- 23 कर्मचारियों की नगर निगम में नियुक्ति निरस्त एवं वेतन वसूली का मामला सोशल मीडिया पर वायरल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में 23 कर्मचारियों की नियुक्त को अवैध मानते हुये शासन ने उनकी नियुक्ति को निरस्त कर उनके द्वारा अब तक प्राप्त वेतन की वसूली के जो आदेश दिये हैं। वह मामला सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसमें मामला वायरल हो रहा है कि इस फर्जी नियुक्ति के मामले में 23 नगर निगम के उन कर्मचारियों को निगम के अधिकारियों के द्वारा बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जिनकी नियुक्ति शासन के द्वारा अवैध घोषित कर दी गई है।
नगर निगम में फर्जी दस्तावजों पर एक नहीं अनेकों ऐसे मामले पूर्व में भी हुये जिन्हे नगर निगम के अधिकारियों के द्वारा गलत रिपोर्ट के आधार पर उन्हे बचाने का प्रयास किया गया। सोशल मीडिया पर अनेकों मामलों का उदाहरण दिया गया है। जिसमें नगर निगम के अधिकारियों की भूमिका संदेह के दायरे में रही होने का आरोप लगाया गया। उसमें चाहे निर्माण एवं साफ-सफाई, निगम में नियुक्ति का मामला रहा हो। वहीं, कुछ कर्मचारी लंबे समय से नगर निगम में जमें हुये हैं।
सांसद का भतीजा हूं, वसूली करना मेरा काम है…?
सांसद का भतीजा हूं, वसूली करना मेरा काम है…? ये डायलॉग डूडा में कार्यरत कर्मचारी चंद्रमणि तोमर के हैं। इसकी शिकायत परवेज आलम नामक व्यक्ति ने शासन को की थी, जिसमें सूडा के उपनिदेशक कीर्ति प्रकाश भारती ने पूरे प्रकरण की जांच के आदेश नगर आयुक्त अमित पाल शर्मा को दिए हैं। उनसे इसकी रिपोर्ट मांग ली है।
दरअसल, इसमें कितनी सच्चाई है? यह तो नगर आयुक्त की जांच रिपोर्ट पर निर्भर है, मगर शिकायतकर्ता ने यह भी दावा किया है कि उनके पास इसके तमाम प्रमाण हैं। वीडियो फुटेज भी हैं, जिसमें खुद को सांसद का भतीजा बताने वाले चंद्रमणि तोमर किस तरह से सरकारी पैसे का को क्षति पहुंचा रहे हैं। जिला नगरीय विकास अभिकरण में चंद्रमणि तोमर कि कब तैनाती हुई ? शहर मिशन प्रबंधक इकाई में ये कब से तैनात है?
इन पर आरोप है कि व्यर्थ सरकारी वेतन ली जा रही हैं, वेतन देकर सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। शिकायती पत्र में कहा गया है कि चंद्रमणि तोमर शहर मिशन प्रबंधक शहर मिशन प्रबंधन इकाई मेरठ में खाली बैठने की तनख्वाह लेते हैं, जिससे सरकार के पैसे का दुरुपयोग ही नहीं हो रहा, बल्कि इनके विभाग के लोग भी इनके रहने से बहुत परेशान हैं। ऐसी शिकायत की गई हैं। खुद को सांसद के भतीजे बताते हैं। इसी वजह से सबको डरा धमका करके अवैध वसूली करने का भी इन पर आरोप लगा रहे हैं।
इसमें कितनी सत्यता है? इसकी जांच पड़ताल नगर आयुक्त के स्तर से शुरू कर दी गई है। शिकायती पत्र पर उपनिदेशक कीर्ति प्रकाश भारतीय ने जांच के आदेश दिए हैं। अब इस मामले की जांच पड़ताल अभी पूरी नहीं हो पाई है। अब देखना यह है कि खुद को चद्रमणि तोमर सांसद के भतीजे बताते हैं, इसकी भी जांच होनी चाहिए कि आखिर ये कौन से सांसद का भतीजा हैं या फिर लोगों को बिना वजह ही दबाव में लेकर वसूली की जा रही हैं।
एक तरह से भाजपा सासंद का खुद को भतीजा बताकर भाजपा की छवि को भी धूमिल कर रहा हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टोलरेंस की नीति हैं। एक तरह से भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी सिस्टम देने के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन ऐसे लोग खुद को भाजपा सांसद का भतीजा बताकर भाजपा की छवि को दाग लगाने से नहीं चूक रहे हैं।
अब देखना ये है कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच तो नगरायुक्त कर रहे हैं, लेकिन भाजपा के नेता क्या इसकी भी जांच करेंगे कि क्या चन्द्रमणि तोमर भाजपा सांसद के भतीजे है भी या फिर बिना वजह भाजपा की छवि को धूमिल किया जा रहा हैं। अब देखना ये है कि इसमें भाजपा क्या कदम उठाती हैं।