- सूरजकुंड श्मशान पर लकड़ियों को लेकर मारामारी
- श्मशान के अंदर लकड़ी की टाल पर बढ़े दामों में बेची जा रही लकड़ियां
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोरोना महामारी के चलते सूरजकुंड श्मशान घाट पर रोजाना बढ़ती शवों की संख्या देखने को मिल रही है। जहां महामारी काल में लोग परेशानियों से जूझ रहे हैं, वहीं, ऐेसे में भी कुछ लोग मुनाफाखोरी करते दिखाई दे रहे हैं। अंतिम संस्कार में लगने वाली लकड़ियों को लेकर कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है। श्मशान से बाहर सस्ती मिलने वाली लकड़ियों के दाम श्मशान के अंदर प्रवेश करते ही बढ़ जाते हैं। कोविड संक्रमित आने वाले शवों को भी यह लकड़ियां बढ़ते दामों में ही दी जा रही हैं। इस तरह एक दिन में यहां लाखों की लकड़ियां अंतिम संस्कार में जलाई जा रही हैं।
सूरजकुंड श्मशान पर इन दिनों रोजाना 50 से अधिक शवों की संख्या देखने को मिल रही है। ऐसे में अंतिम संस्कार करने के लिए उपयोग में आने वाली लकड़ियां श्मशान स्थित लकड़ी की टाल से ही खरीदी जाती हैं। आम दिनों के मुकाबले संक्रमण काल में लकड़ी के रेट भी बढ़ा दिए गए हैं। अपनों का अंतिम संस्कार करने के लिए आ रहे परिजनों की जेब पर यहां के लोगों द्वारा कोई रहम नहीं बरता जा रहा है।
गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते सभी के कारोबार ठप हैं, ऐसे में लोगों को जहां दो वक्त की रोटी के लिए भी जूझना पड़ रहा हैं। वहीं, श्मशान पर आने वाले शवों के परिजनों के साथ कुछ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। इन दिनों सूरजकुंड श्मशान के भीतर स्थित लकड़ी की टाल में लकड़ियां एक हजार से 12 सौ रुपये कुंतल के रेट से बेची जा रही हैं।
जबकि बिल्कुल यही लकड़ियां सूरजकुंड पार्क के नजदीक स्थिल लकड़ी की टाल पर सात सौ रूपए प्रति कुंतल के दामों में खरीदी जा सकती हैं। ऐसे में श्मशान पर आने वाले लोगों की जेबों पर भी भारी असर पड़ता है। गौरतलब है कि संक्रमित आने वालें शवों के परिजन पहले ही अस्पतालों में धक्के खा चुके होते हैं। वहीं, अस्पताल और दवाओं में भी लाखों का खर्च हो जाता है। बावजूद इसके लिए अंतिम संस्कार में भी पैसो की मार देखने को मिल रही है।
एक अंतिम संस्कार में तीन से चार कुंतल लकड़ियां
शव का दाह संस्कार करने में करीब तीन से चार कुंतल लकड़ियां लगाई जाती हैं। ऐसे में सात सौ रूपए कुंतल मिलने वाली लकड़ी हजार का आंकड़ा पर चुकी है। वही,ं श्मशान प्रतिदिन 50 से अधिक शवों की संख्या देखी जा रही है। जिससे यहां पर रोजाना करीब दो लाख की लकड़ियों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
एक माह का यदि हिसाब लगाया जाए तो यह आंकड़ा और भी बड़ा हो जाता है। सूरजकुंड पार्क के नजदीक स्थित लकड़ी के टाल के मालिक संजय कुमार ने बताया कि कुछ समय पहले लकड़ी की समस्या हो रही थी। लेकिन इन दिनों अंतिम संस्कार ज्यादा हो रहे हैं।
ऐसे में भरपूर लकड़ी उपर से आ रह है। जिससे लकड़ी की कोई कमी नहीं है। यहां पर परतापुर और केसरगंज से लकड़ियां लाई जाती हैं।
शवों का नि:शुल्क अंतिम संस्कार के निर्देश जारी
श्मशान घाटों की लगातार आ रही शिकायतों के बाद शासन ने प्रदेश भर में कोरोना संक्रमित शवों का नि:शुल्क अंतिम संस्कार कराए जाने के निर्देश जारी कर दिए हैं। जिसका खर्चा नगर निगम द्वारा किया जाएगा। दरअसल, पिछले दिनों लगातार आ रही शिकायतों के बाद अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह के हस्ताक्षरों के साथ शासनादेश जारी किया गया है।
जिसके तहत प्रदेश के हर जिलों में कोविड संक्रमण के कारण हुई मौत की दशा में शवों का अंतिम संस्कार निशुल्क किया जाएगा। जारी किए गए आदेशों के अनुसार अन्त्योष्टि स्थलों, कब्रिस्तानों और शवदाह ग्रहों की व्यवस्था कराने की जिम्मेदारी नगरीय निकायों की होती है। ऐसे में शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि सभी संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार के लिए कोई भी पैसा नहीं लिया जाएगा। बताते चलें कि यह व्यय एक प्रकरण के हिसाब से पांच हजार रुपये तक किया जाएगा। जिसके तहत नगर निगम को इसका खर्च वहन करना होगा।