Friday, November 14, 2025
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बच्चे की सुरक्षा के लिए जरूरी है टीकाकरण

नीतू गुप्ता

जब नन्हीं जान इस दुनिया में जन्म लेती है तो माता-पिता की खुशियों का ठिकाना नहीं होता पर उसे गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रखना भी उनकी जिम्मेदारी होती है। माता-पिता को चाहिए कि बाल विशेषज्ञ के संपर्क में रहकर उसे समय समय पर गंभीर बीमारियों के टीके लगवाते रहें ताकि बच्चा सेहतमंद रह सके और गंभीर बीमारी का शिकार आसानी से न हो।

टीकाकरण क्या है! टीकाकरण का उद्देश्य है किसी रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करना। समय-समय पर लगे टीके शरीर में आए टॉक्सिंस को निष्क्रि य करते हैं और वायरस को रोक कर बच्चों को बीमारी से बचाते हैं। इन्हीं वैक्सीनेशन का परिणाम है पोलियो और स्माल पॉक्स जैसे गंभीर रोगों को नियंत्रित किया जा सका है। इसके अतिरिक्त मीतल्स, रूबैला, डिप्थीरिया जैसे रोगों में भी कमी आई है। ये वैक्सीन किस आयु में लगवाना है। उसकी पूरी जानकारी माता-पिता को होनी चाहिए। आइए जानें कौन सा टीका कब लगवाएं।

जन्म के समय: अगर बच्चे का जन्म अस्पताल में होता है तो अस्पताल वाले बच्चे और मां की छुट्टी से पहले 3 तरह के टीके बच्चे को लगाते हैं बीसीजी, हेपेटाइटिस बी और पोलियो ड्राप्स की पहली खुराक बच्चे को दे दी जाती है। बीसीजी बच्चे को तपेदिक से सुरक्षा कवच देता है, हेपेटाइटिस बी पीलिया रोग से बच्चे को बचाता है और पोलियो ड्राप्स बच्चे को पोलियो से सुरक्षा देता है। गर घर में बच्चा पैदा हुआ है तो अस्पताल से पहले,दूसरे दिन जाकर टीका लगवा लें और पोलियो ड्रॉप्स पिलवा दें। अस्पताल वाले अगला टीका कब लगना है, उसके बारे में भी आपको बता देंगे। कौन सा टीका लगना है या कब टीका लगवाया वो उसमें लिख देते हैं और बुकलेट डाक्टर अपने पास रख लेते हैं या माता-पिता को दे देते हैं।

डेढ़ माह के बच्चे को: डेढ़ माह के बच्चे को भी टीके लगाए जाते हैं जैसे डीपीटी, हेपेटाइटिस बी, एचआईवी, आईवीपी, रोटोवायरस, न्यूमो कोकल वैक्सीन के टीके लगाए जाते हैं। डीटीपी बच्चे को डिप्थीरिया, परटयूसिस और टेटनेस से सुरक्षा प्रदान करता है। एआईबी कान, निमोनिया, मेनिनजाइटिस से सुरक्षा देता है। डेढ़ माह की आयु में इन वैक्सीन की प्रथम डोज दी जाती है।

अढ़ाई माह के बच्चे के लिए: डेढ़ माह वाले वैक्सीन की दूसरी डोज अढ़ाई माह के बच्चे को दी जाती है।

साढ़े तीन माह के बच्चे के लिए: पोलियो ड्रॉप्स और हेपेटाइटिस की तीसरी डोज दी जाती है।
9 माह के बच्चे के लिए: इस आयु तक बच्चा गंदे हाथ मुंह में डालना है हर चीज मुंह के पास ले जाता है। इस आयु में मीजल्स का टीका लगाया जाता है और पोलियो ड्रॉप्स दिए जाते हैं।
एक साल के बच्चे को: एक साल के बच्चे को जांडिस से बचाने के लिए हेपेटाइटिस ए का टीका लगाया जाता है।

15 माह के बच्चे को: इस आयु में बच्चे को एमएमआर टीके का प्रथम डोज दिया जाता है। चिकन पाक्स से बचाने के लिए वैरिसेला की प्रथ्ांम डोज और पीसीवी का बूस्टर डोज लगाया जाता है।

18 माह के बच्चे को: 18 माह की उम्र में बच्चे को डीटीपी की पहली बूस्टर डोज, एच आईबी की बूस्टर डोज, आईपीबी कीे बूस्टर डोज दी जाती है। हेपेटाइटिस ए की दूसरी डोज भी दी जाती है।

24 माह के बच्चे को: 24 माह पूरे करने पर बच्चे को टायफॉयड का टीका लगाया जाता है। टायफायड का टीका हर 3 साल के बाद दुबारा लगवाना होता है।

साढ़े चार साल से 5 साल के बच्चे को: इस उम्र के बच्चे को डीटी, ओपीवी 3, एमएमआर2, वैरिसेला के टीके लगवाए जाते हैं। बच्चों की चिकनपॉक्स से सुरक्षा होती है। इसी प्रकार सही आयु में सही टीकाकरण बच्चों को बड़ी बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। बच्चों के टीकाकरण में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।

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