- विवि के अधिकारियों पर करोडों रुपये गबन करने के पोस्टर के माध्यम से लगाए आरोप, प्रशासन बोला, करेंगे कार्रवाई
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर और आसपास की इमारतों पर सोमवार को विवि प्रशासन के खिलाफ पोस्टर चस्पा करते हुए 300 करोड़ के गबन के आरोप अधिकारियों पर लगाये गये हैं। सूचना मिलते ही सक्रिय हुए प्रशासन ने इन्हें हटवा दिया। विवि रजिस्ट्रार ने इसे विवि की छवि खराब करने की साजिश करार देते हुए जांच आदि कराकर एफाईआर दर्ज कराने की बात कही। इधर, छात्र प्रतिनिधियों द्वारा भी घटना की निंदा करते हुए इस पर विवि प्रशासन से कड़ा एक्शन लेने की मांग की। साथ ही कहा कि विवि का नाम खराब होने से छात्रों के भविष्य को भी नुकसान है।
विवि में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मचा गया, जब उन्हें पता चला कि विवि परिसर और आसपास की इमारतों पर कुछ पोस्टर चिपकाएं गये हैं। विलेंस आॅफ सीसीएसयू की हेडलाइन के साथ कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, पुस्तकालय अध्यक्ष जमाल अहमद सिद्दीकी, इंजीनियर मनीष मिश्रा, वित्त अधिकारी रमेश चंद निरंजन और नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर संदीप अग्रवाल के नाम और तस्वीरें प्रकाशित की गयी हैं। इन पांचों पर विवि के 300 करोड़ के गबन करने का आरोप लगाया गया है। आनन-फानन में एक्शन लेते हुए स्टाफ ने इन पोस्टरों को हटा दिया।
घोटाले के आरोपों से जुड़े पोस्टर लगाने वालों की पहचान अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन इस घटना ने विवि के प्रशासन और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। विवि के छात्रों और फैकल्टी सदस्यों में भी घटनाक्रम को लेकर नाराजगी है और उन्होंने आरोपों की जांच की मांग की है। प्रशासन पर आरोप लगाने वाले इन पोस्टरों ने विवि के माहौल को गरमा दिया है।
इस संबंध में विवि रजिस्ट्रार ने कहा कि जो भी यह सब कर रहा है, सीसीटीवी फुटेज से उसकी पहचान करके जल्द ही उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी। मामले को लेकर छात्र प्रतिनिधि शान मौहम्मद ने कहा कि अपनी बात रखने का यह तरीका ठीक नहीं है। कहा कि इससे विवि की छवि खराब होती है और इसका असर यहां पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य पर पड़ता है।
एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी भूली पुलिस
मेरठ: समाजवादी आवास योजना के तहत लाखों की ठगी के आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने वाली पुलिस उनकी गिरफ्तारी भूले बैठी है। इस योजना का शिकार हुए ऐसे ही भुक्तभोगी सोमवार को एसएसपी से मिले और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की। पुलिस आफिस पहुंचे लोहिया नगर निवासी आकाश सिंहल ने बताया कि साल 2015 में समाजवादी आवासीय योजना के नाम से प्रोजेक्ट लॉच किया गया था। इसमें फ्लैट व दुकानों की बुकिंग की जा रही थी। उन्होंने भी गौरव बंसल नाम के शख्स की मार्फत एक फ्लैट व दुकान की बुकिंग करायी थी। उसने बुकिंग की रकम बैंक द्वारा दी।
2018 में जब वह कब्जे की बात करने पहुंचा तो उसको छह माह की देरी की बात कहकर टाल दिया गया। बह दोबारा छह माह बाद पहुंचा तो उससे अभद्रता की गयी। उसकी रकम भी वापस देने से इंकार कर दिया गया। उसकी व उसके सरीखे कई अन्य लोगों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। क्राइम ब्रांच ने भी लिखा-पढ़ी की। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर तो दर्ज की गई, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की गयी। पीड़ित ने तमाम नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग एसएसपी से की है।