- एक तालाब की खुदाई में सरकार ने खर्च किए 75 लाख फिर भी उद्देश्य पूरा नहीं
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: तालाब खुदाई के मामले में शासन ने जांच बैठा दी हैं। तालाब की खुदाई निर्धारित मानक के अनुसार नहीं की गई। खुदाई में खानापूर्ति हुई हैं। एक तालाब की खुदाई पर 75 लाख तक सरकार ने खर्च कर दिये, लेकिन उद्देश्य फिर भी पूरा नहीं हो रहा हैं। आखिर इसमें घालमेल कहां चल रहा हैं? निर्धारित समय के दौरान तालाब की खुदाई भी पूरी नहीं की गई? कब-कब तालाब खुदाई का पैसा जारी हुआ? कुछ कंपनियों को डिबार घोषित कर दिया गया?
इसमें डिबार करने की वजह क्या रही? निविदाएं आवंटित करने में भी सेटिंग का खेल तो नहीं चला? इन तमाम बिन्दुओं को लेकर शासन स्तर से जांच कराई जाएगी। हालांकि एसई आलोक सिन्हा अपने स्तर से एक कमेटी बनाकर जांच करा चुके हैं, जिसमें ठेकेदार और अफसरों को ये समिति क्लीन चिट दे चुकी हैं, लेकिन शासन स्तर से फिर जांच कराई जा रही हैं। दरअसल, मेरठ में 12 और बागपत में 24 तालाबों की खुदाई का मामला हैं।
अब नये सिरे से बागपत में 24 अन्य तालाबों की खुदाई के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही हैं। बड़ी धनराशि तालाब खुदाई के लिए नमामि गंगे से लघु सिंचाई विभाग को मिले हैं। ये कार्य अटल भूजल परियोजना के तहत कराया जा रहा हैं। बागपत के भाजपा सांसद सत्यपाल सिंह ने भी तालाबों की खुदाई के लिए इतनी बड़ी धनराशि दिलाने में बड़ा सहयोग किया हैं। इसके बावजूद इसमें भ्रष्टाचार किया जाए तो अफसरों की गर्दन फंसना अवश्य ही हैं।
इसमें अफसरों की भूमिका ही नहीं, बल्कि ठेकेदार भी घालमेल करने से बाज नहीं आ रहे हैं, तभी तो शासन स्तर से इस मामले की जांच के आदेश हुए हैं। शासन में विशेष सचिव राजेश पांडेय के पास इसकी शिकायत पहुंची हैं। उन्होंने जांच कराने की बात कहीं हैं, ताकि पूरी सच्चाई सामने आ सकेगी। तालाब की खुदाई निविदाओं के अनुसार जो शर्तों दी गई हैं, उनका पालन ही नहीं हुआ। ऐसी शिकायत की गई हैं।
तालाब की खुदाई के दौरान जो मिट्टी निकली हैं, वो कहां गई। इसकी जांच भी होनी चाहिए। क्योंकि तालाब से खुदाई में मिट्टी का हिसाब भी देना होगा, तभी मिट्टी घोटाले का पता चल सकेगा। मिट्टी जितनी उठनी चाहिए थी, वो तालाब से नहीं उठी। इसी वजह से शर्तों के अनुसार खुदाई की ही नहीं गई। पहले तालाब में पानी भरा हुआ था, फिर बारिश शुरू हो गई। ऐसे में तालाब की मिट्टी कहां गई?
तालाब की मिट्टी के अलावा चारों दिशाओं में जो मिट्टी गिराई जानी थी, वो भी कम ही काम हुआ। एक तालाब नरहेडा और नंगला कबूलपुर ही नहीं, बल्कि जो भी तालाबों की खुदाई हुई, उसमें शिकायतकर्ताओं ने घालमेल का आरोप लगाया हैं। हालांकि एसई आलोक सिन्हा के आने के बाद ये उम्मीद जगी थी कि तालाब खुदाई और पेयजल आपूर्ति के लिए जो कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में नमामि गंगे से किये जा रहे हैं।
उनमें भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, लेकिन उन उम्मीदों पर पानी फिर गया, जब इस तरह की शिकायत सामने आनी लगी कि तालाब खुदाई में घालमेल हुआ हैं। इसमें जो काम करने वाले ठेकेदार हैं, वो भी लगे-बंधे हैं। उनके अलावा किसी को काम नहीं दिया जाता हैं। आखिर सेटिंग का खेल चल रहा हैं, तभी तो जो पहले से कार्य कर रहे ठेकेदारों को काम दिया जा रहा हैं। जो फर्म बगावत करती हैं, उनकी कंपनी को डिबार कर दिया जाता हैं।