- प्रदेश के 100 विद्यालयों में शामिल हुए स्कूल में नहीं हुए मानक पूरे
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के उन दावों की कलई खोल रही है। जिसमें दावा किया गया है कि प्रदेश भर में टॉप 50 स्कूलों में से एक उनका भी स्कूल है। जनवाणी फोटो जर्नालिस्ट ने कैमरे में कैद की तस्वीर इन स्कूलों का सच सामने ला रही है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा मेरा विद्यालय, मेरी पहचान कार्यक्रम के तहत प्रदेश के ऐसे 100 विद्यालयों की सूची जारी की गई है। जिनमें शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कार्य किए गए है। इनमें मेरठ के भी दो विद्यालय शमिल है, लेकिन कंपोजिट विद्यालय इटायरा का दौरा करने पर जो सच्चाई सामने आई वह यह बताने के लिए काफी है कि किस तरह से इस कार्यक्रम की धज्ज्यिां उड़ाई गई।
इस विद्यालय में न केवल उन मानकों को पूरा नहीं किया गया, जो कार्यक्रम के लिए जरूरी है बल्कि छात्रो की अच्छी शिक्षा के लिए जरूरी नियमों का भी पालन नहीं किया गया। ऐसे में किस आधार पर इस विद्यालय को मेरा विद्यालय, मेरी पहचान कार्यक्रम में उत्कृष्ठ पाया गया यह बड़ा सवाल है।
इन नियमों का होना था पालन
विद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़नी चाहिए थी, छात्रों की औसत उपस्थिति का रिकार्ड, लर्निंग आउटकम्स की स्थिति, विद्यालय में खेलकूद व सहगामी क्रियाओं में छात्रों की प्रतिभागिता, सामुदायिक सहयोग व सुविधाएं, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर व प्रोजेक्टर होना अनिवार्य, फर्नीचर व खेलकूद सामाग्री, विद्यालय में साफ-सफाई की उचित व्यवस्था, पर्यावरण संरक्षण का संदेश, शौचालय की क्रियाशीलता, पुस्तकालय की व्यवस्था व बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहन दिये जाने का संदेश।
ये मिली अव्यवस्थाएं
विद्यालय में छात्रों की संख्या पहले से कम हो गई है। 2021-22 में छात्रों की संख्या 518 थी जो 22-23 सत्र में 390 रह गई है। स्मार्ट क्लास नहीं है, कंप्यूटर व प्रोजेक्टर नहीं, पर्यावरण संरक्षण के लिए कोई कार्य नहीं, पुस्तकालय में जमी धूल, बालिकाओं को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने का कोई कार्यक्रम नहीं मिला।
इसके साथ ही सात जुलाई 2021 से कंपोजिट विद्यालय इटायरा व उच्च प्राथमिक विद्यालय गगोल में लगे हरे पेड़ काटे जाने का मामला भी चल रहा है। जिसकी जांच अभी तक भी जारी है। ऐसे में किस आधार पर इटायरा कंपोजिट विद्यालय को मेरा विद्यालय, मेरी पहचान कार्यक्रम में उत्कृष्ट विद्यालयों की सूची में लाया गया है, यह बड़ा सवाल है। विद्यालय में छात्रों की संख्या भी कम नजर आई जिसको लेकर भी नियमों को ताक पर रखे जाने को बल मिल रहा है।
विद्यालय की इंचार्ज शशि वर्मा का कहना है कि छात्रों की संख्या कम होने की वजह कोविड है, जबकि कंप्यूटर व प्रोजेक्टर नहीं है। ऐसे में वह अपने लैपटॉप से छात्रों को क्लास देती है। खेल समाग्री है, जबकि विद्यालय के मेंटेनेस के लिए मिलने वाली ग्रांट अभीतक नहीं मिली है।
सामुदायिक सहयोग से पुस्तकें मिली है एनजीओं के द्वारा, विधायक सोमेन्द्र तोमर ने 25 जनवरी 2021 को विद्यालय का दौरा किया था जिसमें उन्होंने कंप्यूटर देने की बात कही थी लेकिन वह अभीतक नहीं मिले है। विद्यालय में बनी लाइब्रेरी में धूल जमी है इसके लिए सफाई कर्मचारी को दोषी बताया।