Wednesday, April 30, 2025
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इस दिन मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी 2023, यहां जाने इस तिथि का महत्व

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। सत्ययुग में सुमन्तु नाम के एक मुनि थे। उनकी पुत्री शीला अपने नाम के अनुरूप अत्यंत सुशील थी। सुमन्तु मुनि ने उस कन्या का विवाह कौण्डिन्यमुनि से किया। कौण्डिन्यमुनि अपनी पत्नी शीला को लेकर जब ससुराल से घर वापस लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनन्त भगवान की पूजा करते दिखाई पडीं। शीला ने अनन्त-व्रत का माहात्म्य जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनन्तसूत्रबांध लिया। इसके फलस्वरूप थोडेÞ ही दिनों में उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया।

वहीं, सनातन पंचांग के अनुसार इस बार भाद्रपद माह की चतुर्दशी 27 सितंबर को देर रात 10 बज कर 18 मिनट पर आरंभ होकर 28 सितंबर को सांयकाल 6 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। अत: अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को मनाई जाएगी।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी पर्व मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी त्योहार का हिंदू धर्म में बहुत ही विशेष महत्व है और इसे अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। भगवान विष्णु को 14 गांठ वाले अनंत डोर अर्पित किया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन भी किया जाता है।

हिंदू धर्म में महत्त्व

इस दिन अनन्त भगवान की पूजा करके संकटों से रक्षा करने वाला अनन्तसूत्रबांधा जाता है। कहा जाता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्तचतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया तथा अनन्तसूत्रधारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए।

विधि

व्रत-विधान-व्रतकर्ता प्रात:स्नान करके व्रत का संकल्प किया जाता है। शास्त्रों में यद्यपि व्रत का संकल्प एवं पूजन किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर करने का विधान है, तथापि ऐसा संभव न हो सकने की स्थिति में घर में पूजागृह की स्वच्छ भूमि पर कलश स्थापित करते हैं। कलश पर शेषनाग की शैय्यापर लेटे भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को रखा जाता है। उनके समक्ष चौदह ग्रंथियों (गांठों) से युक्त अनन्तसूत्र (डोरा) रख

‘ॐ अनन्तायनम:’ मंत्र से भगवान विष्णु तथा अनंतसूत्रकी षोडशोपचार-विधि से पूजा की जाती है। पूजनोपरांत अनन्तसूत्र को मंत्र पढ़कर पुरुष अपने दाहिने हाथ और स्त्री बाएं हाथ में बांधते हैं। अनंतसूत्रबांध लेने के पश्चात योग्य ब्राह्मण को नैवेद्य (भोग) में निवेदित पकवान देकर स्वयं सपरिवार प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

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