आश्य की चेतावनी स्वास्थ्य विभाग की ओर से जनपद भर के नर्सिंग होम संचालकों को दी गयी है। सीईए ऐक्ट के प्रावधानों का हवाला देते हुए फायर सेफ्टी सिस्टम व एनओसी लेने को कहा गया है।

